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अंतरराज्यीय वाहन चोर गिरोह के 5 शातिर चोरों को नोएडा पुलिस ने किया गिरफ्तार

Interstate vehicle thieves gang arrested: नोएडा के थाना फेस-वन पुलिस ने अंतरराज्यीय वाहन चोर गिरोह के 5 बदमाशों को गिरफ्तार किया है. पकड़े गए आरोपी चोरी के वाहनों को दिल्ली, बिहार और राजस्थान में लोगों को बेहद कम दामों पर बेचते थे.

अंतरराज्यीय वाहन चोर गिरोह गिरफ्तार
अंतरराज्यीय वाहन चोर गिरोह गिरफ्तार

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Feb 4, 2024, 8:54 PM IST

अंतरराज्यीय वाहन चोर गिरोह गिरफ्तार

नई दिल्ली/नोएडा:चार पहिया वाहनों की चोरी करने वाले गिरोह के पांच बदमाशों को नोएडा पुलिस ने गिरफ्तार किया है. इस संबंध में एडिशनल डीसीपी हृदेश कठेरिया ने रविवार को बताया कि गिरोह के बदमाश चोरी के वाहनों को दिल्ली, बिहार और राजस्थान में लोगों को बेहद कम दामों में बेचते थे. अब तब गिरोह के बदमाशों ने 20 से अधिक वाहन चोरी की वारदात को दिल्ली-एनसीआर में अंजाम दिया है.

डीसीपी के मुताबिक, आरोपियों की पहचान इटावा निवासी फन्नू अली,आशीष और अमित व बस्ती निवासी फिरोज अहमद और मध्य प्रदेश के मौरेना निवासी दिनेश उर्फ मुलायम के रूप में हुई है. अमित और फिरोज गिरोह के सरगना है. इटावा के अमित की मुलाकात करीब छह साल पहले फन्नू और आशीष से हुई. इसके बाद तीनों ने वाहन चोरी की घटना को अंजाम देना शुरू किया.

बाद में फिरोज अहमद और दिनेश का तीनों को साथ मिला और गिरोह कई राज्यों में वाहन चोरी की वारदात करने लगा. आशीष के खिलाफ इटावा, औरेया, दिल्ली और गौतम बुद्ध नगर में 12, फिरोज के खिलाफ छह, अमित के खिलाफ नौ, दिनेश के खिलाफ दो और फन्नू के खिलाफ तीन केस दर्ज हैं.

ऐसे करते थे वारदात: पुलिस के मुताबिक, गिरोह का एक बदमाश रेकी करने के बाद उस कार के पास पहुंचा जाता था, जहां चोरी की वारदात करनी होती थी. अन्य बदमाशों को मौके पर बुलाकर वह गाड़ी के नीचे घुस जाता था और हॉर्न का तार काट देता था. इसके बाद डिवाइस और स्कैनर के माध्यम से जीपीएस सिस्टम को उखाड़ा जाता था. हथौड़े और चुंबक के सहारे बदमाश कार का शीशा तोड़ते थे. इसके बाद बदमाश कार को स्टार्ट कर दिल्ली पहुंच जाते थे.

ऐसे छुपाते थे लोकेशन: एडीसीपी सेंट्रल नोएडा हृदेश कठेरिया ने बताया कि सभी आरोपी शातिर किस्म के अन्तर्राज्यीय वाहन चोर हैं. आरोपी डिवाइस स्कैनर एवं चुम्बकीय यंत्र व अन्य उपकरण का प्रयोग कर वाहनों की चोरी करते थे. गिरोह के बदमाश अलग-अलग कोड वर्ड का इस्तेमाल चोरी के दौरान करते थे, ताकि किसी को शक न होने पाए.

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