जोधपुर.मारवाड़ में जालौर के बाद पाली एक ऐसी संसदीय सीट है, जहां के लोग स्थानियों से ज्यादा परदेशियों को चुनाव जीतना पसंद करते हैं. साल 1952 से 2019 तक के 17 चुनावों में 11 बार ऐसा हुआ है, जब पाली के लोगों ने बाहरी प्रतिनिधित्व को स्वीकारा है. वहीं, 2009 के बाद से राज्य की दोनों ही प्रमुख पार्टियां लगातार बाहरी उम्मीदवार को मैदान में उतारते आ रही हैं. परिसीमन के बाद हुए 2009, 2014 और 2019 के चुनाव के बाद अब 2024 में भी ऐसी ही स्थिति बनी है. इस बार भी पाली लोकसभा सीट से जोधपुर का ही सांसद बनेगा, क्योंकि भाजपा के पीपी चौधरी और कांग्रेस की उम्मीदवार संगीता बेनीवाल दोनों ही जोधपुर से हैं.
शुरुआत ही बाहरी से हुई :देश में आम चुनाव की शुरुआत साल 1952 में हुई. पहले चुनाव में पाली के लोगों ने जोधपुर के अजीत सिंह को निर्दलीय चुनाव जीता कर दिल्ली भेजा था. उसके बाद 1967 तक बाहरी ही यहां चुनाव जीतता रहा. 1971 में पहली बार पाली के निवासी मूलचंद डागा कांग्रेस की टिकट पर यहां चुनाव जीते थे. इसके बाद बाड़मेर के अमृतलाल नाहटा यहां से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे. वहीं, तीन चुनावों के बाद जोधपुर के गुमानमल लोढा यहां से लगातार तीन बार चुनाव जीते. हालांकि, गुमानमल लोढा के बाद पाली की जनता ने अपने स्थानीय प्रतिनिधि पर विश्वास जताया और लगातार दो बार पुष्प जैन को चुनाव जिताया.
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2008 में परिसीमन के बाद 2009 में हुए चुनाव में पहली बार जोधपुर के बद्रीराम जाखड़ यहां से चुनाव जीते. उसके बाद 2014 और 2019 के चुनाव में भी जोधपुर निवासी व भाजपा के वरिष्ठ नेता पीपी चौधरी लगातार दो बार जीत दर्ज करने में कामयाब रहे. इस बार चौधरी जीत की हैट्रिक लगाने के लिए मैदान में हैं.