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आज है पितृ पक्ष की प्रतिपदा तिथि का पहला श्राद्ध, जाने कैसे करें पितरों के लिए पूजा - Pitru Paksha 2024

By ETV Bharat Haryana Team

Published : Sep 16, 2024, 2:33 PM IST

Updated : Sep 18, 2024, 10:02 AM IST

Pitru Paksha 2024: सनातन धर्म में पितृ पक्ष का बहुत ही ज्यादा महत्व होता है. क्योंकि यह दिन पितरों को समर्पित होते हैं और उनके लिए धार्मिक अनुष्ठान ,तर्पण, पिंडदान इत्यादि किए जाते हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार पितृपक्ष की शुरुआत भाद्रपद महीने की पूर्णिमा से होती है. पितृपक्ष के दौरान पितरों की आत्मा की शांति और संतुष्टि के लिए अनुष्ठान कार्य किए जाते हैं. कुछ लोग इसको श्राद्ध के नाम से भी जानते हैं.

Pitru Paksha 2024
Pitru Paksha 2024 (Etv Bharat)

करनाल:सनातन धर्म में पितृ पक्ष का बहुत ही ज्यादा महत्व होता है. क्योंकि यह दिन पितरों को समर्पित होते हैं और उनके लिए धार्मिक अनुष्ठान ,तर्पण, पिंडदान इत्यादि किए जाते हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार पितृपक्ष की शुरुआत भाद्रपद महीने की पूर्णिमा से होती है. पितृपक्ष के दौरान पितरों की आत्मा की शांति और संतुष्टि के लिए अनुष्ठान कार्य किए जाते हैं. कुछ लोग इसको श्राद्ध के नाम से भी जानते हैं. जिसके परिवार में अशांति बनी रहती है या पितृ दोष होता है. वह खास तौर पर अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पूजा पाठ कराते हैं. जिस दिन उनके पूर्वज की मृत्यु हो जाती है. हिंदू पंचांग के अनुसार उस दिन उसके लिए श्राद्ध किया जाता है. उसकी आत्मा की शांति के लिए पूजा अर्चना भी की जाती है.

पितृ पक्ष की शुरुआत:पंडित श्रद्धानंद मिश्रा ने बताया कि इस बार पितृ पक्ष भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से शुरू हो रहा है. पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 17 सितंबर को सुबह 11:44 पर हो रही है. जबकि इसका समापन 18 सितंबर को सुबह 8:04 पर होगा. इसलिए पितृ पक्ष की शुरुआत 17 सितंबर से हो चुकी है. जो भी लोग पूर्णिमा का व्रत रखना चाहते हैं या उसके लिए स्नान और दान करना चाहते हैं. उनके लिए 18 सितंबर का दिन होगा. उस दिन पूर्णिमा के लिए स्नान और दान किया जाएगा.

पितृ पक्ष का क्या होता है महत्व:हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व बताया गया है. क्योंकि इस दिन अपने पितरों या जिनकी मृत्यु हो चुकी है, उनके पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए अनुष्ठान कर्म, पिंडदान, अर्पण किए जाते हैं. जिस इंसान के घर में पितरों की आत्मा को शांति नहीं मिलती, उसके लिए भी विशेष तौर पर पूजा-अर्चना की जाती है. ताकि उनको शांति मिल सके और मुक्ति मिल सके.

पितरों के लिए पूजा: वहीं, परिवार में खुशहाली के लिए भी सुख शांति की लिए पूजा की जाती है. ताकि पूर्वजों का और पितरों का आशीर्वाद उनके ऊपर बना रहे. अगर किसी की कुंडली में पितृ दोष है, उसके लिए भी उनके पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध किए जाते हैं. पूजा अर्चना की जाती है. इन दिनों के दौरान अपने पितरों के लिए पूजा करने के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है. पहले श्राद्ध पर यानि 18 सितंबर के दिन कुतुप मुहूर्त की शुरुआत सुबह 11 बजकर 50 मिनट से हो रहा है जो दोपहर 12 बजकर 19 मिनट तक रहेगा. इसके बाद रौहिण मुहूर्त दोपहर 12 बजे से शुरू होकर दोपहर 1 बजकर 28 मिनट तक रहेगा. अगला मूहूर्त दोपहर 1 बजकर 28 मिनट से शुरू होकर दोपहर 3 बजकर 55 मिनट तक रहेगा.

कैसे करें तर्पण: श्राद्ध के दिनों में पितरों के नाम से हर दिन नियमित रूप से जल अर्पित करना शुभ माना जाता है. तर्पण करने के लिए सूर्योदय से पहले कुशी की जूड़ी लेकर पीपल के वृक्ष के नीचे स्थापित की जाती है. इसके बाद लोटे में थोड़ा गंगाजल, सादा जल और दूध लेकर उसमें बूरा, जौ और काले तिल डाले जाते हैं और कुशी की जूड़ी पर 108 बार जल चढ़ाया जाता है. जल चढ़ाते समय मंत्रों का उच्चारण करना चाहिए.

दान करना उत्तम: उनको अपनी इच्छा अनुसार दान भी दिया जाता है. इन दिनों के दौरान कुत्ता, कौवा, चींटी और गाय को भी भोजन दिया जाता है या जीमाया जाता है. इसको पंच ग्रास या पंचबली कहा जाता है. अगर किसी इंसान की कुंडली में पितृ दोष है. वह लोग पंचबली जरूर निकालते हैं. जिस दिन उनके बुजुर्ग की मौत होती है. उस दिन ही उसका श्राद्ध किया जाता है. अगर किसी इंसान को यह मालूम नहीं होता कि उसके बुजुर्गों की मौत किस दिन हुई है. तो वह पितृ पक्ष अमावस्या के दिन उसका श्राद्ध कर सकते हैं.

क्यों नहीं किए जाते मांगलिक कार्य:पितृपक्ष के दौरान मांगलिक कार्य करना अशुभ माना जाता है. क्योंकि ये दिन मांगलिक कार्यों के लिए बहुत ही अशुभ दिन माने जाते हैं. जिसके चलते इन दिनों में कोई भी नई चीज खरीदना अच्छा नहीं माना जाता. विवाह शादी मुंडन लगन इन पर भी इन दिनों में रोक होती है. क्योंकि यह दिन सिर्फ पितरों के लिए समर्पित होते हैं. अगर कोई इंसान मांगलिक कार्य करता है, तो उनके काम में विघ्न पैदा हो सकती है. इन दिनों के दौरान ना ही भूमि पूजन इत्यादि नहीं किया जाता है. इसलिए लोग इन दिनों के दौरान किसी भी प्रकार का मांगलिक कार्य करने से बचे और कोई भी नई वस्तु खरीदने से बचे.

पितृ पक्ष की तिथियां:आपको बता दें कि पितृ पक्ष 15 दिन का होता है. इसमें दोनों को कम भी कर दिया जाता है. क्योंकि यह अच्छे दिन नहीं माने जाते. इस बार पितृ पक्ष 17 सितंबर से शुरू होकर 2 अक्टूबर को समाप्त होगा. आइए जानते हैं कि इस साल पितृ पक्ष में श्राद्ध की तिथियां कौन-कौन सी हैं.

17 सितंबर को दिन मंगलवार के दिन पूर्णिमा श्राद्ध

18 सितंबर को दिन बुधवार प्रतिपदा श्राद्ध

19 सितंबर को दिन गुरुवार द्वितीया श्राद्ध

20 सितंबर, शुक्रवार, तृतीया श्राद्ध

21 सितंबर, शनिवार, चतुर्थी श्राद्ध, महा भरणी

22 सितंबर, रविवार, पंचमी श्राद्ध

23 सितंबर, सोमवार, षष्ठी श्राद्ध, सप्तमी श्राद्ध

24 सितंबर, मंगलवार, अष्टमी श्राद्ध

25 सितंबर, बुधवार, नवमी श्राद्ध, मातृ नवमी

26 सितंबर, गुरुवार, दशमी श्राद्ध

27 सितंबर, शुक्रवार, एकादशी श्राद्ध

29 सितंबर, रविवार, द्वादशी श्राद्ध, मघा श्राद्ध

30 सितंबर, सोमवार, त्रयोदशी श्राद्ध

1 अक्टूबर, मंगलवार, चतुर्दशी श्राद्ध

2 अक्टूबर, बुधवार, अमावस्या श्राद्ध, सर्व पितृ अमावस्या इसके साथ ही पितृपक्ष खत्म हो जाएगा.

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Last Updated : Sep 18, 2024, 10:02 AM IST

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