चंडीगढ़: हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले दिल्ली के सीएम और आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल के जमानत पर जेल से बाहर आने और उनके सीएम पद से इस्तीफा देने की तैयारी के बाद हरियाणा में आप नेताओं और कार्यकर्ताओं में जोश है. इस सबके बीच अब चर्चा होने लगी है कि हरियाणा में सरकार के खिलाफ जो एंटी कैंबैंसी वोट है. उसका ध्रुवीकरण होगा? और क्या इससे कांग्रेस और अन्य दलों के बीच इन वोट का बंटवारा होगा?
आप के सामने चुनौती: हरियाणा में कांग्रेस और आप का गठबंधन न होने के बाद आम आदमी पार्टी अकेले चुनाव लड़ रही है. पार्टी ने सभी 90 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हुए हैं. इस सबके बीच अरविंद केजरीवाल के जमानत पर जेल से बाहर आने के बाद अब आप का निशाना हरियाणा विधानसभा चुनाव है. पार्टी इस बार हरियाणा में किसी भी स्थिति में खुद के लिए जगह बनाने की कोशिश में जुटी है. हालांकि वह इसमें पार्टी कितना सफल होगी, यह चुनावी नतीजे ही बताएंगे.
'हरियाणा में केजरीवाल का कोई असर नहीं': पहली नजर में आप के अकेले चुनावी मैदान में होने से लग रहा है कि इससे सरकार विरोधी वोटों का ध्रुवीकरण होगा. लेकिन इस मामले में कांग्रेस पार्टी के नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम कहते हैं कि अरविंद केजरीवाल के बेल पर आने से हरियाणा में चुनाव पर कोई असर नहीं पड़ेगा. हमारा आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन राष्ट्रीय स्तर पर था. यहां गठबंधन की चर्चा जरूर हुई थी. लेकिन अब वो अलग लड़ रहे हैं और हम अलग लड़ रहे हैं. यानी कांग्रेस मानती है कि केजरीवाल का हरियाणा में कोई असर नहीं होगा.
'बीजेपी जाएगी और कांग्रेस आएगी': इसी को लेकर कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता आलोक शर्मा कहते हैं कि इंडिया गठबंधन के तहत राहुल गांधी की तरफ से गठबंधन को लेकर सकारात्मक पहल हुई थी. हम चाहते थे कि जो विपक्ष का वोट है वह बांटे ना, लेकिन उन्होंने अचानक से अपनी लिस्ट घोषित कर दी. गठबंधन होने की बात पर इससे विराम लग गया. यह भारतीय लोकतंत्र की खूबसूरती है. तमाम पार्टियां चुनाव लड़ सकती हैं. आम आदमी पार्टी का भी स्वागत है, लेकिन आज जिस तरीके से हरियाणा में माहौल बना हुआ है. बीजेपी का जाना तय है. कांग्रेस का आना भी तय है. लोगों का मन बन चुका है. हालांकि हरियाणा में सभी दल अपनी अपनी ताकत लगाएंगे. जनता समझ चुकी है कि यह सभी दल वोट का कटवा की भूमिका निभाएंगे. लेकिन यह कुछ नहीं कर पाएंगे.
हरियाणा में आप करेगी बड़ा बदलाव!: इधर इसी मामले में जब राजनीतिक मामलों के जानकार धीरेंद्र अवस्थी से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि वैसे तो पिछले चुनाव के आधार पर वर्तमान चुनाव का विश्लेषण नहीं करना चाहिए. लेकिन केजरीवाल खुद कहते हैं और यह सच्चाई भी है कि वह हरियाणा के बेटे हैं. लेकिन हरियाणा में जब से आम आदमी पार्टी आई है उसकी जमीन में कोई बहुत बड़ा बदलाव होने जा रहा है, ऐसा कुछ दिखता नहीं है.