देहरादून: उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. दरअसल, यूनिफॉर्म सिविल कोड का ड्राफ्ट तैयार किए जाने को लेकर गठित पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति ने 2 फरवरी को फाइनल ड्राफ्ट मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंप दिया था. ऐसे में अब शनिवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक के दौरान धामी कैबिनेट में इस पर मुहर लगाने के साथ ही 6 फरवरी को विधानसभा सत्र के पटल पर विधेयक रखा था. यूसीसी का फाइनल ड्राफ्ट मिलने के बाद से बयानबाजी का दौर शुरू हो गया था. इसी क्रम में बुद्धजीवी और राजनीतिक विशेषज्ञ भी यूसीसी को लेकर अलग-अलग राय देने लगे थे.
यूसीसी से संस्कारों में नहीं कोई परिवर्तन:वरिष्ठ पत्रकार दिनेश मनसेरा ने बताया कि यूसीसी के जरिए हमारे संस्कारों में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है. ऐसे में जो शादियों के संस्कार हैं, उसी तरह से शादियां होंगी. लेकिन इतना जरूर है कि शादियों का रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा. उन्होंने कहा कि शादियों के रजिस्ट्रेशन को लेकर पहले से ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश है, क्योंकि जब कोई जोड़ा विदेश जाता है तो उसे पासपोर्ट बनाने में काफी दिक्कतें आती हैं. ऐसे में यूसीसी के आने से ज्यादा परिवर्तन नहीं होगा, लेकिन कुरीतिया खत्म हो जाएंगी और प्रथाएं बराबर चलती रहेंगी.
यूसीसी देश के लिए बनेगा नजीर:दिनेश मनसेरा ने बताया कि यूसीसी में इस चीज का प्रावधान भी है कि अगर कोई तलाक देता है, तो वो मामला कोर्ट में ही निस्तारित होगा. साथ ही गुजारा भत्ता देय होगा. ऐसे में शादी के प्रमाण की आवश्यकता होगी. साथ ही यूसीसी के जरिए बहुविवाह प्रथा खत्म होगी. उन्होंने कहा कि यूसीसी को लेकर जनता को समझने की जरूरत नहीं पड़ेगी, क्योंकि इसका ड्राफ्ट तैयार करने के लिए हर वर्ग के लोगों से राय ली गई है. ऐसे में ये ड्राफ्ट बहुत सोच समझकर तैयार किया गया है, जो भविष्य में देश के लिए नजीर बनेगा.