कुरुक्षेत्र:हरियाणा प्राकृतिक खेती के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध हो रहा है. इसके लिए सरकार भी किसानों को खूब प्रोत्साहित कर रही है. इसी कड़ी में कुरुक्षेत्र निवासी प्राकृतिक खेती प्रोजेक्ट के स्टेट एडवाइजर डॉ. हरिओम का नाम साइंस एंड इंजीनियरिंग में नेचुरल फार्मिंग को प्रमोट करने और 4000 से ज्यादा गांव के किसानों को ट्रेनिंग देने के चलते पद्मश्री के लिए घोषित किया गया है.
पद्मश्री डॉ. हरिओम ने ईटीवी भारत टीम से बातचीत में कहा कि वह देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राज्यपाल आचार्य देवव्रत का आभार व्यक्त करते हैं. उन्होंने कहा कि यह पद्मश्री उनका प्राकृतिक खेती में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि आज के समय में प्राकृतिक खेती बहुत ज्यादा जरूरी है. डॉ. हरिओम ने बताया कि कल शाम को उनके पास फोन आया था, जब उनको पता चला कि उनका नाम पद्मश्री के लिए घोषित किया गया है. तो उनके घर में रिश्तेदारों में खुशी का माहौल है.
वैज्ञानिकों को दे चुके हैं ट्रेनिंग:डॉ. हरिओम ने कहा कि वह देश के अलग-अलग हिस्सों के कई वैज्ञानिकों व अधिकारियों को अब तक ट्रेनिंग दे चुके हैं. गुरुकुल कुरुक्षेत्र के प्राकृतिक खेती में राष्ट्रपति गवर्नर व देश के अलग-अलग हिस्सों से वैज्ञानिक भी आ चुके हैं. जिनको वह प्राकृतिक खेती का महत्व बता चुके हैं. कुरुक्षेत्र में उनसे प्राकृतिक खेती के गुर सीखने के लिए सैकड़ो की संख्या में कृषि विभाग से जुड़े हुए वैज्ञानिक यहां पर पहुंचते हैं. जो यहां पर प्राकृतिक खेती के बारे में डॉक्टर हरिओम से ट्रेनिंग लेते हैं. इतना ही नहीं डॉक्टर हरिओम के प्राकृतिक खेती मॉडल को देखने के लिए क्षेत्र गुरुकुल में दूसरे देशों से भी वैज्ञानिक एवं किसान कुरुक्षेत्र में पहुंचते हैं और उसकी जानकारी लेते हैं.
4,000 गांव में किसानों की दी ट्रेनिंग:डॉ. हरिओम ने बताया कि प्राकृतिक खेती से पिछले काफी समय से वह जुड़े हुए हैं और किसानों को भी इसके प्रति प्रेरित कर रहे हैं. पूरे भारत के 4000 गांव से ज्यादा लाखों किसानों को प्राकृतिक खेती के बारे में ट्रेनिंग दे चुके हैं. इसके बाद वह रासायनिक खेती को छोड़कर प्राकृतिक खेती कर रहे हैं. डॉ. हरिओम का कहना है कि उन्होंने अपने आप को प्राकृतिक खेती के लिए समर्पित किया हुआ है. उनका लक्ष्य है कि पूरे भारत में सभी किसान प्राकृतिक खेती को अपनाये. उन्होंने बताया कि उनके द्वारा प्राकृतिक खेती अपनाने वाले भारतवर्ष से करीब पांच ऐसे किसान है, जिनको प्राकृतिक खेती में अच्छा काम करने के चलते सरकार द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुका है.