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LDA के ट्रांसपोर्ट नगर में 292 भूखण्डों का नहीं है रिकॉर्ड, कब्जा धारकों से मांगे जाएंगे दस्तावेज - LDA NEWS

LDA NEWS: भूखण्डों के दस्तावेज नहीं मिलने पर उन्हें खाली मानते हुए ई-ऑक्शन के माध्यम से अब बेचने की कार्रवाई की जाएगी.

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LDA ट्रांसपोर्ट नगर योजना (Photo Credit; ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 13, 2024, 9:49 PM IST

लखनऊ: LDA की ट्रांसपोर्ट नगर योजना के 292 भूखण्डों के आवंटन अधर में लटक गया है. ये वो भूखण्ड हैं, जिनका एलडीए में कोई रिकाॅर्ड नहीं है. अब एलडीए ने इन भूखण्डों के कब्जाधारकों से आवंटन सम्बंधी दस्तावेज मांगे हैं. लोगों द्वारा दस्तावेज उपलब्ध कराये जाने पर उसका सत्यापन किया जाएगा. दस्तावेज सही होने पर भूखण्ड आवंटी का ही माना जाएगा. वहीं, एक महीने के अंदर दस्तावेज प्रस्तुत नहीं करने पर भूखण्ड को रिक्त माना जाएगा. ऐसे भूखण्डों को ई-ऑक्शन के माध्यम से बेचा जाएगा.

लखनऊ विकास प्राधिकरण के अपर सचिव ज्ञानेन्द्र वर्मा ने बताया कि ट्रांसपोर्ट नगर योजना की शुरुआत वर्ष 1980 में की गई थी. योजना में 50 वर्गमीटर से लेकर 1000 वर्गमीटर क्षेत्रफल के लगभग 1900 भूखण्ड हैं. इनमें अधिकांश रूप से गोदाम और एजेंसी आदि संचालित है. बीते दिनों योजना के 17 भूखण्डों की फर्जी रजिस्ट्री की शिकायत मिली थी. इसकी जांच कराने पर 13 भूखण्डों की रजिस्ट्री फर्जी पाई गई थी.

इसमें प्राधिकरण की तरफ से एफआईआर भी दर्ज कराई गई थी. हाल ही में लोगों द्वारा ट्रांसपोर्ट नगर के भूखण्डों को फ्री-होल्ड किये जाने की मांग उठाने पर योजना की पत्रावलियां खंगाली गई. इसमें 292 भूखण्डों का प्राधिकरण में किसी भी तरह का कोई रिकाॅर्ड नहीं मिला. ऐसे में यह पता लगा पाना संभव नहीं है कि ये भूखंड कब, किसे और कैसे आवंटित किये गये.

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इस पर प्राधिकरण ने सार्वजनिक सूचना जारी करते हुए लोगों से इन भूखण्डों से सम्बंधित मूल अभिलेखों के साथ दावा प्रस्तुत करने को कहा है. इसके लिए ट्रांसपोर्ट नगर में जगह-जगह होर्डिंग लगाने के साथ ही प्राधिकरण की वेबसाइट पर भूखण्डों की सूची अपलोड की जा रही है. सार्वजनिक सूचना जारी होने के एक महीने के अंदर लोगों को भूखण्ड से सम्बंधित दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे.

जांच में दस्तावेज सत्यापित होने पर सम्बंधित को भूखण्ड का वास्तविक स्वामी माना जाएगा. एक महीने के अंदर जिन भूखण्डों के दस्तावेज प्राप्त नहीं होंगे, प्राधिकरण उन भूखण्डों को रिक्त मानते हुए ई-नीलामी के माध्यम से बेच देगा. इसके बाद पूरी जिम्मेदारी सम्बंधित भूखण्ड के आवंटी की होगी.


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