पन्ना : हीरे की उथली खदानें खोदने के लिए राजू आदिवासी के साथ मिलकर तीन लोगों ने शासकीय अनुमति लेते हुए पट्टा बनवाया है. राजू आदिवासी ने बताया कि हीरे की खोज के लिए उथली खदान लगाई है. ईश्वर की कृपा हुई और किस्मत ने साथ दिया तो निश्चित ही हीरा मिलेगा. उन्होंने कहा कि कभी-कभी तो सालों हीरा नहीं मिलता और अगर किस्मत अच्छी रही तो दो या तीन दिन में हीरा मिल जाता है. राजू ने बताया कि कृष्णा कल्याणपुर पट्टी से जो भी हीरा मिलेगा, उसे शासकीय हीरा कार्यालय में जमा करवाएंगे और जो पैसा मिलेगा, वो तीनों साथियों में बांट लेंगे.
हीरे की उथली खदानों से कैसे निकलता है हीरा?
हीरे की खोज कर रहे मजदूर राजू आदिवासी ने बताया, '' पहले हीरे की खोज के लिए हीरा कार्यालय से शासकीय पट्टा बनवाना पड़ता है. इसके बाद हीरा कार्यालय के हवलदार द्वारा जमीन चिन्हित कर दी जाती है. इसके बाद वहां पर गड्ढा खोदने का काम शुरू होता है. कई फीट मिट्टी हटाने के बाद हीरे का चाल मिलता है. इस चाल को दूसरे गड्ढे में डालकर पानी से धोने की प्रक्रिया शुरू की जाती है और उसकी मिट्टी हटाई जाती है. सिर्फ कंकड़-कंकड़ बच जाते हैं और इन्हीं कंकड़ों में हीरे मिलते हैं.
फिर शुरू होता है बिनाई का काम
हीरे के चाल से मिले कंकड़ के ढेर को साफ जगह पर फैला दिया जाता है. फिर कंकड़ों के फैले हुए हिस्सों में एक तरफ से बिनाई का काम चालू किया जाता है. अगर किस्मत चमकी तो इसी कंकड़ के बीच हीरा मिल जाता है. कई बार इस चाल में छोटे-छोटे कई हीरे मिल जाते हैं, तो कभी बड़े. कई बार ऐसा भी होता है कि कुछ भी नहीं मिलता.
कौन खोद सकता है हीरे की खदान?
पन्ना हीरा कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार कोई भी भारतीय नागरिक पन्ना में हीरे की उथली खदान हीरा कार्यालय से पट्टा बनवाकर खोद सकता है. इसके लिए लगभग 250 रुपए का चालान लगता है और शासकीय दस्तावेजों को पूरा करना होता है. हीरा कार्यालय पन्ना द्वारा हीरे की उथली खदान खोदने के लिए चिन्हित ग्राम में पट्टा बना दिया जाता है और हीरा कार्यालय के हवलदार द्वारा पट्टाधारी व्यक्ति को चिन्हित स्थान बता दिया जाता है. पन्ना में हीरे की खोज के लिए भारत के अलग-अलग हिस्सों से अपनी किस्मत आजमाने लोग आते हैं. पिछले वर्ष दिल्ली के नोएडा के लोगों ने हीरे की खोज के लिए यहां खदान लगाई थी, जिनकी किस्मत चमकी और उन्हें बेशकीमती हीरा मिला था.