देहरादून:आज धनतेरस है. सनातन धर्म में दीपावली से जुड़े धनतेरस पर्व का विशेष महत्व है. धनतेरस पर भगवान धन्वन्तरि की पूजा-अर्चना करने का विधान है. आज से ही 5 दिवसीय दीपावली का पर्व शुरू हो जाता है. तो आइए आज हम आपको बताते हैं धनतेरस क्या है और इसको मनानी की पौराणिक मान्यताएं क्या हैं.
कार्तिक मास भगवान विष्णु का प्रिय महीना है. इस माह भगवान गणेश और धन की देवी माता लक्ष्मी जी के स्वागत और अभिनंदन का पर्व दीपावली, दीवाली, बग्वाल, प्रकाश पर्व आदि के नाम से जाना जाता है. यह त्योहार पांच दिनों तक चलने वाला ज्योतिर्मय पर्व है, जो धन-धान्य और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है.
5 दिवसीय दीपावली पर्व का पहला दिन है धनतेरस: दीपावली का प्रथम दिवस धनतेरस के नाम से मनाया जाता है. कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का पर्व आता है. धनतेरस से जुड़ी कथाओं में सबसे महत्वपूर्ण कथा है- समुद्र मन्थन की.
देव-दानव युद्ध से जुड़ी है कहानी: विष्णु पुराण में वर्णन आता है कि सृष्टि के आरम्भ से ही देव और दानवों के मध्य युद्ध होते रहते थे. इस कारण दोनों ही पक्षों को हानि उठानी पड़ती थी. इस हानि से दुःखी होकर देवता ब्रह्मा के पास गये और उपाय पूछा. ब्रह्मा देवताओं को लेकर क्षीर सागर में निवास करने वाले भगवान विष्णु के पास पहुंच और उनसे इस विषय में उपाय पूछा. विष्णु जी बोले कि तुम लोग समुद्र मंथन करो. वहां से अमृत को प्राप्त करो. उस अमृत को पीकर तुम लोग अमर हो जाओगे. फिर दानव तुम्हें कभी भी हरा नहीं पाएंगे. लेकिन इसके लिए तुम्हें दानवों की सहायता लेनी होगी.