भोपाल:मध्य प्रदेश में रजिस्टर्ड डॉक्टर्स में से कितनों ने प्रदेश को छोड़ दिया या फिर कितने डॉक्टर्स दुनिया से जा चुके हैं, इसकी जानकारी न तो विभाग के पास है और न ही सरकार को इसकी जानकारी है. 1987 में मध्यप्रदेश मेडिकल काउंसिल बनने के बाद से काउंसिल ने डॉक्टर्स का रजिस्ट्रेशन तो कराया, लेकिन इसके बाद उनका कभी वेरीफिकेशन ही नहीं कराया. इसको देखते हुए अब मध्य प्रदेश में डॉक्टर्स का रजिस्ट्रेशन हर 5 साल में रिन्यूअल कराने की प्रक्रिया शुरू कराने की तैयारी की जा रही है. मध्यप्रदेश मेडिकल काउंसिल इसके लिए प्रस्ताव तैयार कर रहा है. इसके बाद इसे कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा.
रजिस्ट्रेशन के बाद रिन्यूअल का नियम ही नहीं
मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान परिषद अधिनियम 1987 के तहत मध्यप्रदेश मेडिकल काउंसिल की स्थापना की गई थी. इसके बाद प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों से पढ़कर निकलने वाले डॉक्टर्स और प्रदेश में आकर प्रेक्टिस करने वाले डॉक्टर्स का काउंसिल में रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किया गया. मध्यप्रदेश मेडिकल काउंसिल के रिकॉर्ड में अभी 63 हजार 423 डॉक्टर्स रजिस्टर्ड हैं, लेकिन रजिस्टर्ड डॉक्टर्स में से कितने डॉक्टर्स का देहांत हो चुका है और कितने डॉक्टर्स मध्यप्रदेश से बाहर जा चुके हैं इसकी जानकारी ही विभाग के पास नहीं है. दरअसल मेडिकल काउंसिल में रजिस्ट्रेशन के बाद पंजीकरण नवीनीकरण का नियम ही नहीं है. हालांकि मेडिकल काउंसिल अब मध्य प्रदेश आयुर्विज्ञान परिषद के पंजीयन नवीनीकरण नियम में बदलाव की तैयारी कर रही है. इसमें डॉक्टर्स के लिए हर 5 साल में पंजीयन नवीनीकरण का प्रावधान किया जाएगा.