पन्ना: पन्ना को यूं ही मंदरों की नगरी नहीं कहा जाता है. यहां एक से बढ़कर एक भव्य मंदिर हैं. इन्हीं मंदिरों में से एक है भगवान प्राणनाथ का मंदिर. कहा जाता है कि वैष्णव संप्रदाय से जुड़े महामति प्राणनाथ का यह मंदिर विश्व में सबसे बड़ा मंदिर है. यहां आज भी महाराजा छत्रसाल की राजवंश की परंपरा का निर्वहन किया जाता है.
कौन हैं भगवान प्राणनाथ
महामति प्राणनाथ जी भगवान का जन्म 6 अक्टूबर, 1618 को जामनगर, गुजरात में हुआ. उनका वास्तविक नाम मेहराज ठाकुर था. वह जामनगर के दीवान केशव ठाकुर की 5 संतानों में से एक थे. उनकी माता धन बाई एक धार्मिक महिला थीं. उनके परिजन वैष्णव संप्रदाय से संबंधित थे. बाल्यकाल से ही प्राणनाथ का झुकाव धार्मिक प्रवृत्ति की ओर था.
पन्ना में 11 साल रहे थे भगवान प्राणनाथ
ऐसा कहा जाता है कि महामति प्राणनाथ जी का विश्व में सबसे बड़ा मंदिर पन्ना में ही बना हुआ है. महामति प्राणनाथजी मंदिर प्राणामियों का एक महत्वपूर्ण तीर्थ है. प्रणामी संप्रदाय के सभी धर्म प्रेमी वर्ष में एक बार जरूर यहां आते हैं. शरद पूर्णिमा पर यहां विशाल मेले का आयोजन होता है. इस दौरान हजारों भक्त यहां पहुंचते हैं. ऐसा माना जाता है कि महामति प्राणनाथजी 11 साल तक इस स्थान पर रहे थे जिसके बाद उन्होंने इस मंदिर के एक गुंबद के अंदर समाधि ली थी. मंदिर 1692 में बनाया गया था और इसके गुंबदों और कमल संरचनाओं में हिंदू स्थापत्य शैली है. मंदिर को 6 भागों में बांटा गया है जैसे श्री गुम्मटजी, श्री बंगलाजी, श्री सदगुरू मंदिर, श्री बैजूराजजी मंदिर, श्री चौपड़ा मंदिर और श्री खेजड़ा मंदिर.