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नक्सलियों का वर्चस्व और प्रभाव, फिर भी हेनार के ग्रामीण नक्सलवाद से रहे दूर! - NAXALISM IN JHARKHAND

लातेहार में हेनार गांव के लोग समाज के लिए एक मिसाल हैं. इनकी प्रबल इच्छाशक्ति लोगों के लिए वाकई प्रेरणादायक है.

HENAR VILLAGE OF LATEHAR
ग्राफिक्स इमेज (Etv Bharat)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : 6 hours ago

लातेहारः जिला के गारू प्रखंड में घनघोर जंगलों के बीच बसा हेनार गांव समाज के लिए एक मिसाल है. इस गांव के चारों ओर नक्सलियों का वर्चस्व था. विकास से पूरी तरह वंचित रहने के बावजूद यहां के ग्रामीणों ने कभी नक्सलवाद के रास्ते को नहीं अपनाया.

दरअसल, गारू प्रखंड का हेनार गांव पलामू टाइगर रिजर्व के सुरक्षित वन क्षेत्र में बसा हुआ एक छोटा सा गांव है. घनघोर जंगल में स्थित इस गांव के चारों ओर कुछ वर्ष पहले तक नक्सलियों का वर्चस्व हुआ करता था. स्थिति ऐसी थी कि गांव में रहने वाले ग्रामीण डर कर या तो गांव छोड़ देते थे या फिर मजबूरी में नक्सलियों को सहयोग करते थे. लेकिन हेनार एक ऐसा गांव रहा, जिसने कभी भी नक्सलवाद का समर्थन नहीं किया.

लातेहार का हेनार गांव दूसरों के लिए एक मिसाल (ETV Bharat)

इस गांव में लगभग 400 आबादी है पर यहां के एक भी व्यक्ति ने नक्सलवाद के रास्ते कभी नहीं चला और न हथियार उठाया. हालांकि यहां के ग्रामीणों के जज्बे को देखकर नक्सलियों ने भी कभी-भी इस गांव के लोगों को जबरदस्ती नक्सलवाद के रास्ते पर ले जाने का प्रयास भी नहीं किया.

ग्रामीण सुनील बृजिया, किसान जगमोहन समेत अन्य ग्रामीणों ने बताया कि गांव के लोग खेती और मजदूरी कर अपनी आजीविका चलाते रहे हैं. जरूरत पड़ने पर काम की तलाश में पलायन भी कर जाते हैं, परंतु कभी भी खुद को नक्सलवाद के रास्ते पर नहीं ले गए. यही कारण है कि इस गांव का एक भी व्यक्ति आज तक नक्सली नहीं बना. यहां के ग्रामीणों ने इस बात को भी झुठला दिया, जिसमें कहा जाता है कि गांव का विकास नहीं होना नक्सलवाद का सबसे बड़ा कारण है.

घने जंगलों में बसा है हेनार

हेनार गांव पलामू टाइगर रिजर्व के घने जंगलों में बसा हुआ है. गांव से प्रखंड मुख्यालय की दूरी लगभग 20 किलोमीटर है. जिसमें 12 किलोमीटर का रास्ता पूरी तरह कच्ची सड़क है. पक्की सड़क की दूरी तय करने के लिए ग्रामीणों को जंगली सड़क से होकर गुजरना पड़ता है. सड़क से 12 किलोमीटर के अंदर यह गांव बसा हुआ है. सड़क की स्थिति भी अत्यंत जर्जर है.

पलामू टाइगर रिजर्व का एरिया होने के कारण यहां पक्की सड़क का निर्माण भी संभव नहीं है. गांव तक जाने वाली सड़क के दोनों ओर जो घने जंगल हैं, वहां हाथियों का जमावड़ा भी लगा रहता है. रास्ते से गुजरने वाले लोगों को अक्सर जंगली हाथी से रूबरू होना पड़ जाता है. तमाम प्रकार की कठिनाइयों का सामना करने के बाद भी यहां के ग्रामीण कभी अपराध का रास्ता नहीं अपनाएं.

हेनार का मधु (शहद) है प्रसिद्ध

हेनार गांव के आसपास के इलाकों में नक्सलियों का वर्चस्व कायम रहता था. परंतु हेनार गांव के ग्रामीण समाज में नक्सलवाद के आतंक के बदले मधु की मिठास बांटते रहे. इस गांव के आसपास मधुमक्खियां का छता बड़े पैमाने पर पाया जाता है. जिससे यहां मधु का उत्पादन भी खूब होता है. वन विभाग के द्वारा हेनार मधु के नाम से एक ब्रांड भी चलाया जाता है जो स्थानीय स्तर पर काफी प्रसिद्ध है.

एसपी भी करते हैं तारीफ

इधर हेनार गांव के ग्रामीणों के इस जज्बे की तारीफ एसपी कुमार गौरव भी करते हैं. एसपी ने कहा कि यह गांव निश्चित रूप से समाज के लिए एक मिसाल है और इससे अन्य गांवों को भी प्रेरणा मिलती है. उन्होंने कहा कि यहां के ग्रामीण से सीख लेकर अन्य लोगों को भी इन्हीं की राह पर चलने की जरूरत है.

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