गोरखपुर: जो बच्चे समय से पहले यानि नौ महीने से पहले पैदा होते हैं, उन्हें स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होती हैं तो उन्हें हॉस्पिटल के NICU में ले जाया जाता है. एनआईसीयू का मतलब है नवजात गहन देखभाल इकाई (neonatal intensive care unit) वहां, शिशुओं को विशेषज्ञों की एक टीम की ओर से चौबीसों घंटे देखभाल मिलती है. अभी तक तो NICU में भर्ती बच्चों को डॉक्टर और नर्स ही देखभाल करते थे लेकिन अब उनकी मां भी एनआईसीयू में इनकी देखभाल कर सकेंगी. गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज के बाल रोग चिकित्सा संस्थान में हुए शोध से यह निष्कर्ष निकला है कि, अगर मां का स्पर्श एनआईसीयू में भर्ती बच्चों को मिलेगा तो उसके इलाज में इंप्रूवमेंट मिलेगा. इन्फेक्शन का खतरा भी कम होगा. इस व्यवस्था को बीआरडी मेडिकल कॉलेज बाल रोग विभाग ने लागू कर दिया है. करीब 100 बेड के पास यह सुविधा माता को स्थाई तरीके से प्रदान की जा रही है, जिसके लिए कुर्सियां लगाई गई हैं
बाल रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ. भूपेंद्र शर्मा के मुताबिक, नर्सों की निगरानी में जब मां खुद अपने बच्चों की देखभाल करेगी, तो बच्चा जल्दी स्वस्थ होगा यह निष्कर्ष हुए शोध में आ चुका है. नर्स की अपेक्षा मां ज्यादा अच्छी तरह से बच्चे की जरूरत समझेगी. उसके प्यार दुलार से बच्चे को नई ऊर्जा मिलेगी. बच्चों की देखभाल अभी तक नर्सों के भरोसे थी, इसलिए प्रबंधन ने अब माताओं को NICU में एंट्री दे दी है. अब इलाज के साथ मां की थपकी और दुलार बच्चों को जल्द स्वस्थ होने में मदद करेगा.
मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभाग में ऐसे 98 बेड प्रदेश के मॉडल NICU के रूप में कार्यरत हैं. जिसमें नवजात शिशुओं को भर्ती कर उनका इलाज किया जाता है. विभाग अध्यक्ष डॉ. भूपेंद्र शर्मा के साथ डॉ. अजीत यादव, डॉ. अभिषेक कुमार सिंह और डॉ. संतोष कुमार गुप्ता उनका सहयोग कर रहे हैं.