रायपुर:बीजापुर और जगदलपुर में पोटा केबिन में पढ़ने वाली दो बच्चियों की मौत मलेरिया से हो गई. आश्रम में रहकर पढ़ाई करने वाले कई बच्चे भी मलेरिया की चपेट में आने से बीमार हैं. प्रदेश के कई जिलों में मॉनसून के साथ मलेरिया और डायरिया का कहर बढ़ता जा रहा है. राज्य सरकार जरुर ये दावा कर रही है कि बीमारियों की रोकथाम के लिए वो लगातार कोशिश कर रही है. पर सरकार की कोशिशों का नतीजा जमीन पर नजर नहीं आ रहा है. अब विपक्ष ने इसे सियासी मुद्दा बना लिया है और वो लगातार सरकार पर सवाल खड़े कर रही है.
डायरिया और मलेरिया से बिगड़े हालात: हालात को काबू में करने के लिए प्रभावित जगहों पर मंत्रियों के दौरे हो रहे हैं. खुद डिप्टी सीएम अरुण साव और स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल प्रभावितों के बीच पहुंच रहे हैं. सरकार का दावा है कि मलेरिया और डायरिया को लेकर हालात काबू में हैं. विपक्ष का दावा है कि उसकी सरकार के दौरान बीमारी से किसी की भी मौत नहीं हुई. वर्तमान में प्रदेश में हालात खराब हैं. कांग्रेस का दावा है कि मच्छरदानी और क्लोरीन की दवाएं खरीदने तक के पैसे सरकार के पास नहीं हैं. सरकारी की लापरवाही से हालात बिगड़े.
''छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य की स्थित भयावह हो रही है. वनांचल में लोग मलेरिया और डायरिया जैसी सामान्य बीमारी से मर रहे हैं. कवर्धा के चिल्फी में संरक्षित जनजाति बैगा परिवार के पांच लोगों की मौत हो गई. बीजापुर पोटा केबिन में दो बच्चियों की मलेरिया से मौत हो गई. पूरा गांव मलेरिया प्रभावित है. मच्छरदानी का वितरण नहीं किया जा रहा है. स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल को बताना चाहिए कि जो हाट बाजार क्लिनिक पूर्ववर्ती सरकार ने चालू किए वो क्यों बंद पड़े हैं. सरकार बनने के बाद स्वास्थ्य सुधार लगभग ठप्प हो चुका है. रायपुर के मेकाहारा अस्पताल में 50 करोड़ की मशीन बंद पड़ी है. रायपुर से लेकर बीजापुर तक यही हाल है''. - सुशील आनंद शुक्ला, प्रदेश अध्यक्ष, मीडिया विभाग, कांग्रेस
''अभी 31 मरीज डायरिया के इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती हैं. चौबीसों घंटे उनके स्वास्थ्य की निगरानी की जा रही है. मरीजों की सेहत और डायरिया को लेकर प्रशासन पूरी तरह से सजग है. घर-घर जाकर मरीजों की पहचान की जा रही है. जरा सा भी लक्षण दिखने पर अस्पताल में भर्ती कराकर इलाज किया जा रहा है. उम्मीद है बहुत जल्दी सब ठीक हो जाएगा.''
- अरुण साव, उपमुख्यमंत्री, छत्तीसगढ़
''कुछ दिन पूर्व कबीरधाम जिले के बैगा बाहुल्य क्षेत्र सोनवाही गांव में उल्टी-दस्त से पांच बैगा आदिवासियों की मौत हो गई. बारिश होने के बाद उल्टी और दस्त की शिकायत होती है लेकिन पिछले 5 सालों में इस तरह की शिकायत नहीं थी. जिन घरों में मौत हुई है वहां एक भी मच्छरदानी नहीं बांटी गई है. जबकि कई घरों में अगर पांच लोग हैं तो एक मच्छरदानी दी गई है. सरकार पूरे मामले में लापरवाही बरत रही है. मृतक के परिजनों को मुआवजा भी नहीं दिया जा रहा है.''- भूपेश बघेल, पू्र्व मुख्यमंत्री