कुरुक्षेत्र: माता-पिता बच्चों को जन्म से लेकर उसे योग्य बनाने तक संघर्ष करते रहते हैं. जब बच्चे बड़े हो जाते हैं, योग्य बन जाते हैं तो अपने माता पिता को वृद्धाश्रम का रास्ता दिखा देते हैं. बुढ़ापे में जब उनका शरीर काम करना छोड़ देता है तब उनको दर-दर भटकना पड़ता है. कई ऐसे बुजुर्ग तो बच्चों के मोह में पड़ने के कारण खुलकर शिकायत भी नहीं करते. ऐसे बुजुर्गों का सहारा कुरुक्षेत्र का बाबा बंसी वाला वृद्ध आश्रम बना है. इस आश्रम में कई बुजुर्ग सालों से एक परिवार की तरह रहे हैं.
कुरुक्षेत्र के लाडवा कस्बे में स्थित बाबा बंसी वाला वृद्ध आश्रम है. यहां हरियाणा ही नहीं दूसरे राज्यों से भी बच्चों के द्वारा घर से निकाले गए बुजुर्ग रह रहे हैं. आइए हम आपको ऐसे ही कुछ बच्चों की कहानी बताते हैं, उन्हीं की जुबानी.
जानवरों की तरह करते थे व्यवहार: ईटीवी भारत की टीम बाबा बंसी वाला वृद्ध आश्रम पहुंची. यहां सबसे पहले एक बुजुर्ग महिला मिली. महिला ने अपना नाम न छापने की शर्त में अपनी दुखभरी कहानी बयां किया. बुजुर्ग महिला ने बताया, "मैं कुरुक्षेत्र की रहने वाली हूं. मेरे बेटे-बहु ने मुझे कैद कर के रखा था. वो जानवरों की तरह मेरे साथ व्यवहार करते थे. वो मारते-पीटते भी थे. खाना भी समय पर नहीं दिया जा रहा था. कैदियों की तरह डेढ़ साल तक घर में कैद थीं. एक दिन बेटा बहु किसी के यहां शादी में चले गए, तो मैं जोर-जोर से चिल्लाने लगी. तो पड़ोसियों ने पूछताछ शुरू की. तब मैंने सारी कहानी उनको बताई. पड़ोसियों ने पुलिस को फोन किया. पुलिस की मौजूदगी में मुझे अस्पताल भेजा गया, क्योंकि मैं काफी कमजोर हो गई थी. मुझे घर नहीं जाना था. मैं आश्रम आ गई. अब काफी खुश हूं. यही मेरा परिवार है."
बहु ने ससुर को निकाला घर से बाहर: वहीं, जींद के रहने वाले भगत राम ने कहा कि, " मेरे बेटे बहु का बर्ताव मेरे प्रति बेहद खराब था. बेटा शादी होने के बाद मेरे साथ मारपीट करने लगा. मेरी बहु के पास 8-9 एकड़ जमीन थी. इसलिए उसने हम पर रौब दिखाना शुरू किया. ना ही खाना देते थे. ना ही बीमार होने पर इलाज करवाते थे. तंग आकर एक दिन मैंने घर ही छोड़ दिया. अब इस आश्रम में रह रहा हूं. आज तक कोई यहां मिलने नहीं आया है."
पोते ने दादी को घर से निकाला: कैथल की रहने वाली वृद्ध महिला कृष्णा ने कहा, " मेरा बेटा और मेरी बहु सड़क हादसे में मर गए थे. तीन पोते हैं. तीनों को बड़े लाड-प्यार से पाला. आज कोई देखने तक नहीं आता. सबने मुझे छोड़ दिया है. ऐसी औलाद भगवान किसी को ना दे जो उनको इतना मजबूर कर देती है कि वह सड़कों पर बेसारा होकर रहे. हमारे पास प्रॉपर्टी भी काफी है. अब सालों से मैं इसी आश्रम में रह रही हूं. यही मेरा घर हैं."
30 सालों से चलाया जा रहा आश्रम: लाडवा कस्बे में स्थित बाबा बंसी वाला वृद्ध आश्रम के प्रधान विकास सिंघल ने बताया कि उनके आश्रम में करीब 50 बुजुर्ग रहते हैं. पिछले 30 सालों से यह वृद्ध आश्रम चलाया जा रहा है, जो बाबा बांसी के द्वारा शुरू किया गया था. मौजूदा समय में रिश्तों की कोई भी अहमियत नहीं रही. जैसे ही उनके बुजुर्ग थोड़ा काम करने में असमर्थ हो जाते हैं, तो उनको घर से निकाल दिया जाता है. या फिर घर पर उनके साथ अत्याचार किए जाते हैं, जिसके चलते यहां पर हरियाणा ही नहीं बल्कि दूसरे राज्य से भी बहुत बुजुर्ग रह रहे हैं. यहां पर उनके खाने से लेकर रहने और उनके इलाज के लिए हर प्रकार के प्रबंध फ्री में किए जा रहे हैं."
"जो माता-पिता आपके बच्चों को पाल पोस कर बड़ा करते हैं. काबिल बनाते हैं. जब उनको सहारे की जरूरत होती है तो बच्चों उनको सड़क पर बेसहारा छोड़ देते हैं. कृपया ऐसा न करें. एक दिन आप भी बुजुर्ग हो जाओगे. ऐसे में अपने बड़ों का आदर करें. साथ ही उनको अपने घर पर ही रखें. यू बेसहारा न छोड़ दें." -विकास सिंघल, प्रधान, बाबा बंसी वाला वृद्ध आश्रम
जन्मदिन और सालगिरह मनाने आते हैं लोग: आश्रम के प्रधान ने जानकारी दी कि कुछ लोग अपनी शादी की सालगिरह, जन्मदिन मनाने के लिए यहां पर आते रहते हैं. उनको बुजुर्गों के साथ अपने बर्थडे और सालगिरह सेलिब्रेट करने में काफी अच्छा लगता है. ऐसे इन बुजुर्गों को भी यहां पर घर का माहौल दिया जा रहा है, ताकि उनका मन लगा रहे. उनको यहां पर हर प्रकार की सुविधा दी जा रही है.
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