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23 रुपये से शुरू हुई इस को-ऑपरेटिव सोसायटी के आज देशभर में 32 शोरूम, पीएम मोदी ने भी किया जिक्र - PM Modi mann ki baat - PM MODI MANN KI BAAT

BHUTTICO COOPERATIVE SOCIETY: कुल्लू की भुट्टिको सोसायटी आज किसी परिचय की मोहताज नहीं है. इस सोसायटी को कई बार राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत किया जा चुका है. इसकी स्थापना 1944 में ठाकुर वेदप्रकाश ने 12 बुनकरों के साथ महज 23 रुपये की पूंजी लगाकर की थी. आज इस सोसायटी के साथ जुड़े हुए हजारों बुनकरों को रोजगार मिला है.

फाइल फोटो
फाइल फोटो (ईटीवी भारत)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jul 28, 2024, 3:54 PM IST

Updated : Jul 28, 2024, 4:27 PM IST

कुल्लू: ग्रामीण इलाकों की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में सहकारिता अपनी अहम भूमिका निभा रही है और सहकारिता के माध्यम से आज देश में करोड़ों लोगों को रोजगार पर मिल रहा है. ऐसे में हथकरघा के क्षेत्र में भी जिला कुल्लू की सहकारी सभा भुट्टिको सोसायटी देश-विदेश में कुल्लुवी उत्पादों को एक अलग पहचान देने में जुटी हुई है और भुट्टिको सोसायटी के इन कार्यों को देखते हुए मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसका जिक्र किया है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने कार्यक्रम में भुट्टिको सोसायटी समिति के द्वारा किए जा रहे कार्यों की चर्चा की और भुट्टिको के उत्पाद आज देश दुनिया में भी पसंद किया जा रहे हैं. साल 1944 में 12 लोगों ने 23 रुपए की पूंजी के साथ भुट्टिको सोसायटी का गठन किया गया था और इस सोसाइटी में आज 1000 से अधिक बुनकरों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार भी मिल रहा है.

खड्डी पर शॉल बुनाई का काम (ईटीवी भारत)

1944 में हुआ था गठन

साल 1944 में 12 बुनकरों के द्वारा सहकारी समिति का गठन किया गया और साल 1956 में भुट्टिको सोसायटी के संस्थापक वेदराम ठाकुर ने कुल्लू शॉल का उद्योग शुरू किया. ठाकुर वेदराम ने साल 1960 में भुंतर के पास 32 बीघा जमीन लेकर भुट्टिको सोसायटी को कुल्लू से भुट्टी में शिफ्ट किया और उनकी मृत्यु के बाद उनके बड़े बेटे सत्य प्रकाश ठाकुर समिति को आगे बढ़ाने के काम में जुट गए. समिति से जुड़कर आज हजारों लोगों को रोजगार मिल रहा है और वह अपनी आजीविका भी कमा रहे हैं.

कुल्लवी मफलर (ईटीवी भारत)

राष्ट्रीय स्तर पर मिले कई अवॉर्ड

भुट्टिको सोसायटी के हिमाचल प्रदेश सहित देश के विभिन्न शहरों में 34 शोरूम हैं और इस सोसाइटी में 130 नियमित तथा 600 पंजीकृत बुनकर है. सोसायटी ऑनलाइन माध्यम से भी कुल्लू की शॉल, टोपी सहित अन्य हथकरघा उत्पादों को बेचा जा रहा है. देसी खड्डी, विदेशी ऊन के साथ कारीगरी कर ब्रांड बनी भुट्टिको सोसायटी पारंपरिक हथकरघा कला के साथ विश्व स्तरीय गुणवत्ता के उत्पाद तैयार करने के लिए साल 1993-94 में वस्त्र मंत्रालय से हथकरघा में विशिष्टता के लिए भी स्वर्ण पुरस्कार हासिल कर चुकी है.साल 2005-6 में पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स से उद्योग रत्न अवॉर्ड और साल 2007-8 में सहकारिता के लिए नेशनल एक्सीलेंस अवॉर्ड सहित कई अन्य सम्मान सोसायटी के नाम पर हैं.

भुट्टिको सोसायटी (ईटीवी भारत)

हजारों लोगों को मिला रोजगार

भुट्टिको सोसायटी समिति के अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री सत्य प्रकाश ठाकुर ने बताया कि सोसायटी के द्वारा हजारों लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार दिया जा रहा है. इसके अलावा कुल्लुवी हथकरघा उत्पादों को भी देश दुनिया में अलग पहचान दिलाई गई है. सोसायटी के सभी अधिकारियों व कर्मचारियों के बूते आज कुल्लू शॉल और टोपी की अलग पहचान बनी हुई है और स्थानीय लोगों को भी इसका प्रशिक्षण दिया रहा है.

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Last Updated : Jul 28, 2024, 4:27 PM IST

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