लाहौल-स्पीति में नहीं है पर्यटन अधिकारी, कैसे बढ़ेगा टूरिज्म ? - Lahaul Spiti Tourism - LAHAUL SPITI TOURISM
Lahaul Spiti Tourist Places: लाहौल-स्पीति में इन दिनों पर्यटन तेजी से बढ़ रहा है. अटल-टनल के बनने के बाद टूरिस्ट व्हीकल की आवाजाही भी बढ़ गई है, लेकिन अभी तक जिले में पर्यटन अधिकारी की नियुक्ति नहीं हुई है. इसके अलावा कई प्रसिद्ध जगहों पर इंफार्मेशन सेंटर भी नहीं है.
लाहौल-स्पीति में बढ़ी पर्यटकों की आमद (ETV Bharat)
लाहौल-स्पीति में नहीं है पर्यटन अधिकारी, कैसे बढ़ेगा टूरिज्म ?
लाहौल-स्पीति: पर्यटन नगरी मनाली में अटल टनल बनने के बाद लाहौल स्पीति का पर्यटन कारोबार हर साल बढ़ रहा है. हर साल हजारों-लाखों सैलानी लाहौल-स्पीति की बर्फ से लदी घाटियों का रुख करते हैं. ऐसे में लाहौल घाटी भी पूरे विश्व में एक नए पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हुई है, लेकिन यहां पर पर्यटकों की सुविधाओं के लिए सरकार के द्वारा कोई खास प्रयास नहीं किया गया है.
लाहौल-स्पीति में नहीं है पर्यटन अधिकारी
लाहौल स्पीति की अगर बात करें तो यहां पर अभी तक पर्यटन अधिकारी की भी तैनाती नहीं की गई हैं और न ही पर्यटकों के लिए सूचना केंद्र भी नहीं खोला गया है. ऐसे में किस तरह से घाटी का पर्यटन कारोबार आगे बढ़ पाएगा. इसको लेकर घाटी के पर्यटन कारोबारी भी चिंतित हैं. लाहौल-स्पीति में पर्यटन को बढ़ावा देने के सरकार के दावों की भी हवा निकलती हुई दिखाई दे रही है. पर्यटन कारोबारियों का कहना है कि यहां जिला पर्यटन अधिकारी का पद तक नहीं है और सिर्फ काम चलाने के लिए एसडीएम केलांग को अतिरिक्त कार्यभार सौंप रखा है.
लाहौल-स्पीति की घाटियों का मनमोहक नजारा (ETV Bharat)
पर्यटन कारोबारी तेनजिन, राम ठाकुर, दिनेश, किशन ठाकुर का कहना है, "पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए योजना बनानी हो या फिर पर्यटन को रेगुलेट करने की बात हो, इसके लिए विभाग का कार्यालय और अधिकारी का होना जरूरी है. जबकि लाहौल-स्पीति में इसके विपरीत स्थिति बनी हुई है. ऐसे में पर्यटन के क्षेत्र में लाहौल-स्पीति जिला कैसे आगे बढ़ेगा, यह सवाल ही बनकर रह गया है. अटल टनल बनने से पहले साल में सिर्फ हजारों की संख्या में घाटी जाने वाले पर्यटकों की गिनती होती थी, लेकिन वर्ष 2020 के बाद जैसे ही गाड़ियों की आवाजाही के लिए अटल टनल शुरू हुई तो उसके बाद घाटी जाने वाले पर्यटकों का आंकड़ा लाखों में पहुंच गया. अब पर्यटकों की गाड़ियों की आवाजाही भी लाखों में दर्ज हुई है. अटल टनल बन जाने के बाद सरकार और विभाग को घाटी में बढ़ने वाले पर्यटन को विकसित और रेगुलेट करने के लिए पहले विभाग के अधिकारियों की तैनाती करना जरूरी था. जो टनल बनने के चार साल बाद भी नहीं हुआ है."
लाहौल स्पीती की खूबसूरत घाटी (ETV Bharat)
अटल-टनल से गुजरने वाली गाड़ियां का बढ़ा आंकड़ा
अटल टनल से घाटी में अंदर और बाहर निकलने निकले वाली गाड़ियों के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं, तो यह आंकड़ा हर साल लगातार बढ़ता ही जा रहा है. पिछले तीन सालों के आंकड़ों की तुलना करें तो वर्ष 2022 में 12 लाख 78 हजार 119 गाड़ियां अटल टनल के आरपार हुई. जिसमें 6 लाख, 24 हजार 41 गाड़ियां घाटी में अंदर आए और 6 लाख 55 हजार 078 बाहर निकली. जबकि वर्ष 2023 में 13 लाख 8 हजार 600 गाड़ियां घाटी से अंदर बाहर निकली. इसके अलावा वर्ष 2024 में 20 अगस्त तक के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो 11 लाख 43 हजार 406 गाड़ियां आर पार हुई. जिसमें 5 लाख 39 हजार 447 गाड़ियां प्रवेश हुए और 6 लाख 3 हजार 459 गाड़ियां बाहर निकली. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि लाहौल घाटी में लगातार साल दर साल गाड़ियों की आवाजाही बढ़ रही है, जिसमें अधिकतर टूरिस्ट व्हीकल हैं.
साल
अटल-टनल से गुजरने वाली गाड़ियां
2022
12,78,119
2023
13,08,600
2024
11,43,406 (20 अगस्त तक)
इन प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों पर नहीं है इंफॉर्मेशन सेंटर
हैरानी की बात है कि देश और दुनिया के लिए आकर्षण का केंद्र बनी अटल टनल के साथ-साथ सिस्सु, कोकसर, तांदी, त्रिलोकीनाथ, जिस्पा, मृकुलामाता, कुजमपास, चंद्रताल, सूरजताल, नीलकंठ सहित कई बौद्ध गौपा वाले क्षेत्र में पर्यटकों के लिए पर्यटन विभाग की ओर से एक इंफॉर्मेशन सेंटर तक नहीं है. जिससे पर्यटकों को घाटी के पर्यटन स्थलों की जानकारी भी नहीं मिल पा रही है. जिला लाहौल स्पीति में 800 के करीब कुल होटल, गेस्ट हाउस और होम स्टे हैं. जहां पर्यटकों के ठहरने की व्यवस्था है, लेकिन सरकारी क्षेत्र में अभी तक गिने-चुने ही गैस्ट हाऊस मौजूद हैं. आने वाले समय में पर्यटकों की सुविधा के लिए क्या-क्या योजनाएं तैयार करनी हैं इसके लिए विभाग के पास अभी तक न तो अधिकारी हैं और न ही विभाग का कार्यालय और अन्य स्टाफ है.
पर्यटन का अतिरिक्त कार्यभार देख रहे एसडीएम केलांग रजनीश शर्मा का कहना है, "लाहौल-स्पीति जिले में सालाना 13 से 14 लाख पर्यटक पहुंच रहे हैं. पर्यटन को रेगुलेट करने की बात हो या फिर विकसित करने की बात हो तो उसके लिए विभाग के अधिकारी का होना जरूरी है. प्रशासन की ओर से इस संदर्भ में सरकार और पर्यटन निदेशालय को लिखा जा चुका है और यह सरकार के स्तर का कार्य है. सरकार के द्वारा ही अधिकारी की नियुक्ति की जाएगी."