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मध्यप्रदेश को फाइलेरिया मुक्त करने का अभियान केवल 11 जिलों तक सीमित क्यों, जानें इस बीमारी के लक्षण

MP campaign against filariasis : मध्यप्रदेश में फाइलेरिया जैसी घातक बीमारी से लड़ने के लिए अभियान चला. प्रदेश के 11 जिलों में ये अभियान चला. लेकिन 11 जिलों के अलाावा भी ये बीमारी है, वहां किसी प्रकार का अभियान नहीं चलाया गया.

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 23, 2024, 5:33 PM IST

MP campaign against filariasis
मध्यप्रदेश को फाइलेरिया मुक्त करने का अभियान

शहडोल।मध्य प्रदेश के 11 जिलों में राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम चला. इन जिलों में स्वास्थ्य कर्मचारियों ने घर-घर जाकर दवाओं का सेवन कराया. ब्लड सैंपल लिए. इन 11 जिलों में शहडोल संभाग का उमरिया जिला भी है. उमरिया जिले के मलेरिया कंसलटेंट रवि साहू बताते हैं कि 10 फरवरी से 23 फरवरी तक यह राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन का कार्यक्रम चला. उन्मूलन कार्यक्रम में 2 साल से अधिक उम्र के लोगों को दवा का सेवन कराई गई. सिर्फ गर्भवती महिला, गंभीर पीड़ित व्यक्ति, गंभीर बीमार व्यक्ति को छोड़कर दवा का सेवन कराया गया.

उमरिया जिले में फाइलेरिया के 54 मरीज मिले

रवि साहू बताते हैं कि उमरिया जिले में अभी फाइलेरिया के 54 पेशेंट हैं, जो लिम्फेडेमिक पेशेंट है, मतलब जिनको फाइलेरिया हो गया है. जिनके पांव हाथी पांव की तरह हो गए हैं. उमरिया जिले में नाइट बेड सर्वे आठ साइट पर किया गया. 22 लोग पॉजिटिव पाए गए हैं. उन 22 पॉजिटिव व्यक्तियों का 12 दिन रेडिकल ट्रीटमेंट किया गया. रेडिकल ट्रीटमेंट हो जाने के बाद ये लोग पूरी तरह से ठीक हो जाएंगे.

शहडोल जिले में भी 17 केस लेकिन कोई अभियान नहीं

लेकिन सवाल ये भी उठता है कि क्या इन 11 जिलों के अलावा किसी और जिले में ये रोग नहीं है. शहडोल जिले में ही फाइलेरिया के 17 केस हैं. इनमें लक्षण दिखाई देने लग गए हैं. जब फाइलेरिया के केस यहां है तो फिर जांच क्यों नहीं कराई जा रही है. यहां दवा का वितरण क्यों नहीं कराया गया. वहीं, जिम्मेदारों का कहना है कि प्रदेश लेवल से ऐसी कोई निर्देश ही प्राप्त नहीं हुए. बता दे कि साल 2022 और 2023 में शहडोल जिले में फाइलेरिया को लेकर सैंपल लिए गए थे. जांच की गई थी तो यहां पर नाइट ब्लड सर्वे के दौरान माइक्रो फाइलेरिया के कई केस पाए गए. दो केस में दवा देकर ठीक कर दिया गया. लेकिन इस साल शहडोल जिले में इसके लिए कोई जांच नहीं की जा रही है.

क्या है फाइलेरिया और क्या हैं इसके लक्षण

फाइलेरिया को हाथी पांव के नाम से भी जाना जाता है. यह दो तरह से होता है. एक हाइड्रोसील और दूसरी हाथी पांव की तरह बीमारी. यह बीमारी मच्छर के काटने से होती है और यह मच्छर गंदगी में पाया जाता है. ये मच्छर काटते हैं तो स्वस्थ मनुष्य में उसके परजीवी चला जाता है. इसके लक्षण एक दो साल तक नहीं बल्कि लंबे समय बाद नजर आते हैं. लगभग 5 से 8 से 10 साल बाद भी इसके लक्षण दिखाई देते हैं. जब ये लक्षण दिखाई देते हैं तो हाथ में या पैर में या महिलाओं के ब्रेस्ट में या पुरुषों के अंडकोष में स्वेलिंग दिखाई देने लगती है. फाइलेरिया एक कृमि जन्य रोग है, जो बाऊचेरियन ब्रॉन क्राफ्टाई निमिटोड वाहक मच्छर क्यूलेक्स के माध्यम से लोगों में संक्रमण फैलाता है.

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जांच के लिए रात में सोते समय लिए जाते हैं सैम्पल

फाइलेरिया के जिन मरीजों में लक्षण दिखाई देते हैं, उनके खून की जांच की जाती है. यह बहुत कठिन कार्य होता है, क्योंकि इसके ब्लड का सैंपल रात में सोते समय लिया जाता है, क्योंकि जो इसके परजीवी होते हैं, वो ब्लड में रात में ही सर्कुलेट होते हैं. नाइट ब्लड सर्वे करके सैंपल कलेक्ट किए जाते हैं, तब इस बीमारी का पता चलता है. फाइलेरिया फर्स्ट स्टेज में ही पकड़ में आ जाए तो दवा देने से ठीक हो जाता है. अगर फाइलेरिया के लक्षण आ गए हैं तो फिर ठीक नहीं होता है. फिर उनको प्रोटोकॉल के तहत तरह-तरह के एक्सरसाइज साफ सफाई रखने और कैसे उसको मेंटेन करना है वह बातें बताई जाती हैं.

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