चित्तौड़गढ़. गत मानसून के दौरान अल्पवृष्टि का नतीजा भीषण पेयजल संकट के रूप में सामने आ रहा है. हालत ये हैं कि 85% बांधों में एक बूंद तक पानी नहीं है. जबकि शेष में पानी रसातल पर दिखाई दे रहा है. मौसम विभाग द्वारा इस बार औसत से अधिक बारिश की भविष्यवाणी की गई है. अब इस भविष्यवाणी पर ही इन बांधों का भविष्य निर्भर है. मौसम विभाग की भविष्यवाणी को देखते हुए सिंचाई विभाग द्वारा प्रमुख बांध तालाबों के गेट मेंटेनेंस करवा दिया गया है, ताकि अतिवृष्टि में बांधों की सुरक्षा सुनिश्चित की सके.
मैदान में तब्दील हो गए बांध: जल संसाधन विभाग के अधिशाषी अभियंता कार्यालय के अधीन 46 बांध हैं. इनमें से 3 चौड़ाई से अधिक बांध एकदम रीते होकर मैदान में तब्दील हो चुके हैं. इनमें सबसे बड़ा बांध गंभीरी है, जो पेयजल के साथ-साथ एक प्रमुख सिंचाई परियोजना भी है. इसके अलावा वागन, ओराई, भूपालसागर सहित 40 बांध की स्थिति गंभीरी जैसी है. जहां सरफेस लेवल पर एक बूंद पानी देखने को नहीं मिलता. इनमें से कई बांधों में तरबूज-खरबूज की खेती हो रही है.
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आधा दर्जन बांध जीरो लेवल पर:केवल आधा दर्जन बांध ऐसे हैं, जिनमें पानी जीरो लेवल पर है. यह पानी संबंधित क्षेत्र के लोगों के पेयजल के लिए रिजर्व है. विभाग के अनुसार बड़गांव बांध की क्षमता 31.49 एमक्यूएम है जिसके मुकाबले वर्तमान में 2.64 एमक्यूएम पानी बचा है. इसी प्रकार बस्सी की क्षमता 23.22 के मुकाबले 3.45, ऊंचकिया बांध की क्षमता 5.27 के मुकाबले 2. 04, मातृकुंडिया की 35.64 के मुकाबले 1.72, सोमी की 2.4 के मुकाबले 0.43 और घोसुंडा बांध की 31.81 एमक्यूएम के मुकाबले दो एमक्यूएम पानी बचा है.