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पंच तत्वों से मां नंदा-सुनंदा की उतारी गई नजर, भावुक विदाई का दौर शुरू - MA Nanda Sunanda Festival 2024 - MA NANDA SUNANDA FESTIVAL 2024

MA Nanda Sunanda Festival 2024 मां नंदा-सुनंदा महोत्सव अपने चरम पर पहुंच गया है. इसी बीच पंच तत्वों से मां नंदा-सुनंदा की आरती की गई, जो आकर्षण का केंद्र बनी हुई है. पंच आरती में पर्यटकों ने शामिल होकर मां का आशीर्वाद लिया.

MA Nanda Sunanda Festival 2024
पंच तत्वों से मां नंदा-सुनंदा की उतारी गई नजार (photo-ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Sep 15, 2024, 3:25 PM IST

Updated : Sep 15, 2024, 9:54 PM IST

नैनीताल:मां नंदा-सुनंदा महोत्सव में कोई ना कोई धार्मिक अनुष्ठान होता रहता है. इसी बीच मां के दरबार में पंच आरती का आयोजन किया गया, जिसमें स्थानीय भक्तों के साथ-साथ विदेशी भक्त शामिल हुए. मान्यता है कि पंच आरती में शामिल होने से लोगों पर मां नंदा-सुनंदा की असीम कृपा होती है, इसलिए सैकड़ों श्रद्धालु प्रतिभाग करते हैं.

पंच तत्वों से मां नंदा-सुनंदा की उतारी गई नजर (VIDEO-ETV Bharat)

पंच तत्वों से हुई मां नंदा-सुनंदा की आरती:पंडित भगवती प्रसाद जोशी ने बताया कि मां नंदा-सुनंदा की आराधना में पंच आरती का विशेष महत्व है. मां नंदा-सुनंदा की होने वाली इस पंच आरती की विशेषता है कि इस आरती को पांच तत्वों फुल, कपड़ा, पानी, वायु और अग्नि से मां नंदा-सुनंदा की आराधना की जाती है और उनकी नजर उतारी जाती है. उन्होंने कहा कि पंच आरती में पृथ्वी ,जल,प्रकाश ,वायु ,आकाश और अंतरिक्ष को शामिल किया जाता है.

रानीखेत में मां नंदा-सुनंदा को दी गई विदाई (VIDEO-ETV Bharat)

सूर्य अस्त के बाद होती है पंच आरती:भगवती प्रसाद जोशी ने बताया कि पंच आरती का उल्लेख स्कंद पुराण में मिलता है, जो अरिष्ट,विपत्ति,कष्ट और कलेश को हरती हैं. आरती श्रद्धा,आराधना,ध्यान और भावना का मार्ग है. आरती अंधकार में प्रकाश नामक दीप दिखाती है. उन्होंने कहा कि पंच आरती सूर्य अस्त के बाद की जाती है.

नंदा-सुनंदा की भावुक विदाई का दौर शुरू (photo-ETV Bharat)

सैलानियों ने मां नंदा-सुनंदा का लिया आशीर्वाद:प्रो. ललित तिवारी ने बताया कि पंच आरती सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को दर्शाती है, जो स्नेह, निरोगता और समृद्धि को बढ़ाती है. वहीं, प्रयागराज से नैनीताल घूमने पहुंचे पर्यटकों का कहना है कि उन्होंने इस तरह की पूजा और मां का चमत्कार पहली बार देखा है. मां के मंदिर और उनके चमत्कारों के बारे में सुनकर उनकी आस्था बढ़ गई है.

मां नंदा-सुनंदा महोत्सव में दिखी उत्तराखंड की संस्कृति (photo-ETV Bharat)

रानीखेत में मां नंदा-सुनंदा को दी गई विदाई:रानीखेत में मां नंदा -सुनंदा की भव्य शोभायात्रा के साथ मां को नम आंखों से विदाई दी गई. नित्य पूजा के बाद जरूरी बाजार स्थित नंदा देवी मंदिर से भजन कीर्तन और नगाड़े के साथ मां नंदा-सुनंदा का भव्य डोला शुरू हुआ. इसी बीच बेटी-बहन के रूप में नंदा-सुनंदा के दर्शनों और विदा करने के लिए दूर दराज से लोग पहुंचे. जगह-जगह मां की आरती हुई.

मां नंदा-सुनंदा की झलक पाने के लिए उमड़े लोग (photo-ETV Bharat)

नंदा सुनंदा महोत्सव का समापन:नैनीताल में चल रहे मां नंदा सुनंदा महोत्सव का डोला विसर्जन के साथ समापन हो गया है. समापन के मौके पर नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य मौजूद रहे. नंदा सुनंदा महोत्सव का शुभारंभ 8 सितंबर से शुरू हुआ था, जिसके बाद मां नंदा सुनंदा की मूर्ति को भक्तों के दर्शन के लिए रखा गया था. आज मां नंदा सुनंदा के डोले को भक्तों ने नयना देवी मंदिर से ढोल नगाड़ों के साथ नगर में भ्रमण कराया, जिसमें छोलिया नृत्य, मां काली की झांकिया व शिव पार्वती मुख्य आकर्षण का केन्द्र रही.

कुमाऊं की कुल देवी हैंमां नंदा सुनंदा:बता दें कि मां नंदा-सुनंदा को कुमाऊं में कुल देवी के रूप में पूजा जाता है. चंद राजाओं के दौर में मां नंदा-सुनंदा को कुल देवी के रूप में चंद राजा पूजा करते थे और अब संपूर्ण कुमाऊं क्षेत्र के लोग मां नंदा-सुनंदा को कुल देवी के रूप में पूजते हैं. ऐसा माना जाता है कि मां नंदा और सुनंदा साल में एक बार अपने मायके यानी कुमाऊं आती हैं. यही कारण है कि अष्टमी के दिन विभिन्न स्थानों पर मां नंदा और सुनंदा की प्रतिमा तैयार कर प्राण प्रतिष्ठा के बाद समझा जाता है कि मां नंदा-सुनंदा अपने मायके पहुंच गई हैं. मां नंदा-सुनंदा तीन दिनों तक कुमाऊं में रहने के बाद नैनी झील में डोला का विसर्जनके बाद मां नंदा-सुनंदा को मायके नैनीताल से ससुराल विदा हो गई हैं.

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Last Updated : Sep 15, 2024, 9:54 PM IST

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