कोटा :संभाग में 150 करोड़ से ज्यादा की आतिशबाजी की बिक्री दुकानों पर हुई थी और जमकर लोगों ने आतिशबाजी भी की है. ग्रीन के साथ-साथ भारी धूम धड़ाके और तेज आवाज वाले पटाखे भी बड़ी संख्या में चले. ऐसे में इनसे झुलसने के मामले भी बड़ी संख्या में आए. दूसरी तरफ आंख पर चोट लगने के भी करीब 50 से ज्यादा मामले कोटा संभाग के अस्पतालों में पहुंचे हैं. सर्वाधिक 20 मामले तो मेडिकल कॉलेज के एमबीएस अस्पताल में ही आए हैं, जबकि शेष निजी और अन्य जिला अस्पतालों में पहुंचे हैं. इनमें से करीब 12 लोगों की आंखों की रोशनी फिलहाल चली गई है.
मेडिकल कॉलेज के नेत्र रोग विभाग अध्यक्ष डॉ. अशोक मीणा का कहना है कि बीते तीन से चार दिनों में दिवाली पर पटाखे चलने की वजह से करीब 24 मरीजों की आंखों की परेशानी हुई है. यह सभी एमबीएस अस्पताल के नेत्र रोग विभाग में दिखाने के लिए पहुंचे थे. पटाखे जलाने की वजह से मरीजों को आंखों में सामान्य से गंभीर चोट आई है. इनमें अधिकांश मरीज की उम्र 10 से 22 साल के बीच हैं. हालांकि, ज्यादातर मरीजों को सामान्य चोट आई है, लेकिन चार मरीजों को गंभीर चोट होने की वजह से उनको दिखना बंद हो गया था. डॉ. मीणा का यह भी कहना है कि इन मरीजों की रोशनी वापस लौटती है या नहीं, यह रिकवरी पर ही निर्भर है. एक मरीज की रोशनी तो बढ़ गई है.
पढ़ें.Rajasthan: दिवाली पर पटाखों से 6 बच्चों की आंखों की रोशनी पर संकट, एक युवती की दोनों आंखें खराब
ऑपरेशन कर निकाला आंख से कांच का टुकड़ा :डॉ. मीणा ने कहा कि ज्यादातर मरीजों का दवाई देकर इलाज किया जा रहा है. एक मरीज का पटाखे (रॉकेट) चलाने की वजह से कांच का टुकड़ा आंख में चला गया, जिससे मरीज की आंख फट गई. साथ में आंख की पलक भी कट गई और दिखना भी बंद हो गया. इसके लिए मरीज की आंख का ऑपरेशन किया गया. एक मरीज का पटाखे (अनार) चलाने की वजह से चेहरा झुलस गया है.
आंखों में चोट के साथ मोतियाबिंद भी हुआ :सुवि नेत्र चिकित्सालय के निदेशक डॉ. सुरेश पांडेय का कहना है कि कोटा संभाग से उनके अस्पताल में पटाखे से आंखों में कई तरह की चोट लगने के करीब 12 मरीज आए हैं. इनमें भी अधिकांश बच्चे ही हैं. इनमें कॉर्निया या पारदर्शी पुतली पर जख्म बनना, आंखों में खून उतर आना, पलकों का जल जाना, पलकों या कॉर्निया पर पटाखों की राख चिपकना और आंखों में इन्फेक्शन के मामले हैं. इसके अलावा बारां निवासी 23 साल के युवक की आंख में पटाखा जाने की वजह से मोतियाबिंद भी बन गया है. वहीं, 12 साल की बालिका के पटाखे जलाते समय आंख में चोट लग गई, जिसके चलते उसे भी मोतियाबिंद हो गया. अब उसकी रोशनी भी चली गई. ऐसे में करीब 1 महीने बाद ऑपरेशन कर कृत्रिम लेंस का प्रत्यारोपण किया जाना है.
पढे़ं.Rajasthan: कोटा संभाग में पटाखों पर फूंके डेढ़ सौ करोड़ रुपए, आतिशबाजी में सौ से ज्यादा लोग झुलसे
शरीर में घुस गए टुकड़े :सांगोद में 18 साल का युवक स्टील के लोटे में रखकर बम को जला रहा था. ऐसे में बम के फटने के साथ ही स्टील के लोटे के भी टुकड़े-टुकड़े हो गए. इस लोटे के स्टील के कई टुकड़े इस युवक के शरीर में भी घुस गए. कंधे में एक बड़ा स्टील का टुकड़ा घुस गया और काफी बड़ा कट कंधे पर लग गया है. इसके बाद उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां पर ऑपरेशन कर इस टुकड़े को बाहर निकाला है.