सरगुजा:हसदेव में कोल परियोजना को लेकर विवाद फिर से गर्मा गया है. बीते दिनों पेड़ कटाई के विरोध में हुए बवाल पर छत्तीसगढ़ से लेकर दिल्ली तक का सियासी पारा चढ़ा हुआ है. स्थानीय लोग और आदिवासी लंबे वक्त से हसदेव को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं. जबकी हसदेव को बचाने के बजाए सियासी पार्टियां इसे मुद्दा बनाकर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंक रही है. जो भी पार्टी विपक्ष में रहती है वो सत्ता पक्ष को इस मुद्दे पर घेरने की कोशिश करती है. हसदेव की लड़ाई लड़ रहे लोगों का कहना है कि उनकी ये लड़ाई आगे भी जारी रहेगी.
हसदेव पर चढ़ा सियासी पारा:एक बार फिर जब यहां पेड़ों की कटाई शुरू की गई तो ग्रामीणों ने इसका विरोध किया. पेड़ कटाई के पिछले चरण में उदयपुर में प्रदर्शन किया गया. दूसरे चरण में संभाग मुख्यालय अंबिकापुर में प्रदर्शन हुआ. प्रदर्शन के दौरान जनजाति आयोग के अध्यक्ष ने ये चेतावनी भी दी कि अब हथियार उठाने के अतिरक्त कोई रास्ता नहीं बचा है. अगले चरण में जब पेड़ों की कटाई शुरु हुई तो विवाद ने हिंसक रुप ले लिया. पुलिस और आंदोलनकारियों के बीच विवाद और झड़प में कई लोग जख्मी भी हो गए. कई पुलिसकर्मियों को भी चोटें आई.
हसदेव कोल ब्लॉक पर जारी है सियासी दंगल (ETV Bharat)
पीसीसी चीफ पहुंचे सरगुजा:आज पीसीसी चीफ दीपक बैज, पूर्व मंत्री अमरजीत भगत, प्रेम साय सिंह, अरुण वोरा, धनेन्द्र साहू समेत तमाम कांग्रेस के बड़े नेता परसा पहुंचे. नेताओं के साथ हसदेव बचाओ संघर्ष समिति के आलोक शुक्ला भी शामिल थे. इस दौरान दीपक बैज ने कहा की जिस तरह से आन्दोलन कर रहे ग्रामीणों पर लाठीचार्ज किया गया है वो गलत है. इस गंभीर मुद्दे पर हम ग्रामीण आदिवासियों के साथ चर्चा करने आये हैं. बर्बरता पूर्वक लाठीचार्ज किया गया जबकी ग्रामीण शांति के साथ प्रदर्शन कर रहे थे.
''फर्जी ग्रामसभा की हो जांच'': दीपक बैज ने कहा कि ग्रामीण लम्बे समय से अपनी मांगों को लेकर शांति पूर्ण ढंग से प्रदर्शन करते आ रहे हैं. बैज ने कहा कि फर्जी ग्राम सभा की जांच की जानी चाहिए. सरकार इतने गंभीर आरोपों की जांच भी क्यों नही करा रही है. बैज ने कहा कि अनुसूचित जनजाति आयोग ने उनको प्रस्ताव भी दिया की जब तक फर्जी ग्राम सभा की सुनवाई नही हो जाती है तब तक पेड़ों कटाई नहीं होनी चाहिए. बैज ने कहा कि किसके इशारे पर हजारों पुलिसवाले को तैनात कर दिया गया. विरोध करने वालों पर पेट्रोल बम फेंके गए. पत्थरों की बरसात की गई. कई लोगों को चोटें आई.
बैज का निशाना: बैज ने कहा कि क्या ये सरकार आदिवासियों को गोली मारकर कोल माइंस उद्योगपतियों को सौंपना चाहती है. शपथ ग्रहण के दूसरे दिन से ही पेड़ों की कटाई शुरु कर दी गई. इतनी जल्दी भी सरकार को क्या थी. आदिवासी मुख्यमंत्री के राज में आदिवासी पर लाठियां बरस रही है. बैज ने कहा कि लोकसभा चुनाव के पहलें राहुल गांधी हसदेव आए थे. राहुल गांधी ने लोगों को भरोसा दिया था कि वो इस लड़ाई में उनके साथ हैं. छतीसगढ़ की विधानसभा में भाजपा कांग्रेस सभी दल के विधायको ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया था की हसदेव क्षेत्र में पेड़ों की कटाई नहीं होगी.
कांग्रेस की सरकार ने लिया था बड़ा फैसला: दरअसल, हसदेव अरण्य को बचाने लिए कोयला खदानों के खिलाफ चल रहे प्रदर्शन के बीच पूर्व की प्रदेश सरकार ने बड़ा निर्णय लिया था. दावा है कि प्रदेश सरकार ने 841.548 हेक्टयर जमीन की स्वीकृति को निरस्त करने की मांग भारत सरकार से की थी. डायवर्सन की स्वीकृति निरस्त करने को लेकर शासन ने प्रदेश सरकार के अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक के एकीकृत क्षेत्रीय कार्यालय भारत सरकार और प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख को भी इस संबंध में निर्देश दिए थे. शासन की ओर से यह पत्र वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के अवर सचिव ने लिखा था. शासन ने डायवर्सन निरस्त करने के लिए खदान के विरोध में चल रहे जन आंदोलन का हवाला दिया गया था.
हसदेव के लिए पूर्व में हुए प्रदर्शन: बता दें कि हसदेव अरण्य क्षेत्र में नई खदान खोलने और पेड़ों की कटाई को लेकर हरिहरपुर में ग्रामीणों की ओर से 2 मार्च 2022 से विरोध प्रदर्शन किया जा रहा था. ग्रामीणों के लगातार हो रहे विरोध के कारण पूर्व में भी तत्कालीन उप मुख्यमंत्री टी एस सिंदेव ने बड़ा बयान दिया था. जिसके बाद पेड़ों की कटाई पर तत्कालीन सीएम भूपेश बघेल ने ने रोक लगा दी थी. वहीं बाद में तत्कालीन उप मुख्यमंत्री ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से चर्चा के बाद यह घोषणा की थी कि अब प्रदेश में नए खदान नहीं खोले जाएंगे.
हसदेव में प्रस्तावित है परसा कोल ब्लॉक:पूर्व से चल रही खदान के अतिरिक्त हसदेव अरण्य क्षेत्र में प्रस्तावित कोल खदान परसा कोल ब्लॉक, केते एक्सटेंशन और पेंडरखी में खदान नहीं खोली जाएगी. छत्तीसगढ़ सरकार ने हसदेव अरण्य क्षेत्र में परसा खुली खदान के लिए वनभूमि का कोयला उत्खनन के गैर वानिकी कार्य के लिए डायवर्सन की प्रक्रिया निरस्त करने कहा है. टीएस सिंह देव ने हसदेव अरण्य क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों की मांग पर राज्य सरकार पर परसा कोल ब्लॉक निरस्त करने की मांग की.
डायवर्सन प्रक्रिया निरस्त करने के दिए निर्देश: टीएस सिंह देव की पहल पर वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के अवर सचिव केपी राजपूत ने अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक एकीकृत क्षेत्रीय कार्यालय भारत सरकार व प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख को पत्र लिखकर डायवर्सन प्रक्रिया को निरस्त करने का निर्देश दिया था. इसके साथ ही उन्होंने वन महानिरीक्षक भारत सरकार पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन को पत्र लिखकर आबंटन व व्यपवर्तन निरस्त करने की मांग की थी.
भारत सरकार को लिखा पत्र:शासन की ओर से वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के अवर सचिव केपी राजपूत ने भारत सरकार को लिखे पत्र में बताया था कि हसदेव अरण्य कोल फील्ड में व्यापक जन विरोध के कारण कानून व्यवस्था की स्थिति निर्मित हो गई है. ऐसे में जन विरोध, कानून व्यवस्था एवं व्यापक लोकहित को दृष्टिगत रखते हुए परसा खुली खदान परियोजना पर विचार की जरुरत है. साथ ही गैर वानिकी कार्य हेतु राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड को रकबा 841.548 हेक्टेयर के लिए जारी वन भूमि व्यपवर्तन स्वीकृति को निरस्त किया जाए. प्रदेश सरकार के पास कोल खदान के लिए जारी डायवर्सन को ही निरस्त करने का अधिकार होता है, जबकी कोयला खदान का आबंटन और पर्यावरणीय स्वीकृति निरस्त करने का अधिकार केंद्र सरकार के पास है.
2015 में हो चुका है अलॉटमेंट: परसा क्षेत्र में कोल ब्लॉक का अलॉटमेंट वर्ष 2015 में मिनस्ट्री ऑफ कोल द्वारा कर दिया गया था. प्रशासन ने स्पष्ट किया था कि पेड़ कटाई की स्वीकृति भारत सरकार की इन्वायरमेंट एवं फारेस्ट मिनिस्ट्री देती है. बड़ी बात यह है कि परसा केते बासेन फेज 1 और 2 एवं परसा कोल ब्लॉक के फॉरेस्ट लैंड पर पेड़ों की कटाई की स्वीकृति राजस्थान राज्य विद्युत वितरण निगम लिमिटेड को पूर्व में ही मिल चुकी है.