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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा- बिना कारण आदेश नैसर्गिक न्याय का उल्लंघन, बेदखली का आदेश रद्द

यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने हापुड़ के कमल सिंह शर्मा की याचिका पर दिया.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 4 hours ago

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि बिना कारण दर्ज किए किया गया आदेश नैसर्गिक न्याय का उल्लंघन है. अधिकारियों को आदेश जारी करते समय उस आदेश को देने का कारण अनिवार्य रूप से दर्ज करना चाहिए. विशेषकर यदि उसका आदेश किसी पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाला हो. यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने हापुड़ के कमल सिंह शर्मा की याचिका पर दिया.

याची को तहसीलदार गढ़मुक्तेश्वर ने 29 जनवरी 2024 को आदेश पारित कर विवादित जमीन से बेदखल करने का आदेश दिया. कहा कि याची ने ग्राम सभा की भूमि पर अवैध कब्जा कर रखा है. एक लाख 20 हजार चार सौ 88 रुपये हर्जाना भी लगाया गया. इस आदेश को याची ने हाईकोर्ट में चुनौती दी.

याची के वकील राकेश कुमार त्रिपाठी ने कहा कि तहसीलदार ने बिना कोई कारण दर्ज किए आदेश पारित किया है. हर्जाना क्यों लगाया है, इसका भी कोई कारण नहीं बताया है. कोर्ट ने तहसीलदार गढ़मुक्तेश्वर के पारित आदेश को रद्द कर दिया. साथ ही निर्देश दिया है कि चार माह के अंदर संबंधित पक्षों को सुनवाई का अवसर देते हुए नया आदेश पारित करें.

बिना डिग्री डॉक्टरी करने व दवा बेचने में जांच और कार्रवाई का निर्देश

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ड्रग्स लाइसेंसिंग अथारिटी को अनधिकृत डॉक्टर के खिलाफ एक्सपायरी दवा बेचने की शिकायत की जांच कर कार्रवाई करने का निर्देश दिया. यह आदेश न्यायमूर्ति शेखर बी सराफ एवं न्यायमूर्ति वीसी दीक्षित की खंडपीठ ने वागीश कुमार सिंह की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया.

याची का कहना था कि एमबीबीएस उत्तीर्ण किए बिना ऋषि नारायण त्रिपाठी जनरल फिजीशियन के तौर पर डॉक्टर पैड, हॉस्पिटल के बोर्ड, ब्रोसर आदि पर नाम प्रदर्शित कर चंदौली में सूर्या हॉस्पिटल एवं ट्रामा सेंटर मे डॉक्टर के रूप में प्रैक्टिस कर रहे हैं. साथ ही सुदामा मेडिकल स्टोर का संचालन कर रहे हैं. याची का कहना है कि ऋषि नारायण त्रिपाठी ने वर्ष 2014-15 में एसएमबीटी मेडिकल कॉलेज नासिक में एमबीबीएस कोर्स में दाखिला लिया लेकिन उत्तीर्ण नहीं हो सके.

वह वर्ष 2020 से अपने बड़े भाई गौतम त्रिपाठी द्वारा संचालित हॉस्पिटल में बतौर फिजीशियन मरीजों का इलाज कर रहे हैं. वह पुनः 2022 में फेल हो गए और वर्ष 2023 में सुदामा मेडिकल स्टोर का लाइसेंस लेकर मरीजों के इलाज के साथ दवा बेचने का भी कारोबार कर रहे हैं. आरोप है कि ऋषि नारायण त्रिपाठी ने एमबीबीएस कोर्स में एडमिशन लिया फेल हो गए. इसके बाद भी बिना डिग्री मरीजों के इलाज के साथ दवा का कारोबार भी कर रहे हैं.

शिकायत पर सीएमओ चंदौली ने 15 जुलाई 2023 को नोटिस जारी किया लेकिन कोई कार्यवाही नहीं की. उसके बाद पुलिस में शिकायत पर कोतवाली चंदौली ने रिपोर्ट दी कि ऋषि नारायण त्रिपाठी अभी एमबीबीएस अंतिम वर्ष का छात्र है और हॉस्पिटल में इलाज और मेडिकल स्टोर चला रहा है लेकिन पुलिस ने कोई कार्यवाही नहीं की.

याची का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट ने डीके जोशी केस में बिना डिग्री के मरीजों का इलाज करने वाले झोलाछाप के खिलाफ कार्यवाही के लिए जिले के डीएम, एसपी और सीएमओ को जिम्मेदार माना है और प्रमुख सचिव मेडिकल हेल्थ यूपी को निगरानी करने का आदेश दिया है.

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