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मुस्लिम अधिवक्ता ने गवाह से नहीं की जिरह, कोर्ट की टिप्पणी- नमाज के लिए न्यायिक कार्य छोड़कर जाना अनुचित - मुस्लिम वकील नमाज गवाह जिरह

लखनऊ की एनआईए कोर्ट (muslim lawyer namaz court comment) ने नमाज पढ़ने जाने का हवाला देकर मुस्लिम अधिवक्ता की ओर से गवाह से जिरह न करने को गंभीरता से लिया है. कोर्ट ने न्याय मित्र भी रखने के आदेश जारी किए हैं.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 20, 2024, 12:53 PM IST

लखनऊ :अवैध धर्मांतरण के मामले में अदालत में उपस्थित गवाह से नमाज पढ़ने जाने का हवाला देकर अधिवक्ता की ओर से जिरह न करने पर कोर्ट ने टिप्पणी की. एनआईए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने निर्देश दिया. कहा कि जिन- जिन अभियुक्तों की ओर से मुस्लिम अधिवक्ता रखे गए हैं, उन्हें न्याय मित्र भी उपलब्ध कराया जाए. इससे गवाह से निर्बाध रूप से जिरह होती रहेगी. अदालत ने गवाह से जिरह करने के लिए 20 जनवरी की तिथि नियत की है.

शुक्रवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी से संबंधित मामले में न्यायालय के समक्ष गवाह उपस्थित था. इस दौरान बचाव पक्ष को एक अर्जी देकर इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य दिलाए जाने का आवेदन किया गया. इसका विरोध लोक अभियोजक नागेंद्र गोस्वामी ने किया. कहा कि जिन इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य की नकल आरोपियों द्वारा मांगी जा रही है, वह यूआरएल के ओपन सोर्स पर उपलब्ध हैं. वहां से पुनः प्राप्त किया जा सकता है. वहीं मामले में हाजिर गवाह से जब कोर्ट ने अधिवक्ताओं से जिरह करने के लिए कहा तो मुस्लिम अधिवक्ता नमाज पढ़ने जाने की बात कहकर जिरह नहीं की.

इसके बाद अदालत ने आदेश जारी कर दिया. कहा कि न्यायिक कार्य छोड़कर बीच में नमाज पढ़ने के लिए जाना अनुचित है. अदालत ने कहा है कि यह मामला अवैध धर्मांतरण से संबंधित है. प्रतिदिन सुनवाई करने का आदेश है, इस प्रकार से विलंब करने से विचारण पूर्ण नहीं होगा. अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा है कि मुस्लिम अधिवक्ताओं के साथ-साथ न्यायालय की सहायता के लिए न्याय मित्र उपलब्ध करा दिया जाए जिससे नमाज पढ़ने के लिए जाने पर न्याय मित्र द्वारा जिरह की जाती रहे, और शीघ्र विचारण पूर्ण हो सके.

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