भोपाल/नर्मदापुरम (पीयूष सिंह राजपूत): देश ही नहीं पूरी दुनिया में मध्य प्रदेश के टाइगर मशहूर हैं. हालांकि, टाइगर्स की सबसे ज्यादा तादाद का तमगा हासिल करने वाले मध्य प्रदेश पर अब संकट के बादल हैं. दरअसल, मध्य प्रदेश के टाइगर्स पर एक ऐसा खतरा मंडरा रहा है, जिसके लिए रेड अलर्ट तक जारी कर दिया गया है. टाइगर्स को ये खतरा घात लगाए बैठे खूंखार शिकायरियों से है, जिनका नेटवर्क देश ही नहीं बल्कि विदेशों तक फैला हुआ है.
मध्य प्रदेश के टाइगर्स को लेकर रेड अलर्ट क्यों?
वाइल्ड लाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो (WCCB) ने रेड अलर्ट जारी करते हुए कहा है कि पूरे देश में ऐसे कई बड़े गिरोह सक्रिय हैं, जो टाइगर्स को अपना शिकार बना रहे हैं. इसमें सबसे ज्यादा खतरा मध्य भारत के टाइगर्स को है, क्योंकि यहीं इनकी तादाद सबसे ज्यादा है. वाइल्ड लाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो के मुताबिक मध्य प्रदेश के साथ-साथ महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के बाघों को शिकारियों से सबसे ज्यादा खतरा है और यहां के टाइगर रिजर्व्स को लेकर ज्यादा सतर्कता बरतने की जरूरत है.
लगातार बढ़ रही शिकार की घटनाएं
मध्य प्रदेश में बाघों की तादाद सबसे ज्यादा है. यही वजह है कि यहां टाइगर्स को शिकारियों से खतरा भी सबसे ज्यादा है. 5 जनवरी को पेंच टाइगर रिजर्व में फीमेल टाइगर शिकारियों के हाथों बलि चढ़ गई. इस मामले में करंट का जाल बिछाकर शिकार करने वाले 5 शिकारियों को गिरफ्तार किया गया. फॉरेस्ट रेंज के उपसंचालक रजनीश कुमार सिंह ने बताया था कि इस तरह की घटनाएं ग्रामीणों और शिकारियों की वजह से बढ़ रही हैं. कई बार ग्रामीण फसलों-मवेशियों की सुरक्षा के लिए अवैध रूप से करंट का जाल, तो कई बार शिकारी शिकार के लिए जाल बिछाते हैं.
टाइगर के बॉडी पार्ट्स की तस्करी?
वाइल्ड लाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो का कहना है कि आज भी टाइगर्स का शिकार कर उनके बॉडी पार्ट्स की तस्करी हो रही है. ये नेटवर्क हमारी सोच से परे है और विदेशों तक फैला हुआ है. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि महाराष्ट्र और एमपी की सीमा से लगे चंद्रपुर में जिस बाघ का शिकार हुआ था, उसके बॉडी पार्ट्स असम के रास्ते म्यांमार तक पहुंच गए थे. केवल टाइगर ही नहीं, कई वन्य प्राणियों के अंगों की विदेशों तक तस्करी हो रही है.
खूंखार शिकारी बाघ का मांस तक खा जाते हैं
वाइल्ड लाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो की बैठक में एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. इसमें कहा गया है कि ग्रामीण और जंगली इलाकों में कुछ विशेष शिकारी समुदाय बाघों की हत्या और तस्करी में लिप्त हैं. इनका पूरा का पूरा परिवार झुंड में टाइगर की रैकी करता है और फिर उसे जाल में फंसाकर मार देता है. ये शिकारी इतने खूंखार हैं कि ये टाइगर को मारते ही, उसकी खाल, हड्डियां और अन्य बॉडी पार्ट्स को तेजी से निकाल लेते हैं और फिर उसी टाइगर का मांस आपस में बांटकर सारे सबूत मिटा देते हैं. इसके बाद खाल और बॉडी पार्ट्स को विदेश पहुंचाने के लिए अन्य तस्करों से संपर्क करते हैं.
चंद्रपुर में पकड़ा गया बहेलिया गैंग का लीडर
बाघों के शिकार के लिए कुख्यात गैंग बहेलिया के सरगना अजीत राजगोंड को हाल ही में गिरफ्तार किया गया है. मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की सीमा के पास चंद्रपुर के घने जंगलों से उसे पकड़ा गया है. वन विभाग के मुताबिक अजीत और उसकी गैंग ने अबतक कई बाघों का शिकार कर उनके बॉडी पार्ट्स की तस्करी की है. इसे लेकर वन विभाग उससे कड़ी पूछताछ कर रहा है. बहेलिया जैसे कई गैंग मध्य प्रदेश में भी सक्रिय हैं.
बावरिया गिरोह मध्य प्रदेश में सक्रिय
बावरिया गिरोह पहले लूटपाट और चोरी समेत अन्य अपराधों में शामिल रहने वाला गिरोह था और अब बाघों के अंगों की तस्करी से जुड़ गया है. इस समय गिरोह का मूवमेंट मध्य प्रदेश के जंगलों में है, जहां ज्यादा संख्या में बाघ हैं. बावरिया गिरोह के सदस्य कई शिकारी समुदायों के साथ मिलकर बाघों का शिकार करते हैं. फिर इनके अंगों की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तस्करी भी करते हैं. इनका नेटवर्क म्यांमार से लेकर चाइना तक फैला है. खास बात यह है कि ये वन्यजीव के अंगों की तस्करी इस तरीके से करते हैं, कि जांच एजेंसियां को भी भनक नहीं लगती.