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गंगा-जमुनी तहजीब की रामलीला; यहां सलमान खान बनते हैं राम, सीता के किरदार में ढल जाते हैं फरहान अली

लखनऊ के बख्शी का तालाब की रामलीला 52 साल की हुई, हिंदू-मुस्लिम कलाकार करते हैं मंचन, सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 4 hours ago

Updated : 4 hours ago

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मुस्लिम निभाते हैं रामलीला में किरदार (photo credit- Etv Bharat)

लखनऊ: बख्शी तालाब के रामलीला में गंगा जमुनी संस्कृति की मिसाल देखने को मिलती है. यहां पर रामलीला के किरदार मुस्लिम धर्म से जुड़े हुए लोग निभाते हैं. इसलिए यहां की रामलीला को गंगा-जमुनी तहजीब के नजरिए से भी देखा जाता है. डायरेक्टर से लेकर के राम सीता लक्ष्मण राजा जनक के किरदार निभाने वाले लोग मुस्लिम धर्म से जुड़े हुए हैं. खास बात यह है कि यह दशकों से रामलीला प्ले करते हैं. पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ रामलीला के किरदारों में ढल जाते हैं.

1972 में शुरू हुई इस रामलीला की यह 52वीं वर्षगांठ है, जो सांप्रदायिक सद्भाव और गंगा-जमुनी तहज़ीब की मिसाल मानी जाती है. दशहरा मेला 12 से 14 अक्टूबर तक बड़े धूमधाम से आयोजित किया जाएगा, जिसमें हिंदू-मुस्लिम कलाकार रामलीला का मंचन करेंगे.

गंगा-जमुनी तहज़ीब की मिसाल:इस रामलीला के डायरेक्टर साबिर खान बताते हैं, कि इसकी नींव 1972 में रुदही ग्राम पंचायत के तत्कालीन प्रधान स्व. मैकूलाल यादव और बीकेटी के समाजसेवी डॉ. मुज्जफर हुसैन ने रखी थी. इस आयोजन में हमेशा से ही मुस्लिम समुदाय का विशेष सहयोग रहा है, चाहे वह प्रबंधन, अभिनय या अन्य किसी रूप में हो. रामलीला की यह परंपरा गंगा-जमुनी तहजीब का सजीव उदाहरण है. जहां हिंदू-मुस्लिम मिलकर भगवान राम की लीलाओं का मंचन करते हैं.

रामलीला में किरदार निभाने वाले कलाकारों ने दी ईटीवी भारत से साझा की जानकारी (video credit- Etv Bharat)

वह कहते हैं, कि रामलीला मंच पर 50% किरदार हिंदू धर्म से जुड़े लोग निभाते हैं. जबकि 50% किरदार मुस्लिम धर्म से जुड़े हुए नौजवान निभाते हैं. मुस्लिम धर्म से जुड़े हुए नौजवान रामायण का अध्ययन करते हैं और रामलीला के संवाद को भी याद करते हैं. इस रामलीला में सलमान खान और साहिल खान राम का किरदार निभाएंगे. मोहम्मद कैस लक्ष्मण का किरदार निभाएंगे, फरहान अली सीता के किरदार में रहेंगे और शेर खान राजा जनक का किरदार निभाएंगे.

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साबिर खान बताते हैं, कि एक बार रमजान में दशहरा त्योहार पड़ा था. उस वक्त रामलीला के मंचों पर किरदार निभाने वालों में मुस्लिम रोजेदार भी थे. रामलीला को 30 मिनट के लिये रोक दिया गया था और मंच पर ही इफ्तार की गई. नमाज पढ़ी गई. उसके बाद रामलीला का मंचन शुरू हुआ. वह बताते हैं, कि 2001 में स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई ने बक्शी तालाब के रामलीला को आशा कौल राष्ट्रीय एकता के पुरस्कार से सम्मानित भी किया है.

सबसे बढ़कर इंसानियत का धर्म: साबिर खान बताते हैं, कि 1980 में गांव के ही हिंदू मुस्लिम समुदाय के लड़कों ने बख्शी तालाब के रामलीला का मंचन शुरू किया. वो बताते हैं, कि उस समय हम रामलीला में रावण का किरदार निभाने लगे तो घर में ही विरोध का सामना करना पड़ा. घर के लोगों ने कहा, कि रिश्तेदार नाराज हो जाएंगे. उसके बाद मौलाना ने भी रामलीला में किरदार निभाने को लेकर मना किया. उनसे हमने सवाल किया, कि हिंदू मुस्लिम का खून के रंग ऐक ही होते हैं. सबसे बढ़कर इंसानियत का धर्म होता है. साबिर खान बताते हैं, कि हम सभी धर्म का सम्मान करते हैं. आपसी भाईचारा और सांप्रदायिक सौहार्द का संदेश दे रहे हैं. रामलीला के मंचन के लिए हमें हिंदू धर्म के धर्म ग्रंथो का अध्ययन किया. वहीं से डायलॉग लिखा. इस रजिस्टर से आज तक रामलीला में किरदार निभाने वाले का रिहर्सल करते हैं.

तीन दिवसीय भव्य आयोजन:दशहरा मेला तीन दिनों तक चलेगा. जिसमें हर दिन रामलीला के साथ-साथ रात्रि में रंगारंग कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे. मेला का आयोजन बीकेटी बड़ी बाजार के मैदान में होगा. जहां कुछ हिस्से मंच पर तो कुछ खुले मैदान में मंचित किए जाएंगे. यह आयोजन न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है, बल्कि विभिन्न समुदायों के बीच भाईचारे का संदेश भी फैलाता है. जो इस रामलीला को और भी खास बनाता है.

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