...तो क्या MP छोड़ देंगे शिवराज, क्या लोकसभा चुनाव लड़ने को तैयार होंगे ? - shivraj sidelined in party
Shivraj lok sabha elections : मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद दरकिनार चल रहे पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान क्या लोकसभा चुनाव के साथ ही बीजेपी की मुख्य धारा में शामिल हो सकेंगे. क्या शिवराज का उसी रसूख के साथ पार्टी में पुर्नस्थापन हो सकेगा.
भोपाल। बीजेपी में अपनी स्थिति को लेकर लगातार बेबाक बयानी करते रहे शिवराज की पिछले कई दिनों की चुप्पी क्या कहती है. क्या शिवराज पार्टी की लिखी नई पटकथा के मुताबिक आगे बढ़ रहे हैं. केन्द्रीय मंत्री राम दास अठवाले के बयान को संकेत मानें तो क्या शिवराज लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए इतनी आसानी से मान जाएंगे. आम चुनाव में भी पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव की तरह कई प्रयोग करने जा रही बीजेपी में माना जा रहा है कि पार्टी हर राज्य के जनाधार वाले नेताओं की ताकत का पूरा इस्तेमाल करेगी. ऐसे जनाधार वाले नेताओं को क्या बीजेपी लोकसभा चुनाव मैदान में उतारेगी.
क्या है पार्टी आलाकमान की रणनीति
पार्टी के आदेश पर बीजेपी की कमजोर पिच कहे जाने वाले दक्षिण के दौरे पर गए शिवराज क्या लोकसभा चुनाव के साथ अपनी सियासी पारी का नया पन्ना लिखने तैयार हैं. बताया जा रहा है कि राम मंदिर और ज्ञानवापी को चुनाव में भुनाने में जुटी बीजेपी कई प्रयोग लोकसभा चुनाव में भी कर सकती है. शिवराज को पार्टी के जनाधार वाले चेहरों को जीत की गारंटी के तौर पर चुनाव मैदान में उतारा जा सकता है.
कई बार अपनी पीड़ा जता चुके हैं शिवराज
सियासी गलियारों में चर्चा है कि शिवराज को भोपाल या विदिशा लोकसभा में से किसी भी सीट से चुनाव लड़ाया जा सकता है. हालांकि इसमें शिवराज की अपनी मंशा कितनी शामिल होगी, ये नहीं कहा जा सकता. शिवराज अपने बयानों के जरिए अपनी पीड़ा पहले भी जाहिर कर चुके हैं. उन्होंने कहा था कि मैं दिल्ली मांगने नहीं जाऊंगा. वह मानते हैं कि एमपी मे बीजेपी की जीत का सेहरा उनके सिर ही आना था. लिहाजा वे ये भी कह चुके हैं कि कई बार राजतिलक होते-होते भी वनवास हो जाता है.
2018 के विधानसभा चुनाव में जब बीजेपी को हार मिली थी. उसके बाद भी शिवराज सिंह चौहान ने अपना स्टैंड क्लियर करते हुए कह दिया था कि वे एमपी नहीं छोड़ने वाले हैं. इस बार भी विधानसभा चुनाव नतीजों के उन्होने साफ कह दिया था कि मैं दिल्ली मांगने जाने वाला नहीं हूं. वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक प्रकाश भटनागर कहते हैं शिवराज सिंह चौहान की जो सियासत है, उसमें वह अपनी होम पिच पर ही खेलना चाहते हैं. एमपी उनकी होम पिच है. ये वो कई बार खुलकर कह भी चुके हैं. 2018 में भी ये अटकलें लगी कि वे केन्द्रीय मंत्री के रुप में दिल्ली का रुख कर सकते हैं. लेकिन शिवराज राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी में ही डटे रहे. केन्द्रीय मंत्री रामदास अठवाले भोपाल दौरे में ये बयान दे चुके हैं कि शिवराज सिंह लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे. उन्हें केन्द्र में जिम्मेदारी दी जा सकती है.