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स्टोन क्रशरों के 50 करोड़ के जुर्माना माफी मामले में सुनवाई, सचिव खनन को हाईकोर्ट में पेश होने के आदेश - Stone Crusher Fines Waiver

Nainital High Court, Stone Crusher Fines Waiver नैनीताल हाईकोर्ट ने स्टोन क्रशरों पर लगे 50 करोड़ के जुर्माने को माफ करने के मामले पर सख्त रुख अपनाया है. मामले में हाईकोर्ट ने सचिव खनन को जांच रिपोर्ट के साथ पेश होने के आदेश दिए हैं. पूरा मामला नैनीताल जिलाधिकारी की ओर से स्टोन क्रशरों का अवैध खनन एवं भंडारण मामले पर लगे जुर्माना राशि को माफ करने से जुड़ा है. वहीं, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हल्दूचौड़ में मेडिकल स्टाफ मामले में भी सुनवाई हुई.

Uttarakhand High Court
नैनीताल हाईकोर्ट (फोटो- ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Aug 27, 2024, 3:51 PM IST

Updated : Aug 27, 2024, 5:13 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड के नैनीताल जिले के तत्कालीन जिलाधिकारी की ओर से अपने कार्यकाल के दौरान विभिन्न स्टोन क्रशरों का अवैध खनन एवं भंडारण मामले पर लगाए गए करीब 50 करोड़ रुपए के जुर्माने को माफ करने के खिलाफ दायर याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले में मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने सचिव खनन को 3 सितंबर को जांच रिपोर्ट के साथ पेश होने को कहा है.

दरअसल, नैनीताल के चोरगलिया निवासी सामाजिक कार्यकर्ता भुवन पोखरिया ने नैनीताल हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है. उन्होंने आरोप लगाया है कि साल 2016-17 में नैनीताल के तत्कालीन जिलाधिकारी की ओर से कई स्टोन क्रशरों का अवैध खनन और भंडारण का जुर्माना करीब 50 करोड़ रुपए माफ कर दिया गया था. भुवन पोखरिया का आरोप है कि उन्हीं स्टोन क्रशरों का जुर्माना माफ किया, जिन पर जुर्माना काफी ज्यादा यानी करोड़ों रुपए में था, लेकिन जिनका जुर्माना कम था, उनका माफ नहीं किया गया.

जब इसकी शिकायत मुख्य सचिव, सचिव खनन से की गई तो उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. साथ में ये भी कहा गया कि यह जिलाधिकारी का विशेषाधिकार है. जब याचिकाकर्ता ने शासन से इसका लिखित रूप में जवाब मांगा तो आज की तिथि तक उन्हें इसका लिखित जवाब नहीं दिया गया. इसके बाद उनकी ओर से इसमें आरटीआई मांग कर कहा कि जिलाधिकारी को किस नियमावली के तहत अवैध खनन और भंडारण पर लगे जुर्माने को माफ करने का अधिकार प्राप्त है, इसे आरटीआई के माध्यम से अवगत कराएं.

मुख्य सचिव से भी की गई शिकायत:इस आरटीआई के जवाब में लोक सूचना अधिकारी औद्योगिक विभाग उत्तराखंड की ओर से कहा गया कि लोक प्राधिकार के अंतर्गत यह धारित नहीं है. जनहित याचिका में कहा गया कि जब लोक प्राधिकार में उक्त नियम धारित नहीं है तो जिलाधिकारी की ओर से कैसे स्टोन क्रशरों पर लगे करोड़ों रुपए का जुर्माना माफ कर दिया, फिर उनकी ओर से साल 2020 में मुख्य सचिव को शिकायत की गई. मुख्य सचिव ने औद्योगिक सचिव से इसकी जांच कराने को कहा.

नियुक्त किया गया था जांच अधिकारी: औद्योगिक सचिव ने नैनीताल जिलाधिकारी को जांच अधिकारी नियुक्त कर दिया. जिलाधिकारी की ओर से इसकी जांच हल्द्वानी एसडीएम को सौंप दी, जो अभी तक नहीं हुई. जबकि, औद्योगिक विभाग की ओर से 21 अक्टूबर 2020 को इस पर जांच आख्या पेश करने को कहा था, जो चार साल बीत जाने के बाद भी पेश नहीं की गई. जनहित याचिका में कोर्ट से मांग की गई है कि इसपर कार्रवाई की जाए. क्योंकि, यह राजस्व की हानि है.

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हल्दूचौड़ में मेडिकल स्टाफ मामले में सुनवाई:वहीं, हल्द्वानी के हल्दूचौड़ में डेढ़ साल पहले निर्मित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सा स्टाफ की नियुक्ति न होने के साथ कई जन सुविधाओं की कमी के मामले में नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले में मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से 2 हफ्ते के भीतर जवाब पेश करने को कहा है.

दरअसल, हल्दूचौड़ के रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता हेमंत गौनिया और गोविंद बल्लभ भट्ट ने नैनीताल हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है. जिसमें उन्होंने कहा है कि सीएचसी हल्दूचौड़ का निर्माण कार्य डेढ़ साल पहले पूरा हो गया था. जुलाई 2023 में हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई थी. उस दौरान सरकार ने इस सीएचसी के लिए पद स्वीकृत होने की जानकारी दी थी. इन पदों में चिकित्साधिकारी, एक्स रे टेक्नीशियन, फार्मेसिस्ट, नर्स, वार्ड ब्वॉय, सफाई कर्मी के पद शामिल हैं, लेकिन इन पदों में अब तक नियुक्ति नहीं हुई.

इससे पहले कोर्ट ने सरकार को सीएचसी हल्दूचौड़ में 3 महीने के भीतर स्वीकृत पदों में नियुक्ति करने के आदेश दिए थे, लेकिन अभी तक न तो स्वीकृत पदों पर नियुक्ति हुई. न ही सरकार ने अभी तक अपना जवाब पेश किया. जबकि, सेंटर में एक्सरे मशीन तक नहीं है. जिसकी वजह से गर्भवती महिलाओं को तक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इसलिए सीएचसी की स्वास्थ्य सुविधाओं को जल्द बहाल किया जाए.

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Last Updated : Aug 27, 2024, 5:13 PM IST

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