लखनऊ: उत्तर प्रदेश में बीते 3 साल में पर्यटन के क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला है. पहले जहां उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक टूरिज्म आगरा और मथुरा में हुआ करता था. अब वह धीरे-धीरे बदलकर काशी और अयोध्या की तरफ शिफ्ट हो रहा है. इसका सबसे बड़ा कारण उत्तर प्रदेश में धार्मिक पर्यटन के क्षेत्र में हुआ विकास है. धार्मिक पर्यटन से यूपी की इकॉनमी को रफ्तार मिल रही है.
काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बनने के बाद वाराणसी में पर्यटकों और श्रद्धालुओं की संख्या कई गुणा से अधिक की बढ़ोतरी देखने को मिली है. वाराणसी में साल 2021 में जहां 30 लाख थी, वहीं 2022 में यह संख्या सात करोड़ के ऊपर पहुंच गई. अब 22 जनवरी को अयोध्या में भगवान राम लल्ला के प्राण प्रतिष्ठा होने के बाद अयोध्या में भी आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों की संख्या में करीब 100 गुणा से अधिक की बढ़ोतरी होने का अनुमान लगाया जा रहा है.
अयोध्या में साल 2021 की तुलना में 2022 में एक करोड़ से ज्यादा पर्यटकों की संख्या बढ़ी है. प्राण प्रतिष्ठा के बाद हर साल करीब पांच से दस करोड़ तीर्थ यात्रियों के आने की संभावना है. इसको देखते हुए पर्यटन विभाग तैयारियां भी कर रहा है. प्राण प्रतिष्ठा के बाद अमेरिकी कंपनी जेफ्फेरिज इक्विटी रिसर्च ने भी एक रिपोर्ट पेश की है. जिसके मुताबिक अयोध्या में सालाना 5-10 करोड़ तीर्थयात्री आने का अनुमान लगाया है, जबकि मक्का में सालाना दो करोड़ व वेटिकन सिटी में सालाना 90 लाख तीर्थयात्री आते हैं.
पर्यटन के लिहाजा से यूपी के परिदृश्य की बात करें तो आगरा रीजन में सबसे ज्यादा पर्यटक आते रहे हैं. इसका मुख्य कारण ताजमहल है. जिसकी वजह से विदेशी पर्यटक भी खूब आते हैं. प्राण प्रतिष्ठा के बाद राम मंदिर की वजह से अयोध्या क्षेत्र में बड़ी संख्या में पर्यटक आएंगे. जिसका लाभ लखनऊ समेत सीतापुर को भी मिलने की संभावना है. इसी को ध्यान में रखकर सरकार सीतापुर स्थित नैमिषारण्य धाम को भी अब एक तीर्थ परिषद बनाकर वहां के विकास कार्यों को बहुत तेजी से पूरा कर रहा है.