प्रयागराज:इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि पांच साल से कम उम्र के बच्चे की प्राकृतिक संरक्षक मां है. ऐसा बच्चा पिता के साथ खुश है, सिर्फ इस आधार पर मां को उसकी संरक्षकता से वंचित नहीं कर सकते. इसी के साथ कोर्ट ने बेटी की अभिरक्षा के लिए पिता की ओर से दाखिल की अपील खारिज कर दी. यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र एवं न्यायमूर्ति डी रमेश की खंडपीठ ने मेरठ के अमित धामा की अपील पर सुनवाई के बाद दिया.
मेरठ निवासी अमित धामा की शादी 23 मई 2010 को हुई थी और उनकी एक बेटी और बेटा हैं. कुछ साल बाद पति-पत्नी के बीच मनमुटाव हो गया और वे अलग-अलग रहने लगे. पति-पत्नी के बीच किसी प्रकार का सुलह न होने पर पति ने तलाक के लिए पारिवारिक न्यायालय में अर्जी दाखिल की. पत्नी ने नाबालिग बेटी की अभिरक्षा के लिए याचिका दाखिल की, जिसे पारिवारिक न्यायालय ने स्वीकार कर लिया. इस आदेश को पति ने हाईकोर्ट में चुनौती दी. अपीलार्थी के वकील ने दलील दी कि बेटी अपने पिता के साथ खुशी-खुशी रह रही है. ऐसे में बेटी की अभिरक्षा मां को दी जाती है तो उसके मन में सदमा लगेगा. पत्नी के वकील ने इसका विरोध करते हुए तर्क दिया कि कानूनी रूप से मां ही बच्ची की प्राकृतिक संरक्षक है.