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अपराधियों से नहीं, कुत्तों से हैं लोग खौफजदा, हर महीने 4-5 हजार डॉग बाइट के शिकार - GWALIOR DOG BITE CASES

ग्वालियर चंबल-अंचल की पहचान दबंगई से होती है. उसी ग्वालियर में लोग अब अपराधियों से ज्यादा कुत्तों से डर रहे हैं.

GWALIOR 100 PEOPLE PREY DOG BITES
अपराधियों से नहीं कुत्तों से खौफ में यहां के लोग (Getty Image)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 3 hours ago

Updated : 2 hours ago

ग्वालियर: हर साल गर्मी के मौसम में मध्य प्रदेश में एंटी रेबीज वैक्सीन की मांग बढ़ जाती है, क्योंकि माना जाता था कि गर्मी के मौसम में कुत्ते ज्यादा हमलावर होते हैं, लेकिन अब जब ठंड का मौसम शुरू हो चुका है, तो हालात और बदतर होते जा रहे हैं. कुत्तों ने सड़कों पर कोहराम मचा दिया है. मध्य प्रदेश के अकेले ग्वालियर जिले में हर महीने 5 से 6 हजार मरीज ऐसे पहुंच रहे हैं, जो डॉग बाइट का शिकार हुए हैं.

सबसे ज्यादा शिकार हुए बच्चे, गलियों में खेलना मुहाल

ग्वालियर के गली कूचों से लेकर चौड़ी सड़कों पर आवारा कुत्तों का जमावड़ा रहता है. ये राहगीरों को आसानी से निशाना बना लेते हैं, जिसमें कई बार पीड़ित गंभीर घायल हो जाता है. ज्यादातर डॉग बाइट के केस 6 साल से 15 साल के बच्चों के साथ हुए हैं. दो दिन पहले ही पिंटोपार्क इलाके में रहने वाले 11 साल के विवेक सिंह को उसके ही मोहल्ले में घूम रहे आवारा कुत्ते ने हाथ पर काट खाया.

अपराधियों से नहीं कुत्तों से खौफ में यहां के लोग (ETV Bharat)

वहीं कुछ दिन पहले डॉग बाईट का शिकार हुए 8 साल के नैतिक ने बताया कि "उसे भी उसकी गली के छोटे से आवारा कुत्ते ने काट लिया था. जिसके साथ वह खेलने का प्रयास कर रहा था. नैतिक के पिता ने भी बताया कि, उनके क्षेत्र में कई सारे आवारा कुत्ते हैं, जो आए दिन लोगों को काटते रहते हैं.

11 महीने में आए 70 हजार मामले

बात अगर अस्पताल स्तर की करें तो बीते 4 दिनों में ग्वालियर में 750 लोगों को आवारा कुत्तों ने अपना शिकार बनाया, जबकि इस साल 1 जनवरी से नवम्बर तक ग्वालियर जिले के सरकारी अस्पतालों में 70 हजार से ज्यादा लोग रेबीज का इंजेक्शन लगवाने पहुंचे हैं. ग्वालियर जिले में एंटी रेबीज वैक्सीनेशन और आंकड़ों का संकलन दो तरह से होता है. पहला जिला स्तर पर सरकारी अस्पतालों के आंकड़े सीएमएचओ कार्यालय को भेजे जाते हैं. दूसरा ग्वालियर का जयारोग्य अस्पताल (एक हजार बिस्तर ) में इसके लिए ओपीडी लगायी जाती है. जिनके आंकड़े अलग से नोट होते हैं.

Gwalior Dog Bite Cases
गलियों में घूमते आवारा कुत्ते (ETV Bharat)

डॉग बाईट के हर दिन 150-200 मामले

ग्वालियर सीएमएचओ डॉक्टर सचिन श्रीवास्तव का कहना है "जिला अस्पताल में ही 80 मामले ग्वालियर में रोज आ रहे हैं. अन्य स्वास्थ्य केंद्रों को मिलाकर संख्या 100 के पार होती है. जबकि जयारोग्य के अस्पताल में भी डॉग बाइट के लगभग 100 केस प्रतिदिन ओपीडी में पहुंचते हैं. यानी दोनों के आंकड़े देखें तो कुत्ते काटने की घटनाएं लगभग दो सौ के करीब रोज आ रही हैं. अकेले जयारोग्य अस्पताल में 1 जनवरी से अब तक डॉग बाइट के 22,315 घायल मरीज पहुंचे हैं. जिन्हे एंटी रेबीज वैक्सीन दी गई है.

RABIES INJECTION DEMAND IN GWALIOR
चंबल अंचल में रेबीज इंजेक्शन की बढ़ी डिमांड (ETV Bharat)

डॉग बाईट हो तो तुरंत करें यह काम

जयारोग्य अस्पताल अधीक्षक डॉ सुधीर सक्सेना का कहना है कि, "डॉग बाइट के मामले में लोगों को प्राथमिक एहतियात जरूरी है. कुत्ते के काटने पर घायल मरीज को सबसे पहले अस्पताल पहुंच कर एंटी रेबीज वैक्सीन लगवानी चाहिए, लेकिन उससे भी पहले साबुन और पानी से जितना ज्यादा देर तक हो सके. चोट के स्पॉट को जहां कुत्ते ने काटा है, उसे धोकर साफ करें. इससे इन्फेक्शन से बचने की उम्मीद रहती है, फिर भी वैक्सीन लगवाना एहतियातन जरूरी है.

आवारा कुत्तों की बढ़ई संख्या चिंता का विषय

गौरतलब है कि इन घटनाओं के पीछे की मूल वजह ग्वालियर में आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या है. एक अनुमान के मुताबिक शहर में करीब 45 हजार स्ट्रीट डॉग हैं. हालांकि कुत्तों की नसबंदी और उन्हें पकड़ने की जिम्मेदारी ग्वालियर नगर निगम पर है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन और पेट्स लवर इसमें आड़े आ जाते हैं.

ग्वालियर: हर साल गर्मी के मौसम में मध्य प्रदेश में एंटी रेबीज वैक्सीन की मांग बढ़ जाती है, क्योंकि माना जाता था कि गर्मी के मौसम में कुत्ते ज्यादा हमलावर होते हैं, लेकिन अब जब ठंड का मौसम शुरू हो चुका है, तो हालात और बदतर होते जा रहे हैं. कुत्तों ने सड़कों पर कोहराम मचा दिया है. मध्य प्रदेश के अकेले ग्वालियर जिले में हर महीने 5 से 6 हजार मरीज ऐसे पहुंच रहे हैं, जो डॉग बाइट का शिकार हुए हैं.

सबसे ज्यादा शिकार हुए बच्चे, गलियों में खेलना मुहाल

ग्वालियर के गली कूचों से लेकर चौड़ी सड़कों पर आवारा कुत्तों का जमावड़ा रहता है. ये राहगीरों को आसानी से निशाना बना लेते हैं, जिसमें कई बार पीड़ित गंभीर घायल हो जाता है. ज्यादातर डॉग बाइट के केस 6 साल से 15 साल के बच्चों के साथ हुए हैं. दो दिन पहले ही पिंटोपार्क इलाके में रहने वाले 11 साल के विवेक सिंह को उसके ही मोहल्ले में घूम रहे आवारा कुत्ते ने हाथ पर काट खाया.

अपराधियों से नहीं कुत्तों से खौफ में यहां के लोग (ETV Bharat)

वहीं कुछ दिन पहले डॉग बाईट का शिकार हुए 8 साल के नैतिक ने बताया कि "उसे भी उसकी गली के छोटे से आवारा कुत्ते ने काट लिया था. जिसके साथ वह खेलने का प्रयास कर रहा था. नैतिक के पिता ने भी बताया कि, उनके क्षेत्र में कई सारे आवारा कुत्ते हैं, जो आए दिन लोगों को काटते रहते हैं.

11 महीने में आए 70 हजार मामले

बात अगर अस्पताल स्तर की करें तो बीते 4 दिनों में ग्वालियर में 750 लोगों को आवारा कुत्तों ने अपना शिकार बनाया, जबकि इस साल 1 जनवरी से नवम्बर तक ग्वालियर जिले के सरकारी अस्पतालों में 70 हजार से ज्यादा लोग रेबीज का इंजेक्शन लगवाने पहुंचे हैं. ग्वालियर जिले में एंटी रेबीज वैक्सीनेशन और आंकड़ों का संकलन दो तरह से होता है. पहला जिला स्तर पर सरकारी अस्पतालों के आंकड़े सीएमएचओ कार्यालय को भेजे जाते हैं. दूसरा ग्वालियर का जयारोग्य अस्पताल (एक हजार बिस्तर ) में इसके लिए ओपीडी लगायी जाती है. जिनके आंकड़े अलग से नोट होते हैं.

Gwalior Dog Bite Cases
गलियों में घूमते आवारा कुत्ते (ETV Bharat)

डॉग बाईट के हर दिन 150-200 मामले

ग्वालियर सीएमएचओ डॉक्टर सचिन श्रीवास्तव का कहना है "जिला अस्पताल में ही 80 मामले ग्वालियर में रोज आ रहे हैं. अन्य स्वास्थ्य केंद्रों को मिलाकर संख्या 100 के पार होती है. जबकि जयारोग्य के अस्पताल में भी डॉग बाइट के लगभग 100 केस प्रतिदिन ओपीडी में पहुंचते हैं. यानी दोनों के आंकड़े देखें तो कुत्ते काटने की घटनाएं लगभग दो सौ के करीब रोज आ रही हैं. अकेले जयारोग्य अस्पताल में 1 जनवरी से अब तक डॉग बाइट के 22,315 घायल मरीज पहुंचे हैं. जिन्हे एंटी रेबीज वैक्सीन दी गई है.

RABIES INJECTION DEMAND IN GWALIOR
चंबल अंचल में रेबीज इंजेक्शन की बढ़ी डिमांड (ETV Bharat)

डॉग बाईट हो तो तुरंत करें यह काम

जयारोग्य अस्पताल अधीक्षक डॉ सुधीर सक्सेना का कहना है कि, "डॉग बाइट के मामले में लोगों को प्राथमिक एहतियात जरूरी है. कुत्ते के काटने पर घायल मरीज को सबसे पहले अस्पताल पहुंच कर एंटी रेबीज वैक्सीन लगवानी चाहिए, लेकिन उससे भी पहले साबुन और पानी से जितना ज्यादा देर तक हो सके. चोट के स्पॉट को जहां कुत्ते ने काटा है, उसे धोकर साफ करें. इससे इन्फेक्शन से बचने की उम्मीद रहती है, फिर भी वैक्सीन लगवाना एहतियातन जरूरी है.

आवारा कुत्तों की बढ़ई संख्या चिंता का विषय

गौरतलब है कि इन घटनाओं के पीछे की मूल वजह ग्वालियर में आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या है. एक अनुमान के मुताबिक शहर में करीब 45 हजार स्ट्रीट डॉग हैं. हालांकि कुत्तों की नसबंदी और उन्हें पकड़ने की जिम्मेदारी ग्वालियर नगर निगम पर है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन और पेट्स लवर इसमें आड़े आ जाते हैं.

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