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एमपी में कॉलोनी की समितियों व बिल्डिंग सोसायटी को डिस्ट्रीब्यूटर क्यों बनाना चाहती हैं बिजली कंपनियां - MP electricity companies Proposal - MP ELECTRICITY COMPANIES PROPOSAL

विद्युत वितरण कंपनियों के नए प्रस्ताव के तहत जबलपुर में कॉलोनी की समितियों को डिस्ट्रीब्यूटर बनना चाह रही हैं. बिजली कंपनियां हर घर को बिजली देने की बजाय कॉलोनियों को कनेक्शन देने की प्लानिंग कर रही हैं. वहीं, बिजली जानकारों का कहना ये आम आदमी के हित में नहीं है.

MP electricity companies Proposal
बिल्डिंग सोसायटी को डिस्ट्रीब्यूटर बनाना चाहती हैं बिजली कंपनियां

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Apr 1, 2024, 4:18 PM IST

राजेंद्र अग्रवाल सेवानिवृत्त अतिरिक्त मुख्य अभियंता

जबलपुर।विद्युत वितरण कंपनियां लगातार अपनी जिम्मेदारियां कम करने की कोशिश कर रही हैं. एक तरफ महंगे दाम पर बिजली बेचकर बड़ा मुनाफा कमा रही हैं. वहीं दूसरी तरफ नौकरियों के अवसर खत्म कर रही हैं. बिजली कंपनियों में लंबे समय से कोई भर्ती नहीं हुई है. ज्यादातर बिजली कंपनियां संविदा आधार पर मैनपॉवर एजेंसियों से लोगों की नियुक्तियां करती हैं. एक बार फिर बिजली कंपनियों ने एक नया तरीका निकाला है, जिसमें मीटर रीडिंग करने वाले लोगों की नौकरियां कम होंगी.

वेलफेयर सोसाइटी को डिस्ट्रीब्यूटर बनाने की प्लानिंग

बिजली कंपनियों ने एक नया प्रस्ताव बनाया है. इसके तहत बिजली कंपनियां रेसिडेंशियल वेलफेयर सोसाइटी को डिस्ट्रीब्यूटर के रूप में नियुक्त करने जा रही हैं. इसको सरल भाषा में समझा जाए तो जिस कॉलोनी में आप रह रहे हैं, उस कॉलोनी को एक कनेक्शन बिजली कंपनी देगी और कॉलोनी अपने स्तर पर हर घर से बिजली बिल का कलेक्शन करेंगी. इसमें इस बात की संभावना भी जताई जा रही है कि डिस्ट्रीब्यूटर को कुछ फायदा भी मिलेगा. इस तरीके से कई मल्टीस्टोरी बिल्डिंग की समिति इस डिस्ट्रीब्यूटरशिप को ले लेंगे और अपने स्तर पर बिजली के बिल कलेक्ट किए जाएंगे. हालांकि अभी यह नियम लागू नहीं हुआ है.

विद्युत नियामक आयोग की साइट पर आपत्ति दर्ज कराएं

वहीं, बिजली मामलों के जानकार सेवानिवृत्त अतिरिक्त मुख्य अभियंता मध्य प्रदेश पावर जेनरेशन कंपनी राजेंद्र अग्रवाल का कहना है कि यह प्रस्ताव जनता के हित में नहीं है और इसका विरोध होना चाहिए. विरोध करने के लिए कोई भी आम आदमी विद्युत नियामक आयोग की साइट पर जाकर अपनी आपत्ति दर्ज करवा सकता है. इस मामले की सुनवाई 12 अप्रैल को है.

ये प्रस्ताव न जनता के हित में और न कर्मचारियों के

प्रस्ताव के तहत पहले बिजली मीटर की रीडिंग बिजली कंपनी के स्थाई कर्मचारी करते थे. जब कर्मचारियों की संख्या कम हुई तो इस काम को ठेके पर दे दिया गया. अभी भी प्रदेशभर में हजारों की तादाद में बिजली मीटर रीडिंग करने वाले लोग लगे हुए हैं. यदि सीधे कॉलोनी को मीटर दे दिए जाते हैं तो मीटर रीडर की की नौकरी खतरे में आ जाएगी. वहीं दूसरी तरफ कॉलोनी में आपसी झगड़े भी बढ़ेंगे, जिसमें लोग एक-दूसरे पर ज्यादा बिजली खपत करने का आरोप लगाते हुए नजर आएंगे.

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बिजली कंपनियां अब व्यापारी की तरह कर रही व्यवहार

बता दें कि सरकारी बिजली कंपनियां निजी व्यापारियों की तरह व्यवहार कर रही हैं. ये कंपनियां आम आदमी के सहूलियत की बजाय अपने मुनाफे पर ज्यादा ध्यान दे रही है. लोगों को इस बात की उम्मीद थी कि सरकारी बिजली कंपनियों के आने के बाद उन्हें सरकारी कंपनियों में रोजगार मिल सकेगा, ऐसा नहीं हो रहा. जब से निजी कंपनियों के हाथ में बागडोर आई है, तब से लगातार कंपनियों में नौकरियों की कटौती हो रही है और एक बार फिर इस नए प्रस्ताव के बाद ठेके पर काम कर रहे कर्मचारियों की संख्या में भी कमी आ जाएगी.

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