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NICU में मां करेगी नवजात शिशु की देखभाल, BRD मेडिकल कॉलेज की पहल, नर्स के साथ मां भी रहेगी मौजूद - BRD Medical College GORAKHPUR

गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज के बाल विभाग के एनआईसीयू में मां की थपकी से अब होगा नवजात बच्चों को इलाज, सिर्फ डॉक्टर और नर्स ही नहीं रखेंगे ख्याल, बल्कि अब मां भी कर सकेंगी बच्चों की देखभाल

मां का दूध बच्चों के लिए सर्वोत्तम आहार
मां का दूध बच्चों के लिए सर्वोत्तम आहार (PHOTO Source ETV BHARAT)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jun 22, 2024, 4:13 PM IST

Updated : Jun 22, 2024, 5:35 PM IST

शिशु के लिए मां का दूध अमृत (Video Source ETV BHARAT)

गोरखपुर: जो बच्चे समय से पहले यानि नौ महीने से पहले पैदा होते हैं, उन्हें स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होती हैं तो उन्हें हॉस्पिटल के NICU में ले जाया जाता है. एनआईसीयू का मतलब है नवजात गहन देखभाल इकाई (neonatal intensive care unit) वहां, शिशुओं को विशेषज्ञों की एक टीम की ओर से चौबीसों घंटे देखभाल मिलती है. अभी तक तो NICU में भर्ती बच्चों को डॉक्टर और नर्स ही देखभाल करते थे लेकिन अब उनकी मां भी एनआईसीयू में इनकी देखभाल कर सकेंगी. गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज के बाल रोग चिकित्सा संस्थान में हुए शोध से यह निष्कर्ष निकला है कि, अगर मां का स्पर्श एनआईसीयू में भर्ती बच्चों को मिलेगा तो उसके इलाज में इंप्रूवमेंट मिलेगा. इन्फेक्शन का खतरा भी कम होगा. इस व्यवस्था को बीआरडी मेडिकल कॉलेज बाल रोग विभाग ने लागू कर दिया है. करीब 100 बेड के पास यह सुविधा माता को स्थाई तरीके से प्रदान की जा रही है, जिसके लिए कुर्सियां लगाई गई हैं

बाल रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ. भूपेंद्र शर्मा के मुताबिक, नर्सों की निगरानी में जब मां खुद अपने बच्चों की देखभाल करेगी, तो बच्चा जल्दी स्वस्थ होगा यह निष्कर्ष हुए शोध में आ चुका है. नर्स की अपेक्षा मां ज्यादा अच्छी तरह से बच्चे की जरूरत समझेगी. उसके प्यार दुलार से बच्चे को नई ऊर्जा मिलेगी. बच्चों की देखभाल अभी तक नर्सों के भरोसे थी, इसलिए प्रबंधन ने अब माताओं को NICU में एंट्री दे दी है. अब इलाज के साथ मां की थपकी और दुलार बच्चों को जल्द स्वस्थ होने में मदद करेगा.

मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभाग में ऐसे 98 बेड प्रदेश के मॉडल NICU के रूप में कार्यरत हैं. जिसमें नवजात शिशुओं को भर्ती कर उनका इलाज किया जाता है. विभाग अध्यक्ष डॉ. भूपेंद्र शर्मा के साथ डॉ. अजीत यादव, डॉ. अभिषेक कुमार सिंह और डॉ. संतोष कुमार गुप्ता उनका सहयोग कर रहे हैं.

वहीं बच्चों की सेहत दुरुस्त रखने के लिए बाल रोग संस्थान की दूसरी यूनिट ह्यूमन मिल्क बैंक के रूप में तेजी से एक्टिव है. जिसकी वजह से अस्पताल में पैदा हुए नवजात के साथ, लावारिस नवजातों को भी मां का दूध मिलने लगा है. इसके लिए माताओं को प्रेरित कर दूध दान कराया जा रहा है. जिससे बच्चों को इलाज के साथ ही पोषण भी मिल रहा है. बच्चों की रक्षा के लिए अधिक से अधिक मां को दूध दान के लिए प्रेरित किया जा रहा है. 9 महीने में करीब 722 नवजातों का जीवन उन माताओं की वजह से बचा है जो, अमृत रूपी अपना दूध का दान की हैं.

ह्यूमन मिल्क बैंक के प्रभारी डॉ. अजीत यादव कहते हैं कि, जिन माताओं को दूध अधिक होता है, वह मिल्क बैंक को अपना दूध दान करती हैं. उससे बच्चों को नया जीवन मिल रहा है. मेडिकल कॉलेज में बच्चों के इलाज के लिए कुल 500 बेड का एक अस्पताल बना है. जून 2023 में ह्यूमन मिल्क बैंक स्थापित किया गया था. साल 2023 में तो कुल 647 माताओं ने करीब 31 लीटर दूध दान किया था. जिसमें कुल 297 बच्चे को जीवन मिला था. इसी प्रकार जनवरी 2024 से लेकर मई 2024 तक कुल 1133 माता ने करीब 44 लीटर दूध का दान कर चुकी है. जिससे कुल 425 बच्चे लाभ उठा चुके हैं. इस तक अभी तक कुल 1800 माताओं ने अब तक 5 हजार से ज्यादा बार अपना दूध दान किया है.

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Last Updated : Jun 22, 2024, 5:35 PM IST

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