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केन-बेतवा लिंक परियोजना से बदलेगी बुंदेलखंड की तस्वीर, अटल बिहारी का सपना पूरा - KEN BETWA LINK PROJECT

केन-बेतवा लिंक परियोजना से मध्यप्रदेश की 44 लाख एवं उत्तर प्रदेश की 21 लाख आबादी को पेयजल की सुविधा मिल सकेगी.

KEN BETWA LINK PROJECT
केन-बेतवा लिंक परियोजना से बदलेगी बुंदेलखंड क्षेत्र की तस्वीर (ETV Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Dec 24, 2024, 4:21 PM IST

Updated : Dec 24, 2024, 4:29 PM IST

पन्ना/दमोह: केन-बेतवा लिंक राष्ट्रीय परियोजना मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश के बीच परस्पर सहयोग एवं समन्वय का एक अनूठा उदाहरण है. पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्व. अटल बिहारी वाजपेयी के नदी जोड़ो अभियान का सपना साकार होने जा रहा है. इसे पूरा करने का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बीड़ा उठाया है. पीएम मोदी इस परियोजना का भूमि पूजन 25 दिसंबर को करेंगे.

ऐसा रहेगा बांध का स्ट्रक्चर

केन-बेतवा लिंक राष्ट्रीय परियोजना, देश में भूमिगत दाबयुक्त पाइप सिंचाई प्रणाली अपनाने वाली सबसे बड़ी सिंचाई परियोजना होगी. यह परियोजना मध्यप्रदेश के छतरपुर और पन्ना जिले में केन नदी पर निर्मित की जा रही है. परियोजना के अंतर्गत पन्ना टाइगर रिजर्व में केन नदी पर 77 मीटर ऊंचाई एवं 2.13 किलोमीटर लंबाई के दौधन बांध एवं 2 टनल (अपर लेवल 1.9 किमी एवं लोअर लेवल 1.1 किमी) का निर्माण कर बांध में 2,853 मिलियन घन मीटर पानी को इकठ्ठा किया जायेगा.

केन नदी पर दौधन बांध से 221 किमी लंबी लिंक नहर के द्वारा दोनों राज्यों में सिंचाई एवं पेयजल की सुविधा देते हुये केन नदी के बचे हुए पानी को बेतवा नदी में छोड़ा जाएगा.

पूरा होने जा रहा अटल बिहारी का सपना (ETV Bharat)

उत्तर प्रदेश को होगा फायदा

इस परियोजना से उत्तरप्रदेश के महोबा, झांसी, ललितपुर एवं बांदा जिलों में भी सिंचाई सुविधा प्राप्त होगी. इस परियोजना से मध्यप्रदेश की 44 लाख एवं उत्तर प्रदेश की 21 लाख आबादी को पेयजल की सुविधा मिल सकेगी. डोड़न बांध बन जाने से उत्तर प्रदेश में बाढ़ जैसे हालातों का खतरा कम हो जाएगा. इस परियोजना का लाभ मध्यप्रदेश सहित उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों को होगा जो बुंदेलखंड से लगे हुए हैं.

बुंदेलखंड की लाइफ लाइन है केन-बेतवा लिंक परियोजना (ETV Bharat)

चंदेल कालीन तालाब होंगे रिचार्ज

परियोजना के अंतर्गत विरासत में प्राप्त ऐतिहासिक चंदेल कालीन तालाबों को सहेजने का कार्य भी शामिल है. मध्यप्रदेश के छतरपुर, टीकमगढ़ एवं निवाड़ी जिलों में चंदेल कालीन 42 तालाबों की मरम्मत और जीर्णोधार कर बारिश में जल भराव होगा. जिससे ग्रामीण क्षेत्रों को लाभ एवं भू-गर्भीय जलस्तर में बढ़ोत्तरी होगी.

अटल बिहारी वाजपेयी का सपना रहा है नदी जोड़ो अभियान (ETV Bharat)

25 दिसंबर को पीएम नरेंद्र मोदी करेंगे शिलान्यास

केन-बेतवा लिंक परियोजना का शिलान्यास 25 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे. यह परियोजना सूखे बुंदेलखंड सहित यूपी के कई जिलों के लिए गेम चेंजर साबित होगी. इस परियोजना से रायसेन, टीकमगढ़, छतरपुर, दतिया और पन्ना ही नहीं बल्कि दमोह जिले का भी एक बड़ा सूखा इलाका सिंचित होने लगेगा.

केन-बेतवा से कितनी बदलेगी तस्वीर

केन-बेतवा लिंक परियोजना से दमोह जिले की तहसील हटा के ग्राम अमझिर, भड़कुरा, धौरिया, कुंवर पुरा, पनारी, दमोतीपुरा, डोंगरपुरा, सेमरापति मॉल, रैय्यत, सुनेरा, सिलापरी, झरयार, बछामा, घोघरा, घूरखेड़ा, कारीबरा, मड़ियादो एवं तहसील पटेरा के ग्राम खेरी हरकिशन, घुघरी मिसर, चैनपुरा, रोडा, पटना, कूमी, जमुनिया, भटिया, कुटरी, पिपरिया मिसर, पंडरी दुबे, बिजोरी पाठक, मड़देही, कंजरा, बनगांव, बमुरिया, पटेरा सहित 266 गांवों में पानी पहुंचेगा. इस परियोजना से दमोह जिले का करीब एक लाख हेक्टेयर से अधिक का रकबा सिंचित होगा.

अभी क्या है तस्वीर

दमोह जिले की सबसे बड़ी पंचम नगर सिंचाई परियोजना है. 674 करोड़ रुपये की लागत वाली इस योजना से 25 हजार हेक्टेयर रकवा सिंचित हो रहा है. जिसमें सागर जिले का हिस्सा अलग है. इसी तरह सतधरू की लागत 250 करोड़ रुपए है. इससे 24 ग्रामों में 17 हजार एकड़ जमीन सिंचित हो रही है. तीसरी सीतानगर परियोजना है. कुल सिंचाई क्षेत्र 16 हजार 200 हेक्टेयर है.

'अटल बिहारी वाजपेयी का सपना साकार'

केन-बेतवा लिंक को लेकर सांसद राहुल सिंह ने कलेक्ट्रेट में एक बैठक ली. जिसमें जिले के आला अधिकारी और जनप्रतिनिधि मौजूद थे. इस दौरानसांसद राहुल सिंह लोधीने कहा कि "अटल बिहारी वाजपेयी का सपना साकार होने जा रहा है. दमोह ही नहीं पूरा मध्य प्रदेश सिंचाई के मामले में अब पंजाब को पीछे छोड़ देगा."

बुंदेलखंड में रुकेगा पलायन

केन-बेतवा लिंक परियोजना से 10 जिलों की 44 लाख आबादी को पेयजल की सुविधा मिलेगी. वहीं सूखाग्रस्त बुंदेलखंड क्षेत्र में भूजल स्तर की स्थिति में सुधार, औद्योगीकरण, निवेश एवं पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे. इससे स्थानीय स्तर पर लोगों में आत्मनिर्भरता आएगी तथा लोगों का पलायन भी रुकेगा.

Last Updated : Dec 24, 2024, 4:29 PM IST

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