नूंह:हरियाणा के नूंह में लुहिंगा कला ग्राम पंचायत के मूढ़ी बांस गांव, मूढ़ी बनाने से भारत के अलग-अलग राज्यों में मशहूर है. यहां पर सभी किस्म की मूढियां सरकंडे व रस्सी तथा साइकिल के टायर की मदद से तैयार की जाती है. सबसे छोटी मूढ़ी बनाने में तकरीबन 2 घंटे लगते हैं. जिसकी कीमत करीब 120 रुपये है और सबसे महंगी व पसंदीदा मूढ़ी बनाने में करीब 6-7 घंटे लगते हैं. जिसका 5 मूढ़ों का सेट करीब 8 हजार से 10 हजार रुपये तक बिकता है.
वर्षों से बनाई जा रही मूढ़ी: मूढ़ी बांस गांव में करीब 40 साल पहले एक बुजुर्ग ने अपने खेतों पर निवास किया था. जो मूढ़ी बनाने का काम करता था. धीरे-धीरे लोग बसते गए और सभी मूढियों का काम सीखते हुए और मूढियों का कारोबार करने लग गए. जो मूढियों के कारोबार से आज हजारों लाखों रुपये कमाते हैं और अपना जीवन बसर खूब बेहतर तरीके से कर रहे हैं.
देशभर में मशहूर हैं नूंह की मूढ़ियां: बता दें कि मूढियां बनाने का हुनर अलग ही तरह का देखने को मिलता है. मूढ़ी बनाने के वक्त अगर मूढ़ी बनाने वाले को देख ले तो किसी इंजीनियर से कम नहीं दिखाई देता. क्योंकि मूढियों की बनावट ही कुछ अलग होती है. मूढियां खरीदने के लिए व्यापारी भारत के अलग-अलग राज्यों से आते हैं. सभी राज्यों में मूढियां नूंह जिले के लुहिंगा कलां की ढाणी मूढ़ीबास ग्राम पंचायत लुहिंगा कला से ही जाती है. जो मूढियों को लेकर पूरे देश में मशहूर है. यहां महिलाएं-पुरुष व छोटे-छोटे बच्चे समेत सैकड़ों लोग मूढियां बनाने का काम करते हैं. अपना पालन पोषण करते हैं.