मुजफ्फरपुर:बिहार के मुजफ्फरपुर चर्चित किडनी कांड की पीड़िता सुनीता ने आखिरकार एसकेएमसीएच में आखिरी सांस ली. बता दें कि झोला छाप डॉक्टर ने गर्भाशय के ऑपरेशन के नाम पर सुनीता की किडनी गायब कर दी थी. इसके बाद मुजफ्फरपुर SKMCH में उनका इलाज किया गया और लगभग दो साल से उनका इलाज चल रहा था, लेकिन उसे बचाया न जा सका.
किडनी कांड पीड़िता सुनीता की मौत : सुनीता ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से लेकर देश के स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा तक से किडनी ट्रांसप्लांट की गुहार लगाई लेकिन दो साल बीतने के बावजूद वो जिंदगी के लिए पल पल लड़ती रही. इस बीच उसका इलाज अलग-अलग अस्पतालों में कराया गया लेकिन उसकी सेहत में सुधार नहीं हुआ.
मानवाधिकार अधिवक्ता ने दाखिल की थी याचिका: विदित हो कि पीड़ित महिला सुनीता देवी के ओवरी के ऑपरेशन के दौरान दोनों किडनी निकालने का मामला प्रकाश में आने के बाद मानवाधिकार अधिवक्ता एसके झा ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग एवं राज्य मानवाधिकार आयोग में याचिका दाखिल की थी. जिसपर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने बिहार सरकार को किडनी ट्रांसप्लांट की व्यवस्था करने का आदेश दिया था, लेकिन मामले में सरकार का रवैया शुरू से ही काफी निराशाजनक था.
"सुनीता की मौत राज्य के पूरे स्वास्थ्य महकमे और प्रशासनिक व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़ा करता है. यह सुनीता की मौत नहीं, उन सभी उम्मीदों की मौत है. जो राज्य भर के लोगों ने सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था से लगा रखी थी. प्रश्न अब भी शेष है कि क्या एक गरीब को इलाज का हक नहीं."-एस के झा, मानवाधिकार अधिवक्ता
सुनीता के गर्भाशय का ऑपरेशन:बता दें कि वर्ष 2022 में 11 जुलाई को सकरा थाना क्षेत्र के बाजी राउत गांव की 35 वर्षीय सुनीता देवी के पेट में दर्द हुआ तो इलाज के लिए उसे डॉक्टर पवन कुमार के क्लिनिक लाया गया. डॉक्टर ने उसे गर्भाशय निकलने के लिए ऑपरेशन की सलाह दी. बरियारपुर स्थित शुभकांत क्लिनिक में 3 सितंबर 2022 को सुनीता के गर्भाशय का ऑपरेशन किया गया था, जो झोलाछाप डॉक्टर पवन कुमार ने किया था. उसने इस ऑपरेशन के लिए 30 हजार रुपए लिए थे.