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2002 में ट्रेन से गिरकर हुई थी मौत, पटना हाईकोर्ट ने रेलवे को ब्याज सहित मुआवजा देने का दिया निर्देश - Patna High Court - PATNA HIGH COURT

Train Accident Compensation: ट्रेन हादसे में मौत के मुआवजा को लेकर पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई की गई. इसमें कोर्ट ने रेलवे को 6 प्रतिशत प्रति वर्ष ब्याज की दर से रेलवे को मुआवजा देने का निर्देश दिया है. पढ़ें पूरी खबर.

पटना हाईकोर्ट
पटना हाईकोर्ट (Concept Image)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : May 13, 2024, 11:04 PM IST

पटनाःट्रेन हादसे में मुआवजा को लेकर पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई की.कोर्ट नेरेलवे को ब्याज सहित मुआवजा देने का निर्देश किया. कोर्ट ने कहा कि पीड़ित परिवार को 6 प्रतिशत प्रति वर्ष ब्याज की दर से मुआवजा दिया जाए. 22 साल बाद पटना हाईकोर्ट में सोमवार को यह फैसला सुनाया गया.

2002 में हुई थी मौतः सोमवार को सुनावाई में जस्टिस नवनीत कुमार पांडेय ने इस मामले पर सभी पक्षों को सुनने के बाद यह फैसला दिया. 19 मई 2002 को आवेदिका के पति समर स्पेशल चलती ट्रेन से मोकामा रेलवे स्टेशन पर गिर गया. उसे घायल स्थिति में इलाज के लिए पीएमसीएच भेजा गया. इलाज के क्रम में उसकी मौत हो गयी थी.

ब्याज सहित मुआवजे की मांगः व्यक्ति की मौत के बाद पत्नी ने मुआवजे के लिए रेलवे दावा न्यायाधिकरण में आवेदन दिया था. इसमें ब्याज के साथ मुआवजा राशि देने का गुहार लगाई थी. क्योंकि उसके पति की ट्रेन दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी. पूर्व मध्य रेलवे के महाप्रबंधक ने अपने लिखित बयान दायर कर कहा कि मृतक वास्तविक यात्री नहीं था क्योंकि उसके पास से रेल टिकट नहीं मिला था.

रेलवे ने खारिज कर दिया था आवेदनः न्यायाधिकरण ने मृतक को वास्तविक यात्री नहीं माना और आवेदन को खारिज कर दिया था. रेलवे दावा न्यायाधिकरण के आदेश की वैधता को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई. कोर्ट को बताया गया कि मुआवजा राशि के लिए रेलवे की ओर से दावा आवेदन एक मुद्रित प्रोफार्मा हैं. कॉलम नं. 7 में स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि टिकट खो गया था. बाद में टिकट को प्रदर्शित किया गया.

टिकट खो गया थाः मृतक के वास्तविक होने की सत्यता केवल कॉलम नंबर 7 की प्रविष्टि के कारण यात्री पर अविश्वास नहीं किया जा सकता है. जिसमें यह उल्लेख किया गया है कि टिकट खो गया है. रेलवे की ओर से इस बिंदु पर कोई जिरह नहीं की किया गया. ऐसे में मृतक प्रामाणिक यात्री था को खारिज नहीं किया जा सकता.

मुआवजा देने का निर्देशः कोर्ट ने रेलवे दावा न्यायाधिकरण के आदेश दिनांक 3 अक्टूबर 2013 को रद्द करते हुए रेलवे को दो माह के भीतर मुआवजा राशि का भुगतान 6 प्रतिशत प्रति वर्ष ब्याज की दर से चार लाख रुपए का भुगतान करने का आदेश दिया.

क्या है नियम? दरअसल, रेलवे के नियम के अनुसार अगल कोई बिना टिकट ट्रेन में सफर कर रहा है. इस दौरान कोई हादसा होता है. किसी व्यक्ति की मौत या जख्मी होता है तो उस व्यक्ति को मुआवजे की राशि नहीं दी जाएगा. बिना टिकट यात्रा करने वाले को रेलवे यात्री नहीं मानता है.

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