लखनऊ : नागरिक संशोधन अधिनियम की अधिसूचना जारी हुई तो लखनऊ के ऐतिहासिक हुसैनाबाद घंटाघर में बने पीएसी के छह तंबुओं में फिर से हलचल दिखाई देने लगी है. बहरहाल बीते 1515 दिनों से पीएसी उन महिलाओं का इंतजार कर रही है जो 66 दिनों तक NRC व CAA के विरोध में धरने पर बैठी थीं. धरने पर बैठी महिलाएं कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए चली गई थीं. हालांकि हालात ठीक होने पर दोबार धरना प्रदर्शन की चेतावनी दी थी. इसके बाद से घंटाघर पर पीएसी तंबू गाड़कर दिन-रात पहरा दे रही है.
दिल्ली शाहीनबाग को देख घंटाघर में शुरू हुआ था धरना-प्रदर्शन
वर्ष 2019 के अंत में दिल्ली के शाहीनबाग में CAA व NRC के विरोध में मुस्लिम महिलाएं धरने पर बैठ गई थीं. इसी से प्रेरणा लेकर लखनऊ की करीब 40 महिलाएं 17 जनवरी 2020 की शाम से पुराने लखनऊ स्थित घंटाघर पर धरने पर बैठ गई थीं. योगी सरकार ने इस धरने को खत्म करने के लिए पहले दिन से ही कोशिश शुरू कर दी थी, लेकिन प्रशासन ने जितना जोर धरना खत्म करने में लगाया उतनी ही प्रदर्शन करने वालों की संख्या में बढ़ोतरी होने लगी. बढ़ती संख्या को देखते हुए रेपिड एक्शन फोर्स, कई थानों की पुलिस और पीएसी की एक प्लाटून को घंटाघर के पास तैनात कर दिया गया.
आंदोलन के दौरान पीएसी ने गाड़े थे 6 तंबू :महिलाओं के धरना प्रदर्शन के दौरान देश में कोरोना भी तेज से पांव पसार रहा था. बढ़ते संक्रमण को देखते हुए सभी भीड़ भाड़ इलाकों को खाली कराया जा रहा था. जिसे देखते हुए 66 दिनों से धरने पर बैठी महिलाओं ने 23 मार्च की सुबह 7 बजे अचानक यह कह कर आंदोलन खत्म कर दिया कि जब हालात ठीक होंगे तो वे फिर से धरने पर बैठेंगी. तभी से पीएसी के करीब 35 सिपाही समेत 48 जवान तैनात है. यहां 6 तंबू गाड़े गए हैं और घंटाघर को चारों ओर से रस्सी से बैरिकेट कर एक अस्थाई छावनी बना दी गई है.