नई दिल्ली:राजधानी में 25 मई को लोकसभा चुनाव 2024 के लिए मतदान होंगे. ऐसे में राजनीतिक पार्टियां जोर शोर से प्रचार प्रसार में जुटी हैं. दिल्ली में कुल सात लोकसभा सीटें हैं. इसमें पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट की बात करें को यहां पर मुस्लिम और सिख मतदाता का वोट तय करता है कि किस उम्मीदवार के माथे जीत का सहरा सजेगा. पिछला चुनावी रिकॉर्ड उठाकर देखें तो बीजेपी के हिस्से मुस्लिम वोट बहुत कम आए हैं. ऐसे में इस सीट पर बीजेपी पिछले दो लोकसभा चुनाव से सिख चेहरे को उम्मीदवार बना रही है.
वहीं इस बार कांग्रेस और आम आदमी पार्टी मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं. ऐसे में मुस्लिम वोट नहीं बटेंगे. साथ ही कुछ सिख वोट भी इंडिया गठबंधन को मिलने की उम्मीद है. पिछली बार कांग्रेस ने इस सीट से अरविंदर सिंह लवली को चुनावी मैदान में उतारा था, जो वर्तमान में दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष हैं. ऐसे में बीजेपी के लिए जीत का रास्ता कठिन हो सकता है.
2019 में 61 फीसदी हुआ था मतदानःपूर्वी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र में साल 2019 में कुल 20 लाख 38 हजार 270 मतदाता थे. पिछले लोकसभा चुनाव में कुल 12 लाख 56 हजार 314 मतदाताओं (61.64 फीसदी) ने मतदान किया था. इस लोकसभा क्षेत्र में सबसे अधिक मुस्लिम मतदाता हैं, जिनकी संख्या करीब 16 प्रतिशत है. वहीं, दूसरे सबसे अधिक मतदाता सिख हैं, जिनकी संख्या करीब 15 प्रतिशत है. ब्राह्मण वोटर 11 प्रतिशत और गुर्जर मतदाता 7 प्रतिशत हैं. इस सीट के अंतर्गत कुंडली, पटपड़गंज, कृष्णा नगर, लक्ष्मी नगर, सुभाष नगर, गांधीनगर, ओखला समेत 10 विधानसभा क्षेत्र आते हैं, जहां बड़ी संख्या में प्रवासी भी रहते हैं.
बीजेपी ने फिर सिख चेहरे को बनाया उम्मीदवार:पिछले लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने सेलीब्रीटी और सिख चेहरा गौतम गंभीर को उम्मीदवार बनाया था. वहीं, इस बार पार्टी ने सिख चेहरा हर्ष मल्होत्रा को सांसद उम्मीदवार बनाया है. हर्ष मल्होत्रा पूर्वी दिल्ली से निगम पार्षद और वर्ष 2015-16 में दिल्ली के मेयर भी रह चुके हैं. रानीतिक जानकारों की मानें, तो बीजेपी ने सिख चेहरे को अपना उम्मीदवार इसलिए बनाया है, ताकि उन्हें सिख समुदाय का वोट हासिल हो सके.
गठबंधन से मजबूत हुई स्थिति, कांटे की टक्करःसाल 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने अलग अलग चुनाव लड़ा था. इसमें कांग्रेस से अरविंदर सिंह लवली को 24.24 प्रतिशत मत हासिल हुए थे, जबकि आम आदमी पार्टी की आतिशी को 17.43 प्रतिशत वोट मिले थे. वहीं बीजेपी के गौतम गंभीर ने 55.33 फीसदी वोट हासिल कर जीत दर्ज की थी. इसके पहले 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के महेश गिरी ने कुल 31.28 फीसदी मत हासिल कर जीत दर्ज की थी.
वहीं, उस वक्त कांग्रेस के संदीप दीक्षित को 11.11 फीसदी और आम आदमी पार्टी के राजमोहन गांधी को 20.87 प्रतिशत मत मिले थे. अगर बीते लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और 'आप' का गठबंधन हुआ होता तो गठबंधन की जीत पक्की थी. हालांकि, इस बार कांग्रेस और आम आदमी पार्टी मिलकर चुनाव लड़ रही है. पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट से आम आदमी पार्टी के नेता कुलदीप कुमार चुनाव लड़ रहे हैं, जो एससी वर्ग से आते हैं हैं.
राजनीति विषलेषक मानते हैं कि दिल्ली में बड़ी संख्या में एससी वर्ग के लोग बीजेपी को नहीं बल्कि आम आदमी पार्टी को मतदान करते हैं. साथ ही यह उम्मीद जताई जा रही है कि मुस्लिम वोट कांग्रेस या आम आदमी पार्टी की झोली में जा सकते हैं. ऐसे में इस बार इंडिया गठबंधन और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर होना निश्चित माना जा रहा है.