दिल्ली

delhi

ETV Bharat / state

शारदीय नवरात्रि 2024: 5वें दिन करें मां स्कंदमाता की पूजा, जानें पूजा विधि, मंत्र और कथा - Worship of Maa Skandamata

नवरात्रि के पांचवें दिन मां दुर्गा के पंचम स्वरूप मां स्कंदमाता की पूजा होती है. जानिए महत्व, पूजा विधि, आरती और कथा...

Etv Bharat
Etv Bharat (Etv Bharat)

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Oct 7, 2024, 12:03 AM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद:सोमवार, 7 अक्टूबर 2024 को शारदीय नवरात्रि का पांचवां दिन है. शारदीय नवरात्रि के दिन मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है. शारदीय नवरात्रि का पांचवां दिन मां स्कंदमाता को समर्पित है. इस दिन मां स्कंदमाता की पूजा करने का विधान है. मां स्कंदमाता को पद्मासना देवी भी कहा जाता है. मां स्कंदमाता पार्वती का रूप है.चलिए आपको बताते हैं कि मां स्कंदमाता देवी की पूजा विधि, महत्व, कथा और आरती...

पूजा विधि:शारदीय नवरात्रि की पंचम तिथि को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत होकर साफ सुथरे कपड़े पहने. घर के मंदिर को साफ करें और पूजा के स्थल की गंगाजल से शुद्धि करें. मां स्कंदमाता की मूर्ति की स्थापना करें. मां के समक्ष घी का दीप जलाएं. पूजा का संकल्प करें. पुष्प, धूप, दीप, नवैद्य आदि मां को चढ़ाए. मां को पीले रंग के फूल अति प्रिय हैं. विधि विधान से मां स्कंदमाता की पूजा करें. पूजा के दौरान दुर्गा सप्तशती का पाठ करें. पूजा की समाप्ति के बाद मां की आरती करें और उनका प्रिय भोग अर्पित करें. पूजा के पश्चात परिवार के सभी सदस्यों को प्रसाद वितरण करें.

पूजा का महत्व: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां कुष्मांडा सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं. विधि विधान से मां के पंचम स्वरूप की आराधना करने से मोक्ष का मार्ग सुलभ होता है. नकारात्मक शक्तियों के प्रभाव से मुक्ति मिलती है. असंभव कार्य संभव हो जाते हैं. श्रद्धा भाव से मां की उपासना करने से संतान की प्राप्ति होती है. जीवन में आ रहे कष्ट और दुख दूर होते हैं. घर में आर्थिक स्थिरता बनती है.

मां स्कंदमाता मंत्र:

ॐ स्कन्द मात्रै नमः।।

ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः।।

या देवी सर्वभू‍तेषु मां स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

मां स्कंदमाता की कथा:सती जब अग्नि में जलकर भष्म हो गईं, उसके बाद भगवान शंकर सांसारिक मोह माया से दूर हो गए और कठिन तपस्या में लीन हो गए. उसी समय देवता गण तारकासुर के अत्याचार भोग रहे थे. तारकासुर को वरदान था कि केवल भगवान शिव की संतान उसका वध कर सकती है. बिना सती के संतान नहीं हो सकती थी.

मां स्कंदमाता के मंत्र (etv bharat)

इसीलिए सारे देवता भगवान विष्णु के पास गए, तब विष्णुजी ने उनको कहा कि यह सबकी वजह आप लोग ही हैं, अगर आप सब राजा दक्ष के वहां बिना शिवजी के नहीं गए होते, तो सती को अपना शरीर नहीं छोड़ना पड़ता. उसके बाद भगवान विष्णु देवताओं को माता पार्वती के बारे में बताते हैं, जो सती माता की अवतार हैं. तब नारदमुनि माता पार्वती के पास जाकर उन्हें तपस्या करके भगवान शिव को प्राप्त करने को कहते हैं.

स्कंदमाता की आरती:

जय तेरी हो स्कंद माता।

पांचवां नाम तुम्हारा आता॥

सबके मन की जानन हारी।

जग जननी सबकी महतारी॥

तेरी जोत जलाता रहू मैं।

हरदम तुझे ध्याता रहू मै॥

कई नामों से तुझे पुकारा।

मुझे एक है तेरा सहारा॥

कही पहाडो पर है डेरा।

कई शहरों में तेरा बसेरा॥

हर मंदिर में तेरे नजारे।

गुण गाए तेरे भक्त प्यारे॥

भक्ति अपनी मुझे दिला दो।

शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो॥

इंद्र आदि देवता मिल सारे।

करे पुकार तुम्हारे द्वारे॥

दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए।

तू ही खंडा हाथ उठाए॥

दासों को सदा बचाने आयी।

भक्त की आस पुजाने आयी॥

मां पार्वती की हजारों वर्षों की तपस्या के बाद भगवान शिव उनसे विवाह करते हैं. उन दोनों की ऊर्जा से एक ज्वलंत बीज पैदा होता है. उस बीज से छह मुख वाले कार्तिकेय जन्म लेते हैं और फिर कार्तिकेय तारकासुर का एक भयंकर युद्ध में वध कर देते हैं. तभी से स्कंदमाता एक सर्वश्रेष्ठ पुत्र कार्तिकेय की माता के नाम से जानी जाती है.

पांचवें दिन करें मां स्कंदमाता की पूजा (etv bharat)

Disclaimer: खबर धार्मिक मान्यताओं और जानकारी पर आधारित है. किसी भी जानकारी को अमन मिलने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लेना बेहद आवश्यक है. खबर केवल जानकारी के लिए है.

ये भी पढ़ें:

  1. नवरात्रि का चौथा दिन, जानें राशिफल में क्या है, माता दुर्गा किन राशियों के जातकों पर बरसाएंगी कृपा
  2. मां कुष्मांडा पूजा के साथ करें गृहप्रवेश, घर-परिवार में रहेगी शांति

ABOUT THE AUTHOR

...view details