जयपुर : लोकसभा चुनाव में बीजेपी के खराब परफॉर्मेंस के बाद से संगठन में बदलाव की लगातार चर्चाएं सियासी गलियारों में हो रही थी, लेकिन गुरुवार को जैसे ही भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी के इस्तीफे की पेशकश की खबरें सामने आईं, उसके बाद से अब संगठन में नए अध्यक्ष के नाम को लेकर भी चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया. माना जा रहा है कि इस्तीफा स्वीकार होता है तो भाजपा आगामी उपचुनाव के मद्देनजर जाति समीकरण को साधने के हिसाब से ऐलान करेगी, जिसमें मूल ओबीसी से अध्यक्ष बनाए जाने की संभावना ज्यादा मानी जा सकती है.
मूल ओबीसी में इनका नाम सबसे आगे :दरअसल, राजस्थान में विधानसभा चुनाव 2023 में जब से भाजपा की सरकार बनी और मुख्यमंत्री के रूप में भजनलाल शर्मा को जिम्मेदारी दी गई, उसके बाद से ही इस बात को लेकर चर्चाएं तेज थीं कि संगठन में बदलाव हो सकता है, क्योंकि जाति समीकरण के हिसाब से देखें तो मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा भी ब्राह्मण समाज से आते हैं और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी भी इस समाज से हैं. ऐसे में जाति समीकरण साधने के लिए पार्टी संगठन में बदलाव कर सकती है. अब सीपी जोशी के इस्तीफे की खबरें सामने आ चुकी है तो अब यह माना जा रहा है कि बीजेपी 5 सीटों पर होने वाले उपचुनाव, पंचायती राज और नगरीय निकाय चुनाव को ध्यान में रखकर अध्यक्ष नियुक्त करेगी. राजनीति के पंडितों की मानें तो बीजेपी मूल ओबीसी के चेहरे को अध्यक्ष के रूप में सामने ला सकती हैं, जिसमें राज्यसभा सासंद मदन राठौड़, प्रदेश उपाध्यक्ष प्रभुलाल सैनी और राज्यसभा सासंद राजेंद्र गहलोत का नाम शामिल है.
ओबीसी चेहरे से राज्यसभा सासंद मदन राठौड़, प्रदेश उपाध्यक्ष प्रभुलाल सैनी और राज्यसभा सासंद राजेंद्र गहलोत का नाम शामिल है. (ETV Bharat File Photo) पढ़ें.बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी ने की पद से इस्तीफे की पेशकश, यह है कारण - CP Joshi resignation
जाट समाज से भी हो सकता है प्रदेशाध्यक्ष :माना यह भी जा रहा है कि मूल ओबीसी से अध्यक्ष नहीं बनाने पर सबसे अधिक प्रबल संभावनाएं जाट समुदाय से अध्यक्ष बनाने की होगी. डॉ. सतीश पूनिया को अध्यक्ष पद से हटाने के बाद से नाराज चल रहे जाट समाज को साधा जा सकता है. इन लोकसभा चुनावों में पार्टी को जाट समुदाय की नाराजगी भारी पड़ी थी. खासतौर पर शेखावटी अंचल में जाटों की नाराजगी के चलते बीजेपी सीकर, झुंझनू और चूरू लोकसभा सीट हारी थी, ऐसे में उपचुनाव को ध्यान में रख कर जाट समाज पर दांव खेला जा सकता है. जाट समुदाय से प्रदेशाध्यक्ष की दौड़ में देखें तो विराटनगर विधायक कुलदीप धनखड़ सबसे प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं. युवा होने के साथ-साथ धनखड़ को संगठन का अनुभव भी हैं, वे पार्टी में दो बार महामंत्री का पद संभाल चुके हैं. कुलदीप धनखड़ के अलावा कैलाश चौधरी के नाम की भी चर्चा है.
जाट समाज से विराटनगर विधायक कुलदीप धनखड़ और कैलाश चौधरी के नाम की चर्चा है. (ETV Bharat File Photo) राजपूत समाज से भी अध्यक्ष बनाने की चर्चा :अगर पार्टी मूल ओबीसी और जाट समुदाय से अध्यक्ष नहीं बनाती है तो फिर प्रदेशाध्यक्ष की सीट पर राजपूत समाज से किसी नेता को जिम्मेदारी दी जा सकती है. हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में राजस्थान ही नहीं, कई राज्यों में पार्टी को राजपूत की नाराजगी भी सामने आई थी, जिसकी वजह से पार्टी को कई लोकसभा सीटों पर नुकसान उठाना पड़ा था. वोटर का साथ नहीं मिलने से नुकसान हुआ है. राजपूत समाज से दावेदारों की बात करें तो सबसे प्रबल दावेदार पार्टी के महामंत्री श्रवण बगड़ी का नाम भी चर्चाओं में है. बगड़ी युवा होने के साथ-साथ संगठन का अनुभव भी रखते हैं, वे पार्टी में मंत्री, उपाध्यक्ष और अब महामंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. बगड़ी को लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की जनसभाओं की जिम्मेदारी राजस्थान में ही नहीं बल्कि बंगाल में भी उनको यह जिम्मेदारी दी गई थी.
राजपूत समाज से प्रबल दावेदार पार्टी के महामंत्री श्रवण बगड़ी को माना जा रहा है (ETV Bharat File Photo) क्या होगी सीपी जोशी की नई भूमिका ? :बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी को पद से हटने के बाद पार्टी उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर संगठन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दे सकती है. सीपी जोशी के अध्यक्ष बनने के बाद भाजपा ने राजस्थान में विधानसभा चुनाव 2023 में जीत हासिल की थी. सीपी जोशी की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से भी अच्छे रिश्ते माने जाते हैं, ऐसे में अगर सीपी जोशी को अध्यक्ष पद से हटाया जाता है तो उन्हें नई भूमिका मिल सकती है.