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आधार की गलतियों में फंसी बच्चों की अपार आईडी; यूपी में 31 लाख छात्रों को नहीं मिले 1200 रुपये, शासन को लिखा पत्र - APAAR ID

यूपी में 31 लाख छात्रों की अपार आईडी नहीं बन सकी है. इससे उन्हें हर साल मिलने वाला 1200 रुपये की ग्रांट नहीं मिली है.

अपार आईडी नहीं बनने से बच्चे ओर शिक्षक परेशान हैं.
अपार आईडी नहीं बनने से बच्चे ओर शिक्षक परेशान हैं. (Photo Credit ; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 12, 2025, 7:18 PM IST

लखनऊः बेसिक शिक्षा विभाग के प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले करीब एक करोड़ 90 लाख छात्रों में से 31 लाख छात्रों के आधार कार्ड में गड़बड़ी होने के कारण डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर में दिक्कत आ रही है। इससे बच्चों को यूनिफॉर्म, स्कूल बैग, स्टेशनरी और जूते-मोजे के लिए हर साल मिलने वाले 1200 रुपये का भुगतान लटका हुआ है.

वहीं दूसरी तरफ आधार में नाम, पता सही नहीं होने से बेसिक शिक्षा ऑटोमेटिक परमानेंट एकेडमिक अकाउंट रजिस्ट्री (अपार) आईडी बनाने में भी दिक्कतें आ रही हैं. बच्चों के आधार को सही करने के लिए शिक्षकों द्वारा कई बार शासन को पत्र लिखा गया. साथ ही गांवों में आधार संशोधन करने के लिए सरकार से विशेष सुविधा देते हुए कैंप लगाने की मांग की.

विनय सिंह ने बताया कि आधार कार्ड और रजिस्टर में अलग जानकारी होने से अपार आईडी नहीं बन पा रही है. (Video Credit ; ETV Bharat)

आधार अपडेट नहीं होने से सुविधाओं से वंचित हैं छात्र: बेसिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुधांशु मोहन ने बताया कि पूरे प्रदेश में करीब 31 लाख से अधिक छात्रों के आधार में दिक्कत है. इसके कारण इन छात्रों की जानकारी बेसिक शिक्षा विभाग को नहीं मिल पा रही है. विद्यालयों में एडमिशन के समय छात्रों का नाम रजिस्टर पर लिखा जाता है. इसके बाद छात्रों की डिटेल पोर्टल पर अपलोड की जाती है. कई छात्र ऐसे भी होते हैं जिनके आधार और रजिस्टर में दर्ज डिटेल में भिन्नता होती है.

बार-बार उनके अभिभावकों को कहने के बाद भी वह आधार अपडेट नहीं करते हैं. इसी का नतीजा है कि लाख कोशिशों के बाद भी प्रदेश में 31 लाख से अधिक छात्रों का आधार अपग्रेडेशन की प्रक्रिया अभी भी लंबित पड़ी हुई है.

31 लाख छात्रों को नहीं मिला पैसा: बेसिक शिक्षा विभाग के ओर से जारी डाटा के अनुसार, प्रदेश में एक लाख 25 हजार प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं. इन विद्यालयों में करीब 1 करोड़ 90 लाख से अधिक छात्र-छात्राएं अध्यनरत हैं.

हर साल सरकार डीबीटी के माध्यम से छात्रों के पेरेंट्स खाते में 1200 रुपये यूनिफार्म, जूता-मौज आदि चीज खरीदने के लिए भेजती है. इन 1 करोड़ 90 लाख छात्रों में से 31 लाख छात्र ऐसे हैं, जिन्हें शैक्षणिक सत्र 2024-25 में डीबीटी के माध्यम से 1200 रुपये नहीं भेजा गया है.

इसका मुख्य कारण बच्चों के पिता के बैंक अकाउंट और आधार का लिंक ना होना है. साथ ही बच्चों के आधार में भी कोई ना कोई कमी है. लखनऊ में बेसिक शिक्षा विभाग के 1600 विद्यालय हैं, जहां पर करीब 2 लाख से अधिक छात्र अध्यनरत हैं.

इनमें से सत्र 2024-25 में 15000 छात्रों को अभी तक डीबीटी के माध्यम से पैसा नहीं भेजा जा सका है. जबकि उनके अभिभावकों को संबंधित विद्यालयों के शिक्षकों द्वारा कई बार आधार संशोधन करने के लिए बताया जा चुका है.

महानिदेशक स्कूल शिक्षा को लिखा गया पत्र: प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक संगठन (पीएसपीएसए) के प्रांतीय अध्यक्ष विनय सिंह ने बताया कि विद्यार्थियों की अपार आईडी जनरेशन में आधार की दिक्कत को लेकर जनवरी में ही महानिदेशक स्कूल शिक्षा को एक पत्र भेजा गया था. इस पत्र में 9 बिंदु उठाए गए थे.

पत्र में बताया गया कि तहसील व खंड विकास अधिकारी कार्यालय के स्तर से छात्रों के जन्म प्रमाण पत्र समय से जारी न होने के कारण आधार नहीं बने हैं. जिसके कारण अपार आईडी बना पाना शिक्षकों के स्तर से संभव नहीं है.

उन्होंने कहा कि विद्यालय के अभिलेखों में मां-बाप दोनों के नाम और उनके आधार कार्ड के नाम में अंतर होने के कारण अपार आईडी जेनरेट नहीं हो पा रही है. साथ ही यह प्रक्रिया लंबित होने के कारण इनके डीबीटी का पैसा भी लटका हुआ है.

3.92 करोड़ छात्रों की बननी है अपार आईडी: प्रदेश में बेसिक व माध्यमिक शिक्षा विभाग के गवर्नर और प्राइवेट विद्यालयों में सभी छात्रों को मिलाकर कुल 3.92 करोड़ छात्रों की अपार आईडी बनाई जानी है. पर आधार में गलती होने के कारण 51.03 फीसदी छात्रों की आईडी नहीं बन पाई है.

इन जिलों की स्थिति बहुत ही खराब: विभाग की ओर से जारी डेटा के अनुसार, कानपुर नगर में अभी तक 73.36 फीसदी छात्रों का अपार आईडी बनाया जाना है. आगरा में 63.57 फीसदी, मुरादाबाद में 62.71 फीसदी, मेरठ में 62.30 फीसदी, गाजीपुर में 62.16 फीसदी, बलिया में 61.5 फीसदी, आजमगढ़ में 60.49 फीसदी, फिरोजाबाद में 60.33 फीसदी छात्रों का अपर आईडी बनायी जानी है.



यह भी पढ़ें : APAAR ID क्या है? स्टूडेंट्स के लिए क्यों है जरूरी ? जानें सबकुछ - WHAT IS APAAR ID

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लखनऊः बेसिक शिक्षा विभाग के प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले करीब एक करोड़ 90 लाख छात्रों में से 31 लाख छात्रों के आधार कार्ड में गड़बड़ी होने के कारण डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर में दिक्कत आ रही है। इससे बच्चों को यूनिफॉर्म, स्कूल बैग, स्टेशनरी और जूते-मोजे के लिए हर साल मिलने वाले 1200 रुपये का भुगतान लटका हुआ है.

वहीं दूसरी तरफ आधार में नाम, पता सही नहीं होने से बेसिक शिक्षा ऑटोमेटिक परमानेंट एकेडमिक अकाउंट रजिस्ट्री (अपार) आईडी बनाने में भी दिक्कतें आ रही हैं. बच्चों के आधार को सही करने के लिए शिक्षकों द्वारा कई बार शासन को पत्र लिखा गया. साथ ही गांवों में आधार संशोधन करने के लिए सरकार से विशेष सुविधा देते हुए कैंप लगाने की मांग की.

विनय सिंह ने बताया कि आधार कार्ड और रजिस्टर में अलग जानकारी होने से अपार आईडी नहीं बन पा रही है. (Video Credit ; ETV Bharat)

आधार अपडेट नहीं होने से सुविधाओं से वंचित हैं छात्र: बेसिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुधांशु मोहन ने बताया कि पूरे प्रदेश में करीब 31 लाख से अधिक छात्रों के आधार में दिक्कत है. इसके कारण इन छात्रों की जानकारी बेसिक शिक्षा विभाग को नहीं मिल पा रही है. विद्यालयों में एडमिशन के समय छात्रों का नाम रजिस्टर पर लिखा जाता है. इसके बाद छात्रों की डिटेल पोर्टल पर अपलोड की जाती है. कई छात्र ऐसे भी होते हैं जिनके आधार और रजिस्टर में दर्ज डिटेल में भिन्नता होती है.

बार-बार उनके अभिभावकों को कहने के बाद भी वह आधार अपडेट नहीं करते हैं. इसी का नतीजा है कि लाख कोशिशों के बाद भी प्रदेश में 31 लाख से अधिक छात्रों का आधार अपग्रेडेशन की प्रक्रिया अभी भी लंबित पड़ी हुई है.

31 लाख छात्रों को नहीं मिला पैसा: बेसिक शिक्षा विभाग के ओर से जारी डाटा के अनुसार, प्रदेश में एक लाख 25 हजार प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं. इन विद्यालयों में करीब 1 करोड़ 90 लाख से अधिक छात्र-छात्राएं अध्यनरत हैं.

हर साल सरकार डीबीटी के माध्यम से छात्रों के पेरेंट्स खाते में 1200 रुपये यूनिफार्म, जूता-मौज आदि चीज खरीदने के लिए भेजती है. इन 1 करोड़ 90 लाख छात्रों में से 31 लाख छात्र ऐसे हैं, जिन्हें शैक्षणिक सत्र 2024-25 में डीबीटी के माध्यम से 1200 रुपये नहीं भेजा गया है.

इसका मुख्य कारण बच्चों के पिता के बैंक अकाउंट और आधार का लिंक ना होना है. साथ ही बच्चों के आधार में भी कोई ना कोई कमी है. लखनऊ में बेसिक शिक्षा विभाग के 1600 विद्यालय हैं, जहां पर करीब 2 लाख से अधिक छात्र अध्यनरत हैं.

इनमें से सत्र 2024-25 में 15000 छात्रों को अभी तक डीबीटी के माध्यम से पैसा नहीं भेजा जा सका है. जबकि उनके अभिभावकों को संबंधित विद्यालयों के शिक्षकों द्वारा कई बार आधार संशोधन करने के लिए बताया जा चुका है.

महानिदेशक स्कूल शिक्षा को लिखा गया पत्र: प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक संगठन (पीएसपीएसए) के प्रांतीय अध्यक्ष विनय सिंह ने बताया कि विद्यार्थियों की अपार आईडी जनरेशन में आधार की दिक्कत को लेकर जनवरी में ही महानिदेशक स्कूल शिक्षा को एक पत्र भेजा गया था. इस पत्र में 9 बिंदु उठाए गए थे.

पत्र में बताया गया कि तहसील व खंड विकास अधिकारी कार्यालय के स्तर से छात्रों के जन्म प्रमाण पत्र समय से जारी न होने के कारण आधार नहीं बने हैं. जिसके कारण अपार आईडी बना पाना शिक्षकों के स्तर से संभव नहीं है.

उन्होंने कहा कि विद्यालय के अभिलेखों में मां-बाप दोनों के नाम और उनके आधार कार्ड के नाम में अंतर होने के कारण अपार आईडी जेनरेट नहीं हो पा रही है. साथ ही यह प्रक्रिया लंबित होने के कारण इनके डीबीटी का पैसा भी लटका हुआ है.

3.92 करोड़ छात्रों की बननी है अपार आईडी: प्रदेश में बेसिक व माध्यमिक शिक्षा विभाग के गवर्नर और प्राइवेट विद्यालयों में सभी छात्रों को मिलाकर कुल 3.92 करोड़ छात्रों की अपार आईडी बनाई जानी है. पर आधार में गलती होने के कारण 51.03 फीसदी छात्रों की आईडी नहीं बन पाई है.

इन जिलों की स्थिति बहुत ही खराब: विभाग की ओर से जारी डेटा के अनुसार, कानपुर नगर में अभी तक 73.36 फीसदी छात्रों का अपार आईडी बनाया जाना है. आगरा में 63.57 फीसदी, मुरादाबाद में 62.71 फीसदी, मेरठ में 62.30 फीसदी, गाजीपुर में 62.16 फीसदी, बलिया में 61.5 फीसदी, आजमगढ़ में 60.49 फीसदी, फिरोजाबाद में 60.33 फीसदी छात्रों का अपर आईडी बनायी जानी है.



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