भोपाल. बुधनी और विजयपुर विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव में मुख्य मुकाबला कांग्रेस-बीजेपी के बीच है. लेकिन इन दो दलों के उम्मीदवारों से कहीं ज्यादा ये चुनाव बीजेपी के तीन दिग्गज नेताओं का भी इम्तेहान है. केन्द्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान, मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री मोहन यादव और विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर वे तीन दिग्गज हैं, जिन्हें इन उपचुनावों से कहीं न कहीं जोड़कर देखा जा रहा है.
मामा, मोहन और मुन्ना भैया का उपचुनाव कनेक्शन
केन्द्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान वैसे तो राष्ट्रीय राजनीति का रुख कर चुके हैं. लेकिन बुधनी उनकी उस होम पिच की तरह है जिस पर जीत जरुरी है. सीएम डॉ. मोहन यादव हांलाकि 29 लोकसभा सीटें जिताकर फिलहाल कंफर्टेंबल पोजीशन में हैं. लेकिन उनके नेतृत्व में ये पहला उपचुनाव है. लिहाजा इन दो सीटों पर हो रहे उपचुनाव के नतीजे उनकी परफार्मेंस रिपोर्ट का अहम हिस्सा होंगे. वहीं पूर्व केन्द्रीय मंत्री और विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर मुरैना से ताल्लुक रखते हैं और ग्वालियर चंबल की राजनीति का प्रमुख चेहरा होने से उनकी सियासी मजबूती के लिए विजयपुर सीट पर बीजेपी की जीत जरुरी है. वहीं प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष रहते हुए वीडी शर्मा के कार्यकाल का भी ये अहम चुनाव है.
रमाकांत भार्गव प्रत्याशी लेकिन चुनाव शिवराज के चेहरे पर
बुधनी में 18 साल बाद ये मौका है कि शिवराज इस सीट पर उम्मीदवार नहीं हैं, फिर भी उन्हीं के चेहरे पर है ये चुनाव माना जा रहा है. बुधनी विधानसभा सीट पर बीजेपी उम्मीदवार के तौर पर जिन रमाकांत भार्गव को उतारा गया है, उन्हें शिवराज की मुहर के बाद ही मौका मिला है. लिहाजा 13 नवम्बर को इस सीट पर होने जा रहे उपचुनाव में चेहरा भले रमाकांत भार्गव का हों लेकिन शिवराज के गढ़ में उनके तिलिस्म का भी चुनाव है. वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश भटनागर कहते हैं, '' इसमें दो राय नहीं कि बुधनी शिवराज सिंह चौहान की होम पिच है. इस बार वहां असंतोष भी दिखा. राजेन्द्र सिंह की नाराजगी खुलकर सामने आई. यही वजह है कि जिस बुधनी सीट पर शिवराज केवल नामांकन दाखिल करने जाते थे, वहां प्रचार के अंतिम दिनों तक मोर्चा संभाले रहे. चुनाव में चेहरा रमाकांत भार्गव हैं लेकिन चुनाव शिवराज सिंह चौहान का भी है.''
मोहन यादव के लिए इस उपचुनाव में जीत क्यों जरुरी ?
वैसे तो सीएम बनने के बाद जिस तरह से प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की है, सेहरा सीएम डॉ मोहन यादव के सिर पर ही है. एक तरह से सत्ता संभालने के ठीक बाद सीएम डॉ. मोहन यादव अपनी परफॉर्मेंस रिपोर्ट के साथ इस प्रेशर से बाहर आ चुके हैं. लेकिन विधानसभा के मददेनजर देखें तो उनकी अगुवाई में ये पहला उपचुनाव है.