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चौकीदार नियुक्ति मामले में गड़बड़ी को लेकर पटना हाईकोर्ट सख्त, पूर्वी चंपारण प्रशासन को दिया ये निर्देश - Chowkidar recruitment

Chowkidar appointment: पटना हाईकोर्ट में चौकीदार नियुक्ति में हुई गड़बड़ी मामले की सुनवाई है. कोर्ट ने पूर्वी चंपारण जिला प्रशासन को निर्देश दिया है कि तीन महीने में सही बहाली प्रक्रिया का पालन करके नियुक्ति सुनिश्चित की जाए.

चौकीदार नियुक्ति मामले में पटना हाईकोर्ट का निर्देश
चौकीदार नियुक्ति मामले में पटना हाईकोर्ट का निर्देश (ETV Bharat)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Aug 15, 2024, 5:38 PM IST

पटना:हाइकोर्ट पटना ने पूर्वी चम्पारण जिले में चौकीदारों की नियुक्ति में बरती गई अनियमितताओं को काफी गंभीरता से लिया है. जस्टिस विवेक चौधरी ने अर्जुन कुमार व अन्य की याचिकायों पर सुनवाई कर राज्य सरकार को सही बहाली प्रक्रिया का पालन कर इनकी बहाली प्रक्रिया तीन माह में पूरा करने का निर्देश दिया है.

चौकीदार नियुक्ति मामले में पटना हाईकोर्ट का निर्देश: कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अनियमित रूप से की गयी नियुक्ति का कोई वैध आधार नही है. कोर्ट ने वैध रूप से चौकीदारों की बहाली में रोस्टर,आरक्षण व अन्य प्रावधानों का पालन करते हुए प्रति वर्ष बहाली हो. कोर्ट ने इन 141 पदों पर बहाली के लिए पूरी वैध रूप से प्रक्रिया तीन माह में पूरी कर बहाली करने का निर्देश जिला प्रशासन को दिया.

पूर्वी चंपारण जिला प्रशासन को कोर्ट का निर्देश: याचिकाकर्ता के अधिवक्ता आशीष गिरी ने बताया कि पूर्वी चम्पारण जिले में चौकीदारों की नियुक्ति के लिए 2017 में एक विज्ञापन निकाला. अधिवक्ता आशीष गिरी ने बताया कि पूर्वी चम्पारण जिले मे चौकीदारों की नियुक्ति में आरक्षित पद थे. इनमें अनुसूचित जाति के लिए 21,पिछड़ी जाति के लिए 10 व सामान्य उम्मीदवारों के लिए 77 पद आरक्षित थे. ये स्थिति 2 जुलाई,2018 के अनुसार थी.

"जब 9 सितम्बर,2022 को अंतिम मेधा सूची बनी, तो उसमें अनुसूचित जनजाति व पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षित पद शून्य था. साथ ही सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों के पदों की संख्या 77 से घटा कर 63 रह गया. प्रशासन ने तर्क दिया कि चूंकि पूर्व में इन पदों पर अधिक संख्या में बहाली हुई है. इसलिए विभिन्न वर्गों के आरक्षण में कटौती की गयी है."- आशीष गिरी,अधिवक्ता

अधिवक्ता का पक्ष: अधिवक्ता गिरी ने बताया कि ये नियुक्तियां अवैध रूप से की गयी थी. इसका खामियाजा इन उम्मीदवारों को भुगतना पड़ा. ये भारतीय संविधान के विभिन्न प्रावधानों का उल्लंघन है.

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