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पद्मश्री और राष्ट्रपति अवॉर्डी मुसाफिर भारद्वाज का निधन, राजकीय सम्मान के साथ हुआ अंतिम संस्कार - MUSAFIR BHARDWAJ

पद्मश्री सम्मान प्राप्त चंबा के मुसाफिर भारद्वाज का निधन हो गया. 2014 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया था.

पद्मश्री ग्रहण करते मुसाफिर भारद्वाज
पद्मश्री ग्रहण करते मुसाफिर भारद्वाज (फाइल फोटो)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Nov 9, 2024, 7:22 PM IST

चंबा: पद्मश्री और राष्ट्रपति अवॉर्ड से सम्मानित मुसाफिर भारद्वाज का करीब 94 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. मुसाफिर भारद्वाज मूलत: जिला चंबा के भरमौर उपमंडल के संचूई गांव के रहने वाले थे. उन्होंने पठानकोट स्थित अपने आवास पर अंतिम सांस ली. वो कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे और बीते रोज शाम पौने सात बजे घर पर उन्होंने अंतिम सांस ली. राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया.

जानकारी के अनुसार मुसाफिर भारद्वाज को वर्ष 2014 में पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा गया था. मुसाफिर राम भारद्वाज का जन्म चंबा जिला के संचुई (भरमौर) में दीवाना राम के घर 1930 में हुआ. हांलांकि गांववासियों की मानें तो वह अपनी आयु का शतक पूरा कर चुके थे और इनकी आयु 101 वर्ष के आसपास थी. मुसाफिर भारद्वाज की कोई व्यवहारिक शिक्षा नहीं हुई थी. इन्होंने 13 साल की उम्र में पौण माता बजाना सीखा था. इन्होंने 2010 में दिल्ली में राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान भी प्रस्तुति दी थी. मुसाफिर राम किसानी के साथ साथ दर्जी का भी काम करते थे. इनके चार बेटे और दो बेटियां हैं.

मुसाफिर भारद्वाज (ETV BHARAT)

बता दें कि पौण माता एक पारंपरिक वाद्य यंत्र है, जो तांबे के यंत्र पर भेड़े की खाल से बनता है. इसके लिए उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. मुसाफिर भारद्वाज शिव चेले भी थे और उतर भारत की प्रसिद्ध मणिमहेश यात्रा के दौरान बड़े शाही स्नान में डल तोड़ने की रस्म भी निभाते थे.

2014 में पद्मश्री ग्रहण करने के बाद सामूहिक चित्र में मुसाफिर भारद्वाज (ETV BHARAT)

उधर, मुसाफिर भारद्वाज के निधन का समाचार भरमौर में शनिवार को मिला और यह खबर फैलते ही समूचा क्षेत्र गमगीन हो गया. पांगी भरमौर विधानसभा क्षेत्र के विधायक डॉ. जनक राज, हिमाचल प्रदेश के पूर्व वन मंत्री ठाकुर सिंह भरमौरी, पूर्व विधायक जिया लाल कपूर समेत एडीएम भरमौर कुलवीर सिंह राणा ने उनके निधन पर शोक जताया है. डा. जनक राज ने कहा कि,'उनके निधन से गद्दी समुदाय को एक बड़ी क्षति हुई है, जिसकी भरपाई नहीं की जा सकती'
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