देहरादून:उत्तराखंड में आए दिन कोई न कोई नेता चर्चाओं में आ जाता है. मौजूदा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नजदीकी और उनके कार्यों की प्रशंसा केंद्रीय नेतृत्व बार-बार करता रहा है, लेकिन सूबे की राजनीति की समझ रखने वाले कुछ लोग और सोशल मीडिया पर सरकार से लेकर संगठन की कुछ तस्वीरें व वीडियो चर्चा का विषय बन रहे हैं. अब चर्चाओं के केंद्र बिंदु में उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत हैं.
चर्चाओं में धन सिंह रावत का पीएम मोदी और गृहमंत्री शाह से मिलना:कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत का अचानक से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से न केवल मिलना बल्कि, 30 मिनट की मुलाकात में तीन अलग-अलग एंगलों से फोटो का आना भी खूब चर्चा का विषय बन रहा है. पीएम मोदी से मुलाकात के बाद उसी दिन धन सिंह रावत ने गृह मंत्री अमित शाह से भी मुलाकात की, जो बताता है कि धन सिंह रावत भी दिल्ली में अपना दबदबा अच्छा खासा रखते हैं. वहीं, धन सिंह रावत के गृह मंत्री और प्रधानमंत्री मोदी के साथ फोटो भी खूब चर्चाओं में हैं.
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि बीजेपी के अंदर दो गुट काम कर रहे हैं. केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब शपथ लेकर पदभार संभाला, उसके बाद से लेकर अब तक मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कई बार दिल्ली दौरा कर चुके हैं. नवनिर्वाचित सांसद बने उत्तराखंड के तीन सांसदों के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात की तस्वीर भी आई. यह तस्वीरें तक सार्वजनिक हुई, जब उन्होंने दिल्ली में अजय भट्ट, अजय टम्टा और माला राज्य लक्ष्मी शाह से मुलाकात की.
इन तस्वीरों के बीच दो सांसदों की तस्वीर गायब थी. न तो त्रिवेंद्र और न ही बलूनी ने पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात की. न ही सीएम धामी ने अन्य तीन सांसदों की तरह ही इन दो सांसदों से मुलाकात कर उन्हें बधाई दी. हालांकि, ऐसा हो सकता है कि जब दिल्ली में पुष्कर सिंह धामी अन्य सांसदों से मिल रहे हों, तब त्रिवेंद्र सिंह रावत और अनिल बलूनी से उनकी मुलाकात ना हो पाई हो, लेकिन उस दिन के बाद से ही राजनीतिक गुणा भाग लगाने वाले लोग इस घटना को बड़ी बारीकी से देख रहे हैं.
तीरथ सिंह रावत ने भाषण में किए थे प्रहार:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के साथ तमाम केंद्रीय नेतृत्व मौजूदा सरकार की तारीफों के कई बार पुल बांध चुके हैं, लेकिन बीते दिनों राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में जिस तरह से तीरथ सिंह रावत ने सरकार और संगठन को लेकर तीखे प्रहार किया, हंसते-हंसते अपने राज्य की राजनीति और बीजेपी की अंदरूनी बातचीत को सार्वजनिक किया, उसके बाद से ये साफ हो गया कि बीजेपी में कुछ न कुछ अंदर खाने गड़बड़ चल रही है.
कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत की पीएम मोदी से मुलाकात ने बढ़ाई सियासी हलचल:यह चर्चा अभी थमी भी नहीं थी कि उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत एकाएक दिल्ली में रहकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करते हैं. उनकी यह मुलाकात शायद इतनी चर्चा में ना रहती, लेकिन यह चर्चा इसलिए भी हुई क्योंकि 30 मिनट की मुलाकात में तीन अलग-अलग एंगल से आई फोटो सोशल मीडिया पर अलग-अलग कैप्शन के साथ पोस्ट की जाने लगी. कुछ लोग इसे धन सिंह रावत की मजबूती से जोड़ने लगे, तो कुछ लोग राज्य की सत्ता में किसी बड़े उथल-पुथल से इसे जोड़ने लगे.
हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से हुई मुलाकात के बाद जब धन सिंह रावत उत्तराखंड पहुंचे तो उन्होंने इस मुलाकात के बारे में सिलसिलेवार पत्रकारों को बता दिया, लेकिन दिल्ली में पीएम मोदी और अमित शाह से मुलाकात के बाद की एक और तस्वीर तब चर्चा का विषय बन गई, जब धन सिंह रावत संसद भवन के बाहर से सांसद अनिल बलूनी और हरिद्वार से सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ खड़े हुए दिखाई दिए. संसद भवन के बाहर से धन सिंह रावत की दो अलग-अलग तस्वीरें जैसे ही सामने आईं, वैसे ही राजनीति में रुचि रखने वाले लोग कहने लगे कि कुछ ना कुछ अंदर जरूर पक रहा है.
प्रदेश में बन रहे माहौल को लेकर भी चर्चाएं हैं, जिसके तहत लोकसभा चुनाव संपन्न होने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश के तीन सांसदों अजय भट्ट, अजय टम्टा और माला राज्य लक्ष्मी शाह से मुलाकात की थी. इन तीन सांसदों से मुलाकात के बीच सीएम धामी की त्रिवेंद्र सिंह रावत और अनिल बलूनी से मुलाकात का पता ही नहीं चला. जिसके चलते राज्य की राजनीति में ये चर्चाएं हैं कि इन नेताओं की आपसी नाराजगी वजह बनी है.
इसी बीच सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत जो कि उत्तराखंड के सीएम भी रह चुके हैं, उनको पर्याप्त सुरक्षा न मिलने के चलते सांसद त्रिवेंद्र ने खुद न सिर्फ गृह विभाग को पत्र लिखा बल्कि, सीएम पुष्कर धामी को भी पत्र लिखकर वाई प्लस (Y+) सुरक्षा की मांग की. हालांकि अभी तक इस दिशा में कोई भी निर्णय नहीं हो पाया. पार्टी की सरकार और सांसद होने के बावजूद सुरक्षा के लिए पत्र लिखा जाना, किसी को भी हजम नहीं हो रहा है. यही वजह है कि कांग्रेस भी इसे आधार बनाकर नेताओं की नाराजगी को जगजाहिर होने की बात कह रही है.
कांग्रेस ने सीएम धामी पर लगाया ये आरोप:कांग्रेस के नेता इस तमाम घटनाक्रम के बीच गढ़वाल और कुमाऊं का भी मुद्दा उठा रहे हैं. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री हीरा सिंह बिष्ट का कहना है कि सीएम धामी कुमाऊं पर ज्यादा फोकस कर रहे हैं. जिससे गढ़वाल की उपेक्षा सी प्रतीत हो रही है. क्योंकि, दूसरे टर्म में राज्य का मुखिया बनने के बाद उन्होंने कुमाऊं क्षेत्रों पर ज्यादा फोकस किया. साथ ही कुमाऊं के लिए तमाम विकास योजनाओं को स्वीकृत किया.
हीरा सिंह बिष्ट का कहना कुमाऊं क्षेत्र में खासकर चंपावत जिले पर ज्यादा फोकस किया गया है. साथ प्रदेश के अन्य 12 जिलों को छोड़ चंपावत जिले को आदर्श जिला बनाने पर फोकस किया जा रहा है. इसके साथ ही चारधाम यात्रा के शुरुआती दौर में जब धामों में श्रद्धालुओं की अत्यधिक भीड़ उमड़ी थी, उस दौरान सीएम धामी ने आदि कैलाश को प्रमोट किया था. ताकि, चारधाम यात्रा पर बड़ी संख्या में आ रहे श्रद्धालु आदि कैलाश के दर्शन को भी जाएं. इतना ही नहीं चारधाम यात्रा को रामनगर से शुरू करने को लेकर भी सीएम धामी ने अधिकारियों को इस बाबत निर्देश दिए कि रामनगर से यात्रा संचालित किए जाने की संभावनाओं को तलाशा जाए, लेकिन उस दौरान उठे विरोध के चलते धामी सरकार इस मामले पर शांत हो गई. इसको लेकर ही कांग्रेस सरकार पर गढ़वाल की उपेक्षा का आरोप लगा रही है.