मध्य प्रदेश

madhya pradesh

ETV Bharat / state

सिंधिया की टेरिटरी में किसका अतिक्रमण? जीतू पटवारी क्यों बोले- जिंदा हो तो जिंदा नजर आओ

विजयपुर सीट पर हार के बाद शुरू हुई बयानों की सियासत थमने का नाम नहीं ले रही है. कांग्रेस ने बीजेपी में गुटबाजी का आरोप लगाया है. सिंधिया के न्यौते वाले बयान के बाद से कांग्रेस लगातार बीजेपी पर हमलावर है.

MP POLITICS ON VIJAYPUR SEAT
सिंधिया की टेरीटरी में किसका अतिक्रमण (ETV Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Dec 2, 2024, 5:51 PM IST

Updated : 20 hours ago

भोपाल:शादियों के मौसम में मध्य प्रदेश की राजनीति एक सियासी न्यौते पर परवान चढ़ गई है. न्यौता जो दिया नहीं गया. कांग्रेस से बीजेपी में आने के बाद सिंधिया का ये पहला इस तरह का बयान है, जिस पर पार्टी को सफाई देनी पड़ रही है. वरना सिंधिया अब तक बहुत सुरक्षित पारी ही खेलते रहे हैं, लेकिन विजयपुर में बीजेपी की हार का एक सवाल बीजेपी की परतें खोलता जा रहा है. सिंधिया के मामले में काउंटर के लिए तत्पर रहने वाले कांग्रेस से सिंधिया को समर्पित बयानों की झड़ी लगी है.

अब कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने पूछा है कि "जिंदा हो तो जिंदा नजर आने के लिए बीजेपी में गए थे, तो जिंदा रहो और नजर आओ." सवाल ये है कि ग्वालियर चंबल में बीजेपी के स्थापित नेताओं के बीच क्या वाकई सिंधिया की टेरेटरी सिमट रही है. क्या अपनी ही टेरेटरी में सिंधिया कमजोर हुए हैं. विजयपुर की हार के सतह पर आया पार्टी का अंदरूनी घमासान किस तरफ इशारा कर रहा है?

जीतू पटवारी का बयान (ETV Bharat)

क्या ग्वालियर-चंबल में कमजोर किए जा रहे सिंधिया?

श्योपुर जिले की विजयपुर विधानसभा सीट पर सिंधिया प्रचार के लिए क्यों नहीं गए. शुरुआत में ये सवाल उनके समर्थक रहे बीजेपी उम्मीदवार राम निवास रावत तक ही सिमटा रहा, लेकिन इसी सवाल के सिरे खुलते गए तो बात ग्वालियर चंबल की सियासत में बीजेपी की गुटबाजी की परतें खोलती चली गई. इस सवाल को जगह मिल गई कि सिंधिया का चुनाव प्रचार में नहीं जाने के पीछे भी सियासत थी. इसमें दो राय नहीं कि बीजेपी में ग्वालियर-चंबल की राजनीति में कांग्रेस के सिंधिया वर्सेस बीजेपी के तमाम दिग्गज नेता वाला मामला रहा है.

सिंधिया के बीजेपी में आने के बाद इन दिग्गज नेताओं की राजनीति पर अघोषित स्पीड ब्रेकर तो आया है, क्योंकि बाघों की तरह राजनीति में हर नेता की अपनी टेरेटरी होती है. नेता ये चाहता है कि उसकी टेरेटरी में किसी तरह का कोई अतिक्रमण ना हो. सिंधिया हालांकि बीजेपी में आने के बाद से अपनी सभी सियासी अदावतों को खत्म करते हुए आए थे. बीजेपी में दाखिल होते हुए जयभान सिंह पवैया से आत्मीय मुलाकातें इसकी तस्दीक रही हैं, लेकिन श्योपुर की विजयपुर सीट पर स्टार प्रचारक की सूची में नाम होने के बावजूद सिंधिया का प्रचार से दूरी सवाल खड़े कर गई.

विजयपुर सीट पर हार के बाद सिंधिया का बयान (ETV Bharat)

फिर उनका जवाब आया कि मुझे बुलाया ही नहीं गया. ग्वालियर चंबल की राजनीति को करीब से देख रहे "वरिष्ठ पत्रकार देव श्रीमाली कहते हैं, सिंधिया सिर्फ ग्वालियर चंबल-अंचल के ही नहीं बल्कि प्रदेश के नेता हैं, उनका बड़ा कद है. अगर विजयपुर की बात करें तो ज्योतिरादित्य सिंधिया स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल थे, तो बुलाने का और क्या काम होता है. बीजेपी में ही इस मामले को लेकर दो तरह की बातें हैं. सिंधिया ने कहा है कि उन्हें बुलाया नहीं गया. जबकि बीजेपी के महामंत्री भगवानदास सबनानी कहते हैं कि उन्हें बुलाया गया था.

सिंधिया के बयान के बाद शुरू हुई राजनीति (ETV Bharat)

जैसा माना जा रहा था कि बीजेपी में सब कुछ ठीक है, लेकिन वैसा नजर नहीं आ रहा है. देव श्रीमाली कहते हैं ये एक तरफ की बात नहीं है, क्योंकि बीजेपी में अभी तक ऐसा नहीं होता था कि कोई नेता यह कहे कि उसे बुलाया नहीं गया है. इसलिए हम नहीं गये और ऐसा भी नहीं होता था कि किसी व्यक्ति विशेष नेता को न बुलाया जाए. मध्य प्रदेश में दो सीटों पर उपचुनाव हुए विजयपुर और बुधनी सिंधिया दोनों ही जगह नहीं गए या नहीं बुलाया गया, दोनों ही स्थितियां खराब हैं या जो बताती है कि इसके पीछे कुछ ना कुछ राजनीति तो है."

बयान के साथ गुटबाजी सतह पर आई

चुनाव प्रचार में सिंधिया क्यों नहीं पहुंचे, जब रावत की हार के बाद ये सवाल पूछा गया तो रामनिवास रावतका कहना था कि "ये तो सिंधिया ही बता पाएंगे, संभव है वे व्यस्त रहें हो." रावत के बाद यही बयान मीडिया ने सिंधियासे पूछा, तो एक लाइन का जवाब सिंधिया की तरफ से आया कि "विजयपुर सीट पर प्रचार का कहा होता, तो मैं जरूर जाता." जाहिर है इस बयान से बीजेपी संगठन में खलबली हो जानी थी. देर वहां से भी नहीं हुई प्रदेश महामंत्री भगवानदास सबनानी का बयान मीडिया में जारी किया गया कि "सिंधिया का नाम विजयपुर के स्टार प्रचारकों की सूची में था. सीएम डॉ मोहन यादव, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा ने उन्हें आमंत्रित किया था."

तो क्या सिंधिया बीजेपी में सौतेले हो गए?

इधर कांग्रेस तो 2020 के बाद से सिंधिया के जख्म लिए बैठी है. लिहाजा उन पर हमले का कोई मौका नेता नहीं छोड़ते. शुरुआत नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार से हुई. जिन्होंने पूछा कि "क्या सिंधिया को बुलाने पीले चावल दिए जाते. फिर पूर्व मंत्री और वरिष्ठ नेता सज्जन सिंह वर्मा का बयान आया कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को अहसास हो गया होगा कि सगे सगे होते हैं और सौतेले सौतेले होते हैं. चंबल संभाग को उनकी टेरेटरी माना जाता है. ज्योतिरादित्य सिंधिया की पूछ नहीं हो रही, ये बीजेपी और कांग्रेस में फर्क है. बीजेपी काम निकालने के बाद दूध में मक्खी की तरह निकाल फेकती हैं. प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा है कि "सिंधिया जी जिंदा हो तो जिंदा नजर आओ, कह के बीजेपी में गए थे, जो जिंदा हो तो जिंदा नजर आओ."

Last Updated : 20 hours ago

ABOUT THE AUTHOR

...view details