जबलपुर (विश्वजीत सिंह) : मध्य प्रदेश पावर मैनेजमेंट कंपनी और बिजली सप्लाई करने वाली दूसरी कंपनियां बिजली के दामों में 7.52% की बढ़ोत्तरी करना चाहती हैं. इसके लिए इन कंपनियों ने नियामक आयोग के सामने प्रस्ताव रखा है. लेकिन बिजली मामलों के जानकार और बिजली कंपनी के रिटायर्ड इंजीनियर राजेंद्र अग्रवाल का कहना है कि बिजली विभाग रेट बढ़ाने के बजाए रेट को 10 प्रतिशत तक कम कर सकता है. उन्होंने रेट बढ़ाए जाने के प्रस्ताव पर आपत्ति जताते हुए नियामक आयोग के सामने अपना एक प्रस्ताव भी रखा है, कि कैसे बिजली बिल की दरें कम की जा सकती हैं.
बिजली की दरें बढ़ाने के पीछे ये तर्क
बिजली कंपनियों ने बिजली के दाम बढ़ाने के पीछे तर्क देते हुए कहा है कि बिजली खरीदी, उत्पादन और वितरण में घाटा हो रहा है. इसलिए कंपनियां बिजली के दाम बढ़ाना चाहती हैं. हालांकि, इस साल के आंकड़ों में बिजली कंपनी ने जो हिसाब दिया है, उसके अनुसार ना तो बिजली कंपनी को फायदा है और ना ही नुकसान हो रहा है. इसके बावजूद बिजली कंपनियां बिजली की दरों में बढ़ोत्तरी करना चाहती हैं. इसके पीछे की एक वजह यह भी है कि बीते 2 सालों से बिजली के दाम नहीं बढ़ाए गए हैं.
बिजली विभाग के प्रपोजल पर आपत्ति
बिजली मामलों के जानकारी और बिजली विभाग के रिटायर्ड इंजीनियर राजेंद्र अग्रवाल का कहना है कि उन्होंने नियामक आयोग के सामने बिजली कंपनी के बिजली के दाम बढ़ाने के प्रस्ताव पर आपत्ति दर्ज करवाई है और इस आपत्ति में 32 बिंदु उठाए हैं. राजेंद्र अग्रवाल ने कहा, '' मैंने और मेरे साथी राजेश चौधरी द्वारा नियामक आयोग के सामने आपत्ति दर्ज कराई गई है, जिसमें बिजली कंपनी द्वारा अनाप-शनाप बिजली की खरीदी, स्मार्ट मीटर के नाम पर 754 करोड़ की मांग, अनावश्यक बैंकिग जैसे अनेक बिंदुओं पर आयोग का ध्यान आकर्षित किया है और आयोग से मांग की है कि हमें प्रत्यक्ष सुनवाई को मौका दिया जाए, जिससे प्रदेश के उपभोक्ताओं का अहित न हो.''
महंगी दर पर क्यों खरीद रहे बिजली?
रिटायर्ड इंजीनियर राजेंद्र अग्रवाल ने आगे कहा, '' पावर मैनेजमेंट कंपनी 'टोरेंट पावर' नाम की एक कंपनी से 8 रु प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदना चाहती है. इसके अलावा कई दूसरी कंपनियां हैं, जिनसे महंगी दरों पर बिजली खरीदी के लिए प्रस्ताव बनाए गए हैं. जब मध्य प्रदेश के पास पर्याप्त बिजली है, तो महंगे दामों पर निजी कंपनियों से बिजली क्यों खरीदी जा रही है?''