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फरीदाबाद के सूरजकुंड मेले में छा गई बांस से बनी ज्वैलरी, इयररिंग, टॉप्स और नौलखा बने पर्यटकों की पसंद - SURAJKUND FAIR IN FARIDABAD

फरीदाबाद में चल रहे सूरजकुंड मेले में मेघालय के शिल्पकारों के द्वारा तैयार बांस की ज्वैलरी को पर्यटक खूब पसंद कर रहे हैं.

SURAJKUND FAIR IN FARIDABAD
बांस की ज्वैलरी (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Feb 8, 2025, 10:59 PM IST

फरीदाबादः 7 से 23 फरवरी तक फरीदाबाद में चलने वाले सूरजकुंड शिल्प मेले का शनिवार को दूसरा दिन है. देश-विदेश के पर्यटकों की संख्या बढ़ने के साथ ही धीरे-धीरे मेले की रौनक बढ़ने लगी है. मेघालय से पहुंचे शिल्पकारों की ओर से तैयार बांस की ज्वैलरी की मेले में पर्यटक काफी पसंद कर रहे हैं. बांस से तैयार कान की बाली, इयररिंग, टॉप्स, नौलखा हार सहित अन्य ज्वैलरी और सजावटी सामग्री को पर्यटक काफी पसंद कर रहे हैं.

कई पीढ़ियों तैयार कर रहे हैं बांस के उत्पादः मेघालय निवासी हस्तशिल्पी टेस्बे पहली बार 38वें सूरजकुंड मेले में आई है. उनके परिवार में कई पीढ़ी से बांस से उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं. बचपन से ही उन्होंने अपनी मां को बांस काटकर लाते और फिर उससे विभिन्न प्रकार के प्रोडक्ट तैयार करते देखा है. उसकी मां ने ये कला दादी से सीखी थी. पहले वो सिर्फ बांस से टोकरी, घर के सजावटी सामान, कुर्सी आदि बनाती थीं. लेकिन उसकी मां ने बांस से महिलाओं के लिए ज्वैलरी बनाना शुरू किया.

सूरजकुंड मेले में बांस की ज्वैलरी (Etv Bharat)

कैसे तैयार होती है बांस की ज्वैलरीः बांस को जंगल से काटकर लाने के बाद 5 दिन बांस को पानी में भिगोकर रखा जाता है. ताकि वो पूरी तरह से नरम हो जाए और किसी शेप में उसको ढाला जा सके. पानी से निकालने के बाद चाकू से बांस की बारीक-बारीक कटिंग की जाती है. उसके बाद उस कटिंग से महिलाओं के लिए इयररिंग, टॉप्स, नौलखा हार, कान की बाली समेत अन्य खूबसूरत आभूषण तैयार किए जाते हैं.

महिलाएं खूब पसंद कर रही हैं बांस की ज्वैलरीः बांस से बने उत्पाद कम लागत में तैयार होते हैं, जिनकी बाजार में कीमत दूसरी धातु के आभूषणों से काफी कम होती है. यूज करने के बाद इन आभूषणों को नष्ट करना बेहद आसान होता है. मेले में महिलाओं को बांस से बनी ज्वैलरी बेहद पसंद आ रही है. मेले में पहली बार आने पर शिल्पकार टेस्बे को बहुत अच्छा लग रहा है.

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फरीदाबादः 7 से 23 फरवरी तक फरीदाबाद में चलने वाले सूरजकुंड शिल्प मेले का शनिवार को दूसरा दिन है. देश-विदेश के पर्यटकों की संख्या बढ़ने के साथ ही धीरे-धीरे मेले की रौनक बढ़ने लगी है. मेघालय से पहुंचे शिल्पकारों की ओर से तैयार बांस की ज्वैलरी की मेले में पर्यटक काफी पसंद कर रहे हैं. बांस से तैयार कान की बाली, इयररिंग, टॉप्स, नौलखा हार सहित अन्य ज्वैलरी और सजावटी सामग्री को पर्यटक काफी पसंद कर रहे हैं.

कई पीढ़ियों तैयार कर रहे हैं बांस के उत्पादः मेघालय निवासी हस्तशिल्पी टेस्बे पहली बार 38वें सूरजकुंड मेले में आई है. उनके परिवार में कई पीढ़ी से बांस से उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं. बचपन से ही उन्होंने अपनी मां को बांस काटकर लाते और फिर उससे विभिन्न प्रकार के प्रोडक्ट तैयार करते देखा है. उसकी मां ने ये कला दादी से सीखी थी. पहले वो सिर्फ बांस से टोकरी, घर के सजावटी सामान, कुर्सी आदि बनाती थीं. लेकिन उसकी मां ने बांस से महिलाओं के लिए ज्वैलरी बनाना शुरू किया.

सूरजकुंड मेले में बांस की ज्वैलरी (Etv Bharat)

कैसे तैयार होती है बांस की ज्वैलरीः बांस को जंगल से काटकर लाने के बाद 5 दिन बांस को पानी में भिगोकर रखा जाता है. ताकि वो पूरी तरह से नरम हो जाए और किसी शेप में उसको ढाला जा सके. पानी से निकालने के बाद चाकू से बांस की बारीक-बारीक कटिंग की जाती है. उसके बाद उस कटिंग से महिलाओं के लिए इयररिंग, टॉप्स, नौलखा हार, कान की बाली समेत अन्य खूबसूरत आभूषण तैयार किए जाते हैं.

महिलाएं खूब पसंद कर रही हैं बांस की ज्वैलरीः बांस से बने उत्पाद कम लागत में तैयार होते हैं, जिनकी बाजार में कीमत दूसरी धातु के आभूषणों से काफी कम होती है. यूज करने के बाद इन आभूषणों को नष्ट करना बेहद आसान होता है. मेले में महिलाओं को बांस से बनी ज्वैलरी बेहद पसंद आ रही है. मेले में पहली बार आने पर शिल्पकार टेस्बे को बहुत अच्छा लग रहा है.

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