बिलासपुर:रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद बीजेपी शासित राज्यों ने राम भक्तों को अयोध्या भेजने के लिए रामलला दर्शन योजना शुरु की. रामलला दर्शन योजना को लेकर कोर्ट में याचिका लगाई गई. याचिकाकर्ता का कहना था कि इसमें धर्म विशेष के ही लोग जा सकते हैं लिहाजा योजना को बंद कर दिया जाना चाहिए. याचिकाकर्ता ने ये भी कोर्ट में दावा किया कि इस योजना से संंविधान की धर्मनिरपेक्षता पर सवाल उठता है. याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट में आंध्र प्रदेश का एक मामला भी इस संबंध में सामने रखा है.
सरकार की रामलला दर्शन योजना के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका, फैसला सुरक्षित - Petition in High Court
Petition in High Court विष्णु देव सरकार ने राम भक्तों को अयोध्या दर्शन कराने के लिए रामलला दर्शन योजना शुरु की. सरकार की योजना को लेकर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई. मामला सुनवाई योग्य है या नहीं इसपर कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. Ramlala Darshan yojna
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team
Published : Mar 15, 2024, 8:49 PM IST
|Updated : Mar 15, 2024, 9:18 PM IST
रामलला दर्शन योजना पर याचिका, फैसला सुरक्षित: कोर्ट में याचिका पर सुनवाई करते याचिकाकर्ता के वकील और पर्यनन मंडल एंव समाज कल्याण विभाग के वकील ने अपना पक्ष रखा. पक्ष में कहा गया कि योजना में धर्म विशेष के लोगों को ही ले जाया जा रहा है. चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डीबी में बताया गया है कि रामभक्तों के लिए खास ट्रेन चलाई जा रही है. पर्यटन मंडल और समाज कल्याण विभाग की ओर से ये पूरा काम संचालित किया जा रहा है. याचिकाकर्ता लखन सुबोध ने हाईकोर्ट में योजना के खिलाफ जनहित याचिका पेश की. याचिका में याचिकाकर्ता की ओर से ये कहा गया कि धार्मिक यात्रा कराए जाने को गलत बताया. याचिकाकर्ता ने मांग की है कि इस योजना को बंद किया जाना चाहिए. याचिका सुनवाई के योग्य है या नहीं इसपर अब हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.
सरकार का पक्ष: पर्यटन मंडल एवं समाज कल्याण विभाग की ओर से अधिवक्ता डी के गवालरे ने कहा की श्री रामलला दर्शन यात्रा प्रदेश वासियों के लिए है. योजना में कोई भी समुदाय और धर्म को मानने वाला शामिल हो सकता है. योजना में कहीं भी हिन्दुओं के लिए नहीं लिखा गया है. याचिकाकर्ता की ओर से वर्ष 2008 में आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के एक निर्णय का साइटेशन पेश किया गया. सभी पक्ष को सुनने के बाद कोर्ट ने याचिका चलने योग्य है या नहीं इस पर आदेश सुरक्षित रख लिया है.