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CAA:विरोध करने वाली महिलाओं का 1515 दिनों से PAC छह तंबुओं में कर रही इंतजार

देश में CAA की घोषणा (Notification of Civil Amendment Act) के बाद लखनऊ जिला प्रशासन के साथ पुलिस में अलर्ट मोड में है. डीजीपी प्रशांत कुमार ने सख्त लहजे में कहा है कि हमारे पास पूर्व हुई हिंसा के उपद्रवियों के डेटा के साथ डंडा भी मौजूद है. कोई भी शहर में अशांति फैलाने की कोशिश करेगा तो उसके खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाएगा.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Mar 14, 2024, 12:58 PM IST

Updated : Mar 14, 2024, 3:05 PM IST

देश में CAA की घोषणा के बाद लखनऊ में अलर्ट. देखें पूरी खबर

लखनऊ : नागरिक संशोधन अधिनियम की अधिसूचना जारी हुई तो लखनऊ के ऐतिहासिक हुसैनाबाद घंटाघर में बने पीएसी के छह तंबुओं में फिर से हलचल दिखाई देने लगी है. बहरहाल बीते 1515 दिनों से पीएसी उन महिलाओं का इंतजार कर रही है जो 66 दिनों तक NRC व CAA के विरोध में धरने पर बैठी थीं. धरने पर बैठी महिलाएं कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए चली गई थीं. हालांकि हालात ठीक होने पर दोबार धरना प्रदर्शन की चेतावनी दी थी. इसके बाद से घंटाघर पर पीएसी तंबू गाड़कर दिन-रात पहरा दे रही है.

लखनऊ में घंटाघर के पास पीएसी की छावनी.

दिल्ली शाहीनबाग को देख घंटाघर में शुरू हुआ था धरना-प्रदर्शन

वर्ष 2019 के अंत में दिल्ली के शाहीनबाग में CAA व NRC के विरोध में मुस्लिम महिलाएं धरने पर बैठ गई थीं. इसी से प्रेरणा लेकर लखनऊ की करीब 40 महिलाएं 17 जनवरी 2020 की शाम से पुराने लखनऊ स्थित घंटाघर पर धरने पर बैठ गई थीं. योगी सरकार ने इस धरने को खत्म करने के लिए पहले दिन से ही कोशिश शुरू कर दी थी, लेकिन प्रशासन ने जितना जोर धरना खत्म करने में लगाया उतनी ही प्रदर्शन करने वालों की संख्या में बढ़ोतरी होने लगी. बढ़ती संख्या को देखते हुए रेपिड एक्शन फोर्स, कई थानों की पुलिस और पीएसी की एक प्लाटून को घंटाघर के पास तैनात कर दिया गया.

डीजीपी ने दी सख्त चेतावनी.


आंदोलन के दौरान पीएसी ने गाड़े थे 6 तंबू :महिलाओं के धरना प्रदर्शन के दौरान देश में कोरोना भी तेज से पांव पसार रहा था. बढ़ते संक्रमण को देखते हुए सभी भीड़ भाड़ इलाकों को खाली कराया जा रहा था. जिसे देखते हुए 66 दिनों से धरने पर बैठी महिलाओं ने 23 मार्च की सुबह 7 बजे अचानक यह कह कर आंदोलन खत्म कर दिया कि जब हालात ठीक होंगे तो वे फिर से धरने पर बैठेंगी. तभी से पीएसी के करीब 35 सिपाही समेत 48 जवान तैनात है. यहां 6 तंबू गाड़े गए हैं और घंटाघर को चारों ओर से रस्सी से बैरिकेट कर एक अस्थाई छावनी बना दी गई है.

लखनऊ में घंटाघर के पास तैनात पुलिस टीम.
संवेदनशील इलाका होने के कारण चार साल से नहीं हटाई गई पीएसीपूर्व में लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट के एडीसीपी व पुराने लखनऊ में लम्बे वक्त काम कर चुके पुलिस अफसर के मुताबिक जब उनकी तैनात हुई थी तब यह पीएसी यथावत घंटाघर के पास डेरा जमाए हुई थी. हालांकि पुराने लखनऊ के हालात कंट्रोल में थे, लेकिन कानून व्यवस्था को लेकर डर हमेशा रहता है कि न जाने कब हालात बिगड़ जाएं. इसके अलावा घंटाघर भी एक चुनौती थी, क्योंकि इसी क्षेत्र में कई उपद्रवी तत्वों ने आंदोलनरत महिलाओं की आंड़ में सरकार व पुलिस के खिलाफ षड्यंत्र रचा था.
लखनऊ में घंटाघर के पास बैरीकेडिंग.



ऐसा नहीं है कि बीते 1515 दिनों से एक ही पीएसी बटालियन के जवान यहां तैनात हैं. घंटाघर के पास लगे छह तंबुओं में कभी इटावा तो कभी गाजियाबाद बटालियन के जवान मोर्चा संभालते रहे हैं. मौजूदा समय यहां 10वीं पीएसी बटालियन बाराबंकी की एक प्लाटून बीते दो वर्षों से तैनात है. इस बटालियन के सेना नायक अरुण श्रीवास्तव कहते हैं कि हम अपनी बटालियन की टुकड़ी ऑन डिमांड जिला पुलिस को देते हैं. इसी प्रक्रिया के तहत लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट को भी दी गई थी. अब उसे कहां डिप्लॉय करना है वह वहीं निर्धारित करते हैं.

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Last Updated : Mar 14, 2024, 3:05 PM IST

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