लखनऊ: कहने को तो ड्राइविंग लाइसेंस के नियम इतने सख्त हैं कि जीवित इंसान का ही ड्राइविंग लाइसेंस मुश्किल से बन पाए, लेकिन उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में जीवित को तो छोड़िए मर चुके लोगों का भी लाइसेंस बन जाता है. यह सब हो रहा है डीएल की ऑनलाइन सेवा की वजह से. साइबर कैफे में बैठे एजेंटों ने घर बैठे लर्निंग डीएल की ऑनलाइन सेवा में सेंध लगा दी है. वे अब थर्ड पार्टी एप से किसी का भी लर्निंग डीएल आसानी से जारी कर डालते हैं.
लखनऊ के मोहिबुल्लापुर स्थित नायक नगर निवासी रामकुमारी वर्मा की छह माह पहले ही मृत्यु हो चुकी है लेकिन, उनका आधार लगाकर दलालों ने लर्निंग डीएल जारी कर दिया. इससे परिवहन विभाग की इस सिक्योर सेवा पर सवाल खड़े हो गए हैं.
साथ ही सवाल एनआईसी पर भी खड़े हो रहे हैं कि ऐसा सॉफ्टवेयर डेवलप करने का क्या मतलब जब दलाल आसानी से उसमें थर्ड पार्टी एप के जरिए सेंध लगा रहे हैं. इस तरह का गंभीर मामला सामने आने के बाद अब परिवहन विभाग में हड़कंप मच गया है. परिवहन आयुक्त ने सख्त जांच के आदेश दिए हैं.
परिवहन विभाग के सारथी पोर्टल पर लर्निंग डीएल बनाने की सुविधा घर बैठे आवेदकों को प्रदान की गई है. 18 साल या इससे अधिक उम्र के लोग घर बैठे ऑनलाइन आवेदन कर अपना डीएल बनवा सकते हैं, लेकिन यह व्यवस्था परिवहन विभाग पर भारी पड़ रही है.
मर चुके लोगों के आधार का इस्तेमाल कर लर्निंग डीएल जारी करने का एक मामला सामने आया है. सीतापुर रोड स्थित मोहिबुल्लापुर के नायक नगर निवासी एक महिला रामकुमारी वर्मा की मृत्यु करीब छह माह पहले हो चुकी है. दलालों ने उनका आधार कार्ड लगाकर लर्निंग लाइसेंस जारी कर दिया. इसका आवेदन नंबर 2882643324 है. डीएल संख्या यूपी 32/ 0050786/2024 है. इसकी वैधता पांच अगस्त 2024 से लेकर चार फरवरी 2025 तक है.
कैसे बन गया मर चुके व्यक्ति का DL, होगी जांच:परिवहन विभाग ने इस मामले का गंभीरता से संज्ञान लिया है और इसकी जांच के लिए टीम गठित की है. आधार प्रमाणीकरण व्यवस्था में साइबर ठगों ने किस तरह से सेंध लगाई है, उसकी अब बारीकी से यह टीम जांच करेगी.
घर बैठ लर्निंग लाइसेंस बनवा सकते हैं लोग:छह जनवरी 2022 को परिवहन विभाग ने प्रदेश भर में आधार कार्ड के जरिए घर बैठे लर्निंग ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने की व्यवस्था लागू की थी. मकसद था कि आवेदकों को बड़ी सहूलियत प्रदान की जाए कि उन्हें लर्निंग लाइसेंस के लिए आरटीओ कार्यालय आने की जरूरत न पड़े.
सिर्फ 15 में से 9 सवाल के दीजिए जवाब, बन जाएगा लर्निंग लाइसेंस:यातायात नियमों से जुड़े 15 सवालों में से नौ के सही जवाब घर बैठे कंप्यूटर पर देकर परीक्षा पास कर डीएल जारी कर सकें या फिर पास के ही साइबर कैफे में जाकर यही प्रक्रिया पूरी कर ड्राइविंग लाइसेंस का प्रिंट ले लें. लेकिन, परिवहन विभाग की आवेदकों को घर बैठे दी गई सहूलियत अब विभाग पर ही भारी पड़ने लगी है. कारण है कि विभाग की इस ऑनलाइन सेवा में दलालों ने ऐसी सेंध लगाई है कि जिंदा तो छोड़िए मर चुके लोगों के भी डीएल जारी हो रहे हैं.
अधिकारियों की गलती नहीं:परिवहन विभाग के जानकार बताते हैं कि अगर इस तरह का ड्राइविंग लाइसेंस जारी हो भी जाता है तो इसमें परिवहन विभाग के अधिकारियों की कोई गलती नहीं है. वजह है कि जब ऐसी व्यवस्था ही है कि ऑनलाइन कहीं से भी लर्निंग डीएल बनाया जा सकता है तो फिर कोई भी घर बैठे अगर ऐसा करता है तो इसमें आरटीओ कार्यालय में मौजूद अधिकारियों का क्या लेना देना है? इसका तो अप्रूवल भी अधिकारी नहीं करते हैं. परीक्षा पास होते ही ऑटो अप्रूवल मिल जाता है और ड्राइविंग लाइसेंस जारी हो जाता है. एनआईसी को ऐसी तकनीक विकसित करनी चाहिए जिससे साइबर एजेंट इस सॉफ्टवेयर में थर्ड पार्टी ऐप के जरिए सेंध ही न लगा पाएं.
DL बनाने की तकनीक में बदलाव की संभावना:उत्तर प्रदेश के परिवहन आयुक्त चंद्र भूषण सिंह का कहना है कि मर चुके लोगों का लाइसेंस जारी होने का गंभीर मामला जानकारी में आया है. किस साइबर कैफे से इसके लिए आवेदन किया गया, इसकी जांच कराई जा रही है. जो भी रिपोर्ट आएगी उसके बाद दोषियों पर सख्त एक्शन लिया जाएगा. इस व्यवस्था को कैसे फुल प्रूफ किया जा सके इसके लिए भी तकनीक पर विशेष ध्यान दिया जाएगा.
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